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मासूम बच्चों ने रखे रमजान के रोजे, कहा- देश में शांति और अमन के लिए की दुआ - पटना लेटेस्ट न्यूज

पटना में रमजान (Ramadan In Patna) के दौरान छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रख रहे हैं. इस मौसम में रोजा 15 घंटे से अधिक का है, छोटे तो दूर बड़े लोग भी रोजा मुश्किल से रख पाते हैं, ऐसे में इन बच्चों का हौसला काबिले तारीफ है. पढ़ें पूरी खबर

मासूम बच्चे
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Published : Apr 16, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Apr 16, 2022, 3:07 PM IST

पटनाः राजधानी पटना में इन दिनों रमजान की चहल पहल है. पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रख रहे हैं. रमजान के मुकद्दस महीने में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब मिलता है. रमजान में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रखकर अल्लाह पाक की इबादत करते हैं और दुआ मांगते हैं. मसौढ़ी के कई बच्चों (Children Fasting In Masaurhi) ने इस बार अपना पहला रोजा रखा है, जो काबिले तारीफ है. पूछे जाने पर ये बच्चे कहते हैं कि रोजा रखकर उन्होंने खुदा से दुआ मांगी है कि देश-दुनिया में शांति रहे और सभी लोग मिल जुलकर रहें.

ये भी पढ़ें- 32 सालों से रोजे रखता है ये हिन्दू परिवार, कहा- सर्वधर्म समभाव से ही टूटेगी मजहब की दीवार




रमजान के इस पाक महीने में मसौढ़ी के मलिकाना मोहल्ले के छोटे-छोटे बच्चे भी रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं, इस रमजान में कई बच्चों ने अपना पहला रोजा रखा है, इन बच्चों की रोजा कुशाई की रस्म अदा कराई जा रही है. इस मौसम में रोजा 15 घंटे से अधिक का है, छोटे तो दूर बड़े लोग भी रोजा मुश्किल से रख पाते हैं, ऐसे में इन बच्चों का हौसला काबिले तारीफ है.

ये भी पढ़ेंः Video: पटना में बिक रही इस चाय का रंग क्यों है गुलाबी? सच्चाई जानकर हो जाएंगे हैरान

मस्जिद के मौलाना की मानें तो ये रहमत और बरकतों का यह महीना है. इस महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है. इस पाक महीने में कुरान शरीफ नाजिल हुआ था. कुरान शरीफ में रोजे का मतलब है तकवा यानी बुराइयों से बचना और दूसरों की भलाई करना, गरीबों की मदद करना. रमजान में सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं है. सारी बुराईयों से दूर रहना इस महीने में बेहद जरूरी है.

बता दें कि रमज़ान के महीने में मुसलमान रोज़ा (व्रत) रखते हैं, और सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं. इस बार पहली सहरी (सूरज निकलने से पहले का भोजन) का समय सुबह चार बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा और इफ्तार (व्रत खोने का समय) शाम छह बजकर 42 मिनट पर है यानी करीब 14 घंटे का रोज़ा होगा. सूरज निकलने और डूबने के समय में परिवर्तन के साथ इसमें भी बदलाव होता रहेगा. रमज़ान में मुस्लिम समुदाय के लोग ईशा (पांच वक्त की नमाज़ में रात में साढ़े आठ बजे होने वाली अंतिम नमाज़) के बाद पूरे महीने विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसे ‘तरावीह’ कहा जाता है. इस नमाज़ में कुरान का पाठ किया जाता है.

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पटनाः राजधानी पटना में इन दिनों रमजान की चहल पहल है. पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रख रहे हैं. रमजान के मुकद्दस महीने में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब मिलता है. रमजान में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रखकर अल्लाह पाक की इबादत करते हैं और दुआ मांगते हैं. मसौढ़ी के कई बच्चों (Children Fasting In Masaurhi) ने इस बार अपना पहला रोजा रखा है, जो काबिले तारीफ है. पूछे जाने पर ये बच्चे कहते हैं कि रोजा रखकर उन्होंने खुदा से दुआ मांगी है कि देश-दुनिया में शांति रहे और सभी लोग मिल जुलकर रहें.

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रमजान के इस पाक महीने में मसौढ़ी के मलिकाना मोहल्ले के छोटे-छोटे बच्चे भी रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं, इस रमजान में कई बच्चों ने अपना पहला रोजा रखा है, इन बच्चों की रोजा कुशाई की रस्म अदा कराई जा रही है. इस मौसम में रोजा 15 घंटे से अधिक का है, छोटे तो दूर बड़े लोग भी रोजा मुश्किल से रख पाते हैं, ऐसे में इन बच्चों का हौसला काबिले तारीफ है.

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मस्जिद के मौलाना की मानें तो ये रहमत और बरकतों का यह महीना है. इस महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है. इस पाक महीने में कुरान शरीफ नाजिल हुआ था. कुरान शरीफ में रोजे का मतलब है तकवा यानी बुराइयों से बचना और दूसरों की भलाई करना, गरीबों की मदद करना. रमजान में सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं है. सारी बुराईयों से दूर रहना इस महीने में बेहद जरूरी है.

बता दें कि रमज़ान के महीने में मुसलमान रोज़ा (व्रत) रखते हैं, और सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं. इस बार पहली सहरी (सूरज निकलने से पहले का भोजन) का समय सुबह चार बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा और इफ्तार (व्रत खोने का समय) शाम छह बजकर 42 मिनट पर है यानी करीब 14 घंटे का रोज़ा होगा. सूरज निकलने और डूबने के समय में परिवर्तन के साथ इसमें भी बदलाव होता रहेगा. रमज़ान में मुस्लिम समुदाय के लोग ईशा (पांच वक्त की नमाज़ में रात में साढ़े आठ बजे होने वाली अंतिम नमाज़) के बाद पूरे महीने विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसे ‘तरावीह’ कहा जाता है. इस नमाज़ में कुरान का पाठ किया जाता है.

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Last Updated : Apr 16, 2022, 3:07 PM IST
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