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चैत्र नवरात्र का 9वां दिन, मां सिद्धिदात्री की पूजा से प्राप्त होंगी सिद्धियां - Mother Siddhiidatri

मां सिद्धिदात्री का मंत्र सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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Published : Apr 13, 2019, 10:14 AM IST

पटना: चैत्र नवरात्रि का 9 वां दिन आज है. आज के दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देती हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं. यह भी माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से रूके हुए हर काम पूरे होते हैं और हर काम में सिद्धि मिलती है.

सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां देती हैं
मां सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां की कृपा से उनके उपासक या भक्त के कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

ऐसे करें पूजा
माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी देवताओं की पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें.

मां सिद्धिदात्री का मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर आसन पर बैठा कर भोजन कराकर सबको दक्षिणा और भेंट दी जाती है.

कन्या पूजन के नियम
श्रीमद् देवीभागवत के मुताबिक कन्या पूजन के कुछ नियम भी हैं. इनमें एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका,आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.

पटना: चैत्र नवरात्रि का 9 वां दिन आज है. आज के दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देती हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं. यह भी माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से रूके हुए हर काम पूरे होते हैं और हर काम में सिद्धि मिलती है.

सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां देती हैं
मां सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां की कृपा से उनके उपासक या भक्त के कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

ऐसे करें पूजा
माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी देवताओं की पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें.

मां सिद्धिदात्री का मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर आसन पर बैठा कर भोजन कराकर सबको दक्षिणा और भेंट दी जाती है.

कन्या पूजन के नियम
श्रीमद् देवीभागवत के मुताबिक कन्या पूजन के कुछ नियम भी हैं. इनमें एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका,आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.

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पटना: चैत्र नवरात्रि का 9 वां दिन आज है. आज के दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देती हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं. यह भी माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से रूके हुए हर काम पूरे होते हैं और हर काम में सिद्धि मिलती है.

सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां देती हैं

मां सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां की कृपा से उनके उपासक या भक्त के कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

ऐसे करें पूजा

माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी देवताओं की पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें.

मां सिद्धिदात्री  का मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

कन्या पूजन का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर आसन पर बैठा कर भोजन कराकर सबको दक्षिणा और भेंट दी जाती है.

कन्या पूजन के नियम

श्रीमद् देवीभागवत के मुताबिक कन्या पूजन के कुछ नियम भी हैं. इनमें एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका,आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.


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