पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर प्रत्याशी चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. तमाम उम्मीदवार खुद को दूसरे से योग्य बताकर जनता को रिझाने में लगे हुए हैं. महिला उम्मीदवार भी पंचायत चुनाव में अपने घर की दहलीज को पार कर जनता के बीच जा रही हैं.
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नीतीश सरकार के द्वारा महिला आरक्षण मिलने के बाद पंचायत स्तर पर काफी बदला-बदला रंग देखने को मिल रहा है. पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर महिला कैंडिडेट भी नामांकन कर रही हैं.
सोशल मीडिया पर भी पोस्टर के माध्यम से भी खूब जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है. जो निवर्तमान जनप्रतिनिधि हैं, वह अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं. उसी के आधार पर वोट भी मांग रहे हैं, लेकिन हकीकत तो यहीं है कि जो मुखिया, पंच या सरपंच 5 सालों में अपने पंचायत का विकास नहीं कर पाए हैं, वह भी इन दिनों जनता के कामों को कराने को लेकर दरवाजे-दरवाजे पहुंच रहे हैं.
इस बार पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार मैदान में उतर रहे हैं. वह निवर्तमान मुखिया और वार्ड सदस्य के द्वारा कराई गई योजनाओं पर सवाल खड़ा उठाकर जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हुए हैं. जनता के बीच जाकर हाथ जोड़कर एक बार मौका देनी की मांग कर रहे हैं.
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इस बार पंचायत चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो रहा है. इस बार प्रत्याशियों को अग्नि परीक्षा से भी गुजरना पड़ेगा, क्योंकि डिजिटल दुनिया में पंचायत के हर लोग जागरूक हो गए हैं. किसने कितना काम किया और किसने जनता को बरगलाने का काम किया, इन तमाम चीजों को देखते हुए इस बार मतदाता मतदान करेंगे. हालांकि समय बहुत कम है. पहले चरण के मतदान में बस कुछ दिन शेष बचे हुए हैं.
आपको बताएं कि इस बार 11 चरणों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण का मतदान 24 सितंबर को और अंतिम चरण का मतदान 12 दिसंबर को होगा. चुनाव की घोषणा होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर के कई अधिकारियों का फेरबदल भी किया गया. साथ ही प्रत्याशियों के ऊपर नजर बनाए रखने को लेकर ऑबजर्बर को जिम्मा सौंपा गया है.