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CAIT ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र, ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट फेस्टिवल सेल पर रोक की मांग

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट फेस्टिवल सेल पर आपत्ति जताते हुए वित्तमंत्री और वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने इन ऑनलाइन सेल ऑफर पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है.

कैट
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Published : Oct 7, 2020, 6:40 PM IST

पटना: बिहार के कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों की ओर से लगाए जाने वाली फेस्टिवल सेल पर रोक की मांग की है. कैट की ओर इन कंपनियों पर जीएसटी और आयकर से बचने का संदेह जाहिर किया गया है.

कैट ने ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट की आगामी फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने या इन सेल पर होने वाली बिक्री पर नजर रखने के लिए एक विशेष कार्य बल के गठन की मांग की है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कंपनियों द्वारा की जानी वाली सेल में जीएसटी और आयकर की कोई बचत न हो. कैट ने यह स्पष्ट किया कि व्यापारी ई-कॉमर्स व्यवसाय के खिलाफ नहीं हैं.

पत्र में कैट ने जाहिर की चिंता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 16 अक्टूबर से एक फेस्टिवल सेल आयोजित करने की घोषणा की है. वहीं ऐमजॉन अपना फेस्टिवल सेल 17 अक्टूबर से आयोजित कर रहा है. जो सीधे तौर पर सरकार की एफडीआई नीति का पूरी तरह से उल्लंघन है. इससे इन कंपनियों को एक बड़ी राशि पर लगने वाले जीएसटी से बचने का एक और मौका मिल जाएगा.

कैट की ओर से जारी पत्र
कैट की ओर से जारी पत्र

डिस्काउंट देकर जनता को लुभाने की कोशिश
कैट बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी ने कहा कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने ‘त्योहार बिक्री’ की अवधि के दौरान विशेष रूप से बड़ी संख्या में वस्तुओं की बिक्री की ओर ध्यान आकर्षित किया है. जहां बड़े डिस्काउंट देकर वास्तविक कीमत की तुलना में बहुत कम कीमत पर सामान बेचा जाता है. यह डिस्काउंट 10% से 80% तक होता है जो वस्तु की लागत से काफी कम होता है. यह कंपनियां उस लागत से भी कम मूल्य पर उस वस्तु को बेचती हैं और उसी कीमत पर जीएसटी लगाती है. जबकि सामान्य स्थिति में उक्त वस्तु के वास्तविक बाजार मूल्य पर जीएसटी वसूला जाता है. इसके कारण सरकार को जीएसटी राजस्व का बड़ा नुकसान होता है.

कैट
कैट

राजस्व का हो रहा नुकसान
कमल नोपानी ने कहा कि आनुपातिक रूप से अगर माल की वास्तविक कीमत पर जीएसटी वसूला जाए तो सरकार को आयकर भी अधिक मिलेगा. कैट की ओर से कहा गया है कि हम यह मानते हैं कि ई-कॉमर्स देश में व्यापार करने का भविष्य का तरीका है और किसी भी स्पर्धा से नहीं डरता है. लेकिन इसके लिए देश में सामान स्तर का प्रतिस्पर्धी वातावरण होना जरूरी है.

पटना: बिहार के कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों की ओर से लगाए जाने वाली फेस्टिवल सेल पर रोक की मांग की है. कैट की ओर इन कंपनियों पर जीएसटी और आयकर से बचने का संदेह जाहिर किया गया है.

कैट ने ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट की आगामी फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने या इन सेल पर होने वाली बिक्री पर नजर रखने के लिए एक विशेष कार्य बल के गठन की मांग की है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कंपनियों द्वारा की जानी वाली सेल में जीएसटी और आयकर की कोई बचत न हो. कैट ने यह स्पष्ट किया कि व्यापारी ई-कॉमर्स व्यवसाय के खिलाफ नहीं हैं.

पत्र में कैट ने जाहिर की चिंता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 16 अक्टूबर से एक फेस्टिवल सेल आयोजित करने की घोषणा की है. वहीं ऐमजॉन अपना फेस्टिवल सेल 17 अक्टूबर से आयोजित कर रहा है. जो सीधे तौर पर सरकार की एफडीआई नीति का पूरी तरह से उल्लंघन है. इससे इन कंपनियों को एक बड़ी राशि पर लगने वाले जीएसटी से बचने का एक और मौका मिल जाएगा.

कैट की ओर से जारी पत्र
कैट की ओर से जारी पत्र

डिस्काउंट देकर जनता को लुभाने की कोशिश
कैट बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी ने कहा कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने ‘त्योहार बिक्री’ की अवधि के दौरान विशेष रूप से बड़ी संख्या में वस्तुओं की बिक्री की ओर ध्यान आकर्षित किया है. जहां बड़े डिस्काउंट देकर वास्तविक कीमत की तुलना में बहुत कम कीमत पर सामान बेचा जाता है. यह डिस्काउंट 10% से 80% तक होता है जो वस्तु की लागत से काफी कम होता है. यह कंपनियां उस लागत से भी कम मूल्य पर उस वस्तु को बेचती हैं और उसी कीमत पर जीएसटी लगाती है. जबकि सामान्य स्थिति में उक्त वस्तु के वास्तविक बाजार मूल्य पर जीएसटी वसूला जाता है. इसके कारण सरकार को जीएसटी राजस्व का बड़ा नुकसान होता है.

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राजस्व का हो रहा नुकसान
कमल नोपानी ने कहा कि आनुपातिक रूप से अगर माल की वास्तविक कीमत पर जीएसटी वसूला जाए तो सरकार को आयकर भी अधिक मिलेगा. कैट की ओर से कहा गया है कि हम यह मानते हैं कि ई-कॉमर्स देश में व्यापार करने का भविष्य का तरीका है और किसी भी स्पर्धा से नहीं डरता है. लेकिन इसके लिए देश में सामान स्तर का प्रतिस्पर्धी वातावरण होना जरूरी है.

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