पटना: रामनवमी के बाद बिहार में कई स्थानों पर हिंसा देखने को मिल रही है. हिंसा के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Minister Amit Shah) का कार्यक्रम सासाराम में रद्द हो गया. उसके बाद बिहार में सियासत जारी है. बीजेपी के कई नेताओं की तरफ से कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा जा रहा है. इस्तीफे तक की मांग हो रही है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यपाल से हिंसा को लेकर बात की है और अधिक संख्या में केंद्रीय सशस्त्र बल की तैनाती का निर्देश दिया है. अब जेडीयू ने बीजेपी पर पलटवार किया है.
नहीं लगी थी धारा 144: वहीं हिंसा की घटना को लेकर जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज का कहना है कि आपसी द्वेष के कारण यह घटना हुई है. इसे सांप्रदायिक उन्माद का रंग देने की जरूरत नहीं है. यह कोई कानून व्यवस्था का मामला नहीं है. नीरज ने कहा कि बिहार भारतीय जनता पार्टी के नेता ने फर्जीवाड़ा किया है और 144 लगाने की गलत जानकारी दी है. सच्चाई यह है कि कार्यक्रम करने की हिम्मत नहीं थी. क्योंकि भीड़ नहीं जुटने का डर था.
"बिहार भारतीय जनता पार्टी के नेता ने फर्जीवाड़ा किया है और 144 लगाने की गलत जानकारी दी है. सच्चाई यह है कि कार्यक्रम करने की हिम्मत नहीं थी. क्योंकि भीड़ नहीं जुटने का डर था. मित शाह केंद्रीय गृह मंत्री हैं लेकिन बिहार भाजपा के व्यवसायी वर्ग के जो नेता है. उसका अपमान कर रही है" - नीरज कुमार, प्रवक्ता जेडीयू
बिहार के व्यवसायियों का अपमान कर रहे अमित शाहः नीरज ने कहा अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री हैं लेकिन बिहार भाजपा के व्यवसायी वर्ग के जो नेता है. उसका अपमान कर रही है. संजय जयसवाल को पद मुक्त कर दिया गया तार किशोर प्रसाद को नेता प्रतिपक्ष बनाने योग्य नहीं समझा गया सुशील मोदी का तो फोटो ही गायब कर दिया गया. नीरज ने कहा कि एक साजिश के तहत भाजपा के व्यवसायी वर्ग के नेता को अपमान किया गया है.
'सुरक्षा कारणों से अमित शाह का कार्यक्रम रद्द हुआ है': नीरज ने कहा कि 8 डीएसपी, 2 एसी और 1600 पुलिसकर्मी लगाया गया था. उसके बाद भी क्यों नहीं गए राजनीतिक कायर हैं. इसलिए नहीं गए क्योंकि इन लोगों ने जगजीवन राम के नाम पर जो छात्रवृत्ति थी उसका नाम बदल दिया.बीजेपी की तरफ से साजिद का आरोप लगाने पर नीरज ने कहा कि आखिर नवादा फिर कैसे गए सासाराम में भीड़ नहीं जुटता इस का डर था क्योंकि उपलब्धि के नाम पर जीरो है और इतनी सुरक्षा के बाद भी जब नहीं गए तो हम लोग हिम्मत की सुइया कहां से लाकर दे.