पटना: राज्य सरकार ने संविदा पर काम करने वालों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत अब संविदा कर्मी सरकारी सेवक नहीं माने जाएंगे. इसके साथ ही एक माह का नोटिस देकर या मानदेय देकर उनकी सेवा खत्म की जा सकती है.
कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल कर्मचारी अब सरकारी सेवा में नियमित करने का दावा भी नहीं कर सकते. इसको लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है. विपक्ष का कहना है कि सरकार की नीयत ही नहीं है कि लोगों को रोजगार दे. लोगों को बेरोजगार करने का रास्ता निकाला जा रहा है.
बरगला रहा विपक्ष
विपक्ष के बयान पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा "विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. वह लगातार लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहा है, जिसमें वह सफल नहीं होगा. सरकार ने कहा है कि किसी प्रोजेक्ट के लिए स्थायी नियुक्ति आने पर उसमें संविदाकर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी."
प्रेम रंजन ने कहा "शिक्षक अभ्यर्थियों का आंदोलन या कोई और मुद्दा सभी पर आजकल विपक्ष के नेता राजनीति कर रहे हैं. छात्र-छात्राओं को भड़काया जा रहा है. कानून-व्यवस्था बनाए रखने को पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पर रहा है."
"विपक्ष को पहले जवाब देना चाहिए कि उनके समय मे कितने संविदा कर्मी नियुक्त हुए थे. आज कम से कम विभिन्न प्रोजेक्ट में राज्य सरकार लाखों लोगों को संविदा पर ही सही लेकिन रोजगार तो दिया है. सरकार बनाने से पहले जनता से हमलोगों ने 20 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. इसपर पहली कैबिनेट की बैठक से ही काम शुरू हो गया है. विपक्ष के लोग कुछ भी कर लें बिहार की जनता जानती है कि इनके हित का काम कौन कर सकता है. कभी भी बिहार के लोग विपक्ष के बहकावे में नहीं आएंगे बाइट."- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
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