पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव के बाद लंबे समय तक बिहार से बाहर रहने के बाद अब एक बार फिर से राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. पटना आने के बाद सबसे पहले तेजस्वी यादव ने अतिक्रमण हटाओ अभियान में तोड़े गए दूध मंडी के खिलाफ कई घंटे तक धरना दिया था, और बीजेपी के नेता इसी को लेकर उन पर निशाना साध रहे हैं.
'जातीय कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं तेजस्वी'
बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने जातीय कार्ड खेलने की कोशिश की थी. लेकिन महागठबंधन को सफलता नहीं मिली. अब एक बार फिर से तेजस्वी जातीय कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बिहार की जनता अब विकास चाहती है. इसलिये तेजस्वी को कुछ भी सफलता हाथ नहीं लगने वाला है.
'कई बड़े नेताओं को साइडलाइन कर रहे हैं'
बीजेपी प्रवक्ता अजित चौधरी ने कहा कि आरजेडी की बैठक में भी तेजस्वी यादव कई बड़े नेताओं को इंट्री नहीं देकर उन्हें साइडलाइन कर रहे हैं. परिवार में पहले से कलह है और पार्टी एकजुट नहीं है. कई वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी पहले भी देखने को मिली है. ऐसे में जातीय कार्ड के सहारे ही वो अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं. लेकिन उनहें सफलता नहीं मिलने वाली है.
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लंबे प्रवास के बाद बिहार लौटे हैं तेजस्वी
उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने पहले ही तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया था. वहीं कांग्रेस नेताओं ने भी कई मौकों पर कहा है कि तेजस्वी यादव आरजेडी के नेता हैं. पार्टी में भी कई वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव के रवैये पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव लंबे प्रवास के बाद बिहार लौटे हैं और सक्रियता भी दिखा रहे हैं. लेकिन बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आरजेडी को कितनी सफलता दिला पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी. फिलहाल तेजस्वी पार्टी के सदस्यता अभियान को गति देने की कोशिश जरूर कर रहे हैं.