पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यूएसपी गवर्नेंस है. वह इसके साथ किसी भी सूरत में समझौता नहीं करना चाहते हैं. गवर्नेंस के लिए नीतीश कुमार नौकरशाहों को खुली छूट देने में भरोसा रखते हैं. कई बार नौकरशाह और मंत्री आमने-सामने हो जाते हैं. वैसे स्थिति में भी नीतीश का समर्थन नौकरशाहों को मिलता है. पहली बार सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के सामने दबाव में दिख रहे हैं.
बीजेपी ने नीतीश की बढ़ाई मुश्किलें
बिहार में कोरोना संकट के दौरान नीतीश सरकार की जमकर फजीहत हुई है. विपक्ष सरकार पर लगातार हमले बोल रही है. ऐसे में एक बार फिर मंत्री और नौकरशाह के बीच विवाद उभरकर सामने आया है. इस किरकिरी से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग में पिछले 3 महीने के दौरान तीसरे पदाधिकारी की तैनाती हुई है. पहले दो प्रधान सचिव संजय कुमार और कुमावत को स्वास्थ्य मंत्री के नाराजगी के चलते हटना पड़ा था.
नीतीश कुमार की नौकरशाहों के प्रति साफ्ट कार्नर पहले से जगजाहिर है. नीतीश कुमार अपने मंत्रियों की शिकायत पर प्रधान सचिव का वॉलपेपर नहीं हटाते हैं. लेकिन बदली परिस्थितियों में शायद नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में है.
स्वास्थ्य विभाग के दो प्रधान सचिव का हुआ है ताबादला
महागठबंधन के साथ सब कुछ खत्म होने के बाद नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए थे. जिसके बाद एक बार फिर सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मंत्रियों से साफ तौर पर कहा था कि वह विभाग के अधिकारियों से झगड़ा करने से बचें. मुख्यमंत्री को यह पसंद नहीं है. लेकिन अब बिहार के राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी है और नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में हैं या फिर मौका है कि जब बीजेपी कोटे के मंत्री के दबाव में रितेश कुमार को दो प्रधान सचिव को हटाना पड़ा हो. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की शिकायत को मुख्यमंत्री ने बेहद गंभीरता से लिया.
विपक्ष कर रही है राजनीति
वहीं पूरे मसले पर बीजेपी की तरफ से सफाई दी गई है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि अधिकारियों के तबादले के मसले पर विपक्ष राजनीति कर रहा है. अधिकारियों का तबादला रूटीन वर्क है और वह मुख्यमंत्री का अधिकार है. अधिकारियों की क्षमता के हिसाब से उनका ट्रांसफर होता है.