पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं बीजेपी सांसद सुशील मोदी (BJP MP Sushil Modi) ने कहा कि भाजपा हमेशा जातीय जनगणना के पक्ष में रही. पिछले साल 2 जून को बिहार में जातीय जनगणना कराने का कैबिनेट का फैसला भी उस सरकार का था, जिसमें दो उपमुख्यमंत्री भाजपा के थे. उन्होंने कहा कि महागठबंधन को इसका श्रेय लूटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
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जातीय जनगणना का फैसला NDA सरकार का- सुमो : सुशील मोदी ने शनिवार को कहा कि भाजपा ने विधान सभा और विधान परिषद में जातीय जनगणना का समर्थन (Caste Census In Bihar) किया. हमारी पार्टी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल थी. ये सारी बातें ऑन रिकार्ड हैं. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का फैसला जिस एनडीए सरकार ने किया, उसमें तेजस्वी प्रसाद यादव उपमुख्यमंत्री नहीं थे.
''वर्ष 2011 में जब सामाजिक, आर्थिक और जातीय आधार पर जनगणना कराने पर संसद में चर्चा हुई, तब भी भाजपा ने इस मांग का समर्थन किया था. कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार तीसरा राज्य है, जहां भाजपा के समर्थन से जातीय जनगणना शुरू हो रही है. जातीय जनगणना में लोगों से क्या-क्या सवाल पूछे जाएंगे और गणना की प्रकिया क्या होगी, इसकी जानकारी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को देने के लिए सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.''- सुशील मोदी, बीजेपी के राज्यसभा सांसद
'श्रेय लेने वालों को जवाब देना चाहिए' : सुशील मोदी ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से सवाल करते हुए कहा कि उन्हें यह बताना चाहिए कि जब जातीय जनगणना शुरू कराने देने का फैसला जून 2022 में हुआ था, तब यह काम सात महीने देर से जनवरी 2023 में क्यों शुरू कराया जा रहा है? श्रेय लेने वालों को इसका जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए गठित विशेष आयोग की रिपोर्ट अब तक सार्वजानिक नहीं की गई. क्या सरकार गारंटी देगी कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजानिक की जाएगी ?