नयी दिल्ली/पटना: चिराग पासवान को एनडीए में लाने की मांग बीजेपी की तरफ से तेज हो गई है. बीजेपी सांसद अजय निषाद के बाद रामकृपाल यादव (BJP MP Ram kripal Yadav) ने चिराग पासवान को ऐसे वक्त में NDA में शामिल करने की मांग (Chirag should be included in NDA) की है जब बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा है. बिहार के पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से सांसद रामकृपाल यादव ने NDA का कुनबा बढ़ाने के लिए चिराग को वापस 'राजग' (National Democratic Alliance) में शामिल कराने की मांग बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से की है.
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बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि एनडीए का कुनबा और बढ़े. इसमें और भी ज्यादा दल आएं. चिराग को वापस एनडीए में आना चाहिए. उनके आने से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और मजबूत होगा. एनडीए का कुनबा बढ़ेगा तो विपक्ष से हम लोग और मजबूती से लड़ेंगे. चिराग के पिता दिवंगत राम विलास पासवान लालू जी के साथ लंबे समय तक रहे लेकिन लालू जी ने हमेशा उनको धोखा दिया. मुझे उम्मीद है कि चिराग पासवान ऐसी गलती नहीं करेंगे और वह राजद के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे.
रामकृपाल ने कहा कि जदयू को चिराग पासवान से क्या दिक्कत है मुझे नहीं मालूम. जदयू को अगर कोई दिक्कत होगा तो उस पर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व विचार करेगा कि किस तरह चिराग की NDA में वापसी कराई जाए. ताकि भविष्य में जदयू को कोई दिक्कत ना हो.
दरअसल, लेखक दया प्रकाश सिन्हा के मुद्दे पर बीजेपी और जदयू में पहले से गरमाहट है. ऊपर से अब एनडीए में चिराग के वापसी की मांग के चलते BJP-JDU के रिश्तों में खटास आनी तय है. पहले से जदयू अशोक की तुलना औरंगजेब से करने पर खफा है. इसके बाद जदयू ने आरोप लगाया था कि दया प्रकाश बीजेपी के कल्चरल सेल के हेड रह चुके हैं. इनको जो पद्मश्री सम्मान मिला है उसको पीएम मोदी वापस लें. ट्विटर पर इस को लेकर जदयू अभियान भी चला रही थी और PM मोदी को टैग कर रही थी जिस पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कहा था कि राष्ट्रपति से पदम श्री अवॉर्ड दया प्रकाश सिन्हा को मिला. इसलिए टि्वटर टि्वटर खेलना जदयू बंद करें व पूरे मामले में पीएम को ना घसीटें.
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संजय जयसवाल ने यहां तक कहा था कि- 'कहीं ऐसा ना हो कि नीतीश की कुर्सी चली जाए. शराबबंदी, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, जाति जनगणना पर बीजेपी और जदयू में तकरार अब भी जारी है. अभी तक इन मुद्दों पर गतिरोध बरकरार है. चिराग पासवान को जदयू बिल्कुल पसंद नहीं करती है. बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने जदयू के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार दिया था, जिसके चलते जदयू 43 सीटों पर सिमट गई थी. जदयू को आज भी लगता है कि बीजेपी के कहने पर चिराग ने ऐसा किया था.
चिराग के चाचा पशुपति पारस के साथ कुल 5 सांसद पार्टी से अलग हो गए. पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री भी बने. जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव का बदला जदयू ने लोजपा में टूट कराकर लिया. कहा तो यहां तक जाता है कि पारस को केंद्रीय मंत्री बनवाने में नीतीश का अहम योगदान है. ऐसा करके चिराग से बदला लिया गया. बीजेपी लागातार जदयू की राह में रोड़े डाल रही है. देखना ये है कि रामकृपाल की मांग को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व किस हद तक स्वीकार करता है? सवाल ये भी कि बीजेपी चिराग के बहाने JDU को घेरने का संयोग बना रही है या प्रेशर पॉलिटिक्स का प्रयोग कर रही है ?
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