पटना : बीजेपी बिहार में गठबंधन सहयोगी है, लेकिन उसके नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) सरकार से खुश नहीं हैं. पार्टी का मानना है कि सरकार बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की धार्मिक संस्कृति की उपेक्षा कर रही है. बीजेपी के संगठन में महत्वपूर्ण पद पर आसीन पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी (BJP Ex MLA Mithilesh Tiwari) ने एक फेसबुक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने हिंदू धार्मिक संस्कृति पर नीतीश कुमार सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर दिया है.
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फेसबुक पोस्ट में मिथिलेश तिवारी ने लिखा है कि ''बिहार सरकार ने पटना में करोड़ों की लागत से अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों के संचालन के लिए हज भवन का निर्माण कराया है. यह स्वागत योग्य है. लेकिन अब सरकार बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए भी सोचे. हिंदू तीर्थयात्रियों के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए पटना और गया में तीर्थ भवन का निर्माण सरकार कराए.''
उन्होंने आगे लिखा- ''पूरी दुनिया से हिंदू अपने पुरखों का पिंडदान करने के लिए गया आते हैं. लेकिन गया में अभी तक सभी सुविधाओं से युक्त तीर्थ भवन का निर्माण सरकार ने नहीं कराया है. तीर्थ यात्रा पर जाने वाले, कांवड़िया के लिए कहीं भी तीर्थ भवन नहीं है. तीर्थ यात्रियों को रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और हवाईअड्डे पर रात गुजारनी पड़ती है. यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. यदि वक्फ बोर्ड की खाली जमीन पर वक्फ भवन बनाना चाहती है तो धार्मिक न्यास बोर्ड, मठ-मंदिरों की खाली जमीनों पर तीर्थ भवन का निर्माण कराए.''
संस्कृत की उपेक्षा पर सवाल: बीजेपी नेता मिथिलेश तिवारी ने संस्कृत शिक्षा की उपेक्षा पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि बिहार में 32 वर्षों से संस्कृत की उपेक्षा हो रही हैं संस्कृत विद्यालय और संस्कृत शिक्षक लंबे समय से अनुदान की राह ताक रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है. संस्कृत देवभाषा है. संस्कृत और संस्कृति के बिना हिंदू सनातन धर्म कैसे बचेगा? यह अत्यंत ही चिंताजनक है. बिहार के छात्रों को वेद और ज्योतिष विद्या की शिक्षा के लिए बनारस या प्रयाग जाना पड़ता है. बिहार में ये सुविधा क्यों नहीं है. इस पर सीएम नीतीश कुमार गंभीरता से ध्यान दें.
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