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बिहार शिक्षक संघ की मांग 'नजदीकी स्कूलों में दर्ज हो शिक्षकों की उपस्थिति'

कोरोना संक्रमण को देखते हुए बिहार शिक्षक संघ ने मांग की है कि शिक्षकों की उपस्थिति उनके निवास स्थान के नजदीक पड़ने वाले सरकारी स्कूलों में दर्ज हो. शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि अब तक कोरोना के दूसरी लहर आने के बाद 12 शिक्षक कोरोना से ग्रसित होने के बाद काल की गाल में समा चुके हैं.

पटना
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Published : Apr 15, 2021, 8:11 PM IST

पटना: देशभर कोरोना एक बार फिर से कहर बरपा रहा है. कोरोना की यह दूसरी लहर काफी तेजी से फैलती जा रही है. बीते 24 घंटे में 2 लाख से अधिक कोरोना संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है. 1000 हजार से अधिक मौतों की खबर सामने आ चुकी है. वहीं, प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है. बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ का दावा है कि बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित शिक्षक और शिक्षिका अस्पताल में भर्ती हैं और कई की तो हालत भी गंभीर है. ऐसे में संघ की मांग है कि महिलाओं और दिव्यांग शिक्षकों के लिए सरकार बीते साल जैसे व्यवस्था लागू करें.

सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए आदेश जारी किया है कि किसी भी दफ्तर में 33% से ज्यादा कर्मचारी उपस्थित नहीं होंगे. सूबे के तमाम सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य की गई है. इसका नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षिका कोरोना से संक्रमित हो गए.

देखें रिपोर्ट

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दूसरे लहर में अब तक 12 शिक्षकों की मौत
बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ का दावा है कि 12 से ज्यादा शिक्षकों की अब तक कोरोना से मौत हो चुकी है. कई शिक्षक और शिक्षिका गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि सरकार को अविलंब पिछले साल जैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए.

नजदीकी स्कूलों में हाजरी लगाने की मांग
बता दें कि पिछले साल सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए सरकारी स्कूलों के शिक्षिकाओं और दिव्यांग शिक्षकों को अपने आवास के नजदीकी सरकारी स्कूल में उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश जारी किया था. कुछ ऐसा ही आदेश इस बार भी जारी किए जाने की मांग शिक्षक संघ ने की है.

'ऐसी भयावह स्थिति में शिक्षकों और उनके परिवार को परेशानी में डालना कहीं से उचित नहीं है. क्योंकि इससे ना सिर्फ शिक्षकों के घर में बल्कि स्कूल में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. इसलिए सरकार को अविलंब पिछले साल जैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए. जो शिक्षक और शिक्षिकाएं कोरोना संक्रमण के शिकार हुए हैं. सरकार को अविलंब उनके परिवार को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए'.- मनोज कुमार, शिक्षक संघ कार्यकारी अध्यक्ष

एक बार में 33 फीसदी शिक्षक हो सकेंगे उपस्थित
शिक्षकों की इस मांग को देखते हुए और संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए शिक्षा विभाग की तरफ से आज ही एक नया आदेश जारी हुआ है. जिसके तहत अब सरकारी स्कूलों में महज 33 फीसदी शिक्षक ही एक बार में उपस्थित होंगे. सभी शिक्षकों को हर दिन स्कूल पहुंचकर हाजिरी बनाना अनिवार्य नहीं है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जो आदेश सरकार के तमाम विभागों के लिए हैं. वही, आदेश स्कूलों और कॉलेजों के लिए लागू किया जा रहा है.

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सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए आदेश जारी किया है कि किसी भी दफ्तर में 33% से ज्यादा कर्मचारी उपस्थित नहीं होंगे. सूबे के तमाम सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य की गई है. इसका नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षिका कोरोना से संक्रमित हो गए.

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दूसरे लहर में अब तक 12 शिक्षकों की मौत
बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ का दावा है कि 12 से ज्यादा शिक्षकों की अब तक कोरोना से मौत हो चुकी है. कई शिक्षक और शिक्षिका गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि सरकार को अविलंब पिछले साल जैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए.

नजदीकी स्कूलों में हाजरी लगाने की मांग
बता दें कि पिछले साल सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए सरकारी स्कूलों के शिक्षिकाओं और दिव्यांग शिक्षकों को अपने आवास के नजदीकी सरकारी स्कूल में उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश जारी किया था. कुछ ऐसा ही आदेश इस बार भी जारी किए जाने की मांग शिक्षक संघ ने की है.

'ऐसी भयावह स्थिति में शिक्षकों और उनके परिवार को परेशानी में डालना कहीं से उचित नहीं है. क्योंकि इससे ना सिर्फ शिक्षकों के घर में बल्कि स्कूल में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. इसलिए सरकार को अविलंब पिछले साल जैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए. जो शिक्षक और शिक्षिकाएं कोरोना संक्रमण के शिकार हुए हैं. सरकार को अविलंब उनके परिवार को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए'.- मनोज कुमार, शिक्षक संघ कार्यकारी अध्यक्ष

एक बार में 33 फीसदी शिक्षक हो सकेंगे उपस्थित
शिक्षकों की इस मांग को देखते हुए और संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए शिक्षा विभाग की तरफ से आज ही एक नया आदेश जारी हुआ है. जिसके तहत अब सरकारी स्कूलों में महज 33 फीसदी शिक्षक ही एक बार में उपस्थित होंगे. सभी शिक्षकों को हर दिन स्कूल पहुंचकर हाजिरी बनाना अनिवार्य नहीं है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जो आदेश सरकार के तमाम विभागों के लिए हैं. वही, आदेश स्कूलों और कॉलेजों के लिए लागू किया जा रहा है.

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