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शिक्षक संघ की मांग: नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों की स्थाई और पूर्ण वेतनमान पर हो नियुक्ति

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि शिक्षकों को गरिमा पूर्ण वेतनमान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना बेईमानी है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने यह कहते हुए सरकार से मांग की है कि नई शिक्षा नीति के मुताबिक शिक्षकों की स्थाई और पूर्ण वेतनमान पर नियुक्ति होनी चाहिए.

Teacher union demand
शिक्षक संघ की मांग
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Published : Jul 31, 2020, 1:01 PM IST

पटना: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने सरकार की नई शिक्षा नीति के हवाले से कहा कि इस नीति में शिक्षामित्र, पारा शिक्षक, संविदा शिक्षक अथवा कम वेतन पर नियोजन या नियुक्ति नहीं करने की बात कही गई है. लेकिन बिहार में कम वेतन पर नियोजित शिक्षकों से न सिर्फ काम लिया जा रहा है बल्कि नियोजन की प्रक्रिया भी बदस्तूर जारी है. उन्होंने कहा कि सरकार को नियोजन के आधार पर या अल्प वेतन पर शिक्षकों की नियुक्ति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए. इसके साथ ही नियमित वेतनमान पर योग्य और कुशल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.

गैर शैक्षणिक कार्य से पूरी तरह मुक्त करने की मांग
प्रवक्ता ने नई शिक्षा नीति के प्रावधान के अनुसार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से पूरी तरह मुक्त करने की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में स्पष्ट है कि जब तक शिक्षकों का सम्मानजनक और गरिमा पूर्ण वेतन मान नहीं होगा तब तक शिक्षा में गुणात्मक विकास असंभव है. साथ ही कहा कि शिक्षा को पंचायती राज्य मुक्त करने और माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है. जो बेहतर कदम है. नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत तक खर्च करने की बात कही गई है. लेकिन वर्तमान परिवेश में 10 प्रतिशत खर्च होना चाहिए. इसमें पिछड़े राज्यों को ज्यादा से ज्यादा सहायता मिलनी चाहिए.

समाज के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए रोडवेज पद्धति के माध्यम की बात कही गई है. नई शिक्षा नीति से स्पष्ट है कि शिक्षा और विद्यालयों की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया है. ऐसा न हो कि मात्रात्मक शिक्षा का विकास हो. लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास एक बार फिर सपना रह जाए. उन्होंने कहा कि बेहतर समाज के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम है और समाज में शिक्षकों के उत्थान और सम्मान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेईमानी है. नई शिक्षा नीति में शिक्षकों के लिए अर्हता और चयन की प्रक्रिया काफी कठिन करने की बात जरूर कही गई है. लेकिन उनके वेतन पर स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए पूरी दुनिया में अपने बेहतर शिक्षा के लिए मशहूर स्वीडन और फिनलैंड की तरह ही शिक्षकों को वेतन संरचना अपने देश में भी लागू किया जाना चाहिए.

वोकेशनल विषयों पर जोर
अभिषेक कुमार ने कहा कि शिक्षा नीति में निजी विद्यालयों की थी और संचालन की स्वतंत्रता की बात कही गई है. जो एक बार फिर समाज में शिक्षा की असमानता पैदा करेगा. नई शिक्षा नीति के मुताबिक फिजिक्स के साथ होम साइंस लेने की छूट है इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन शिक्षा को डायरेक्ट रोजगार से कनेक्ट करने की योजना बनाई गई है. जिससे इसकी आशंका ज्यादा है कि शिक्षा का मूल उद्देश्य खो हो जाएगा. वोकेशनल विषयों पर जोर दिया गया है. ऐसे में प्रश्न यह भी है कि क्या इससे साहित्य और कला जैसी शिक्षा का उद्देश्य खत्म हो जाएगा.

पटना: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने सरकार की नई शिक्षा नीति के हवाले से कहा कि इस नीति में शिक्षामित्र, पारा शिक्षक, संविदा शिक्षक अथवा कम वेतन पर नियोजन या नियुक्ति नहीं करने की बात कही गई है. लेकिन बिहार में कम वेतन पर नियोजित शिक्षकों से न सिर्फ काम लिया जा रहा है बल्कि नियोजन की प्रक्रिया भी बदस्तूर जारी है. उन्होंने कहा कि सरकार को नियोजन के आधार पर या अल्प वेतन पर शिक्षकों की नियुक्ति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए. इसके साथ ही नियमित वेतनमान पर योग्य और कुशल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.

गैर शैक्षणिक कार्य से पूरी तरह मुक्त करने की मांग
प्रवक्ता ने नई शिक्षा नीति के प्रावधान के अनुसार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से पूरी तरह मुक्त करने की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में स्पष्ट है कि जब तक शिक्षकों का सम्मानजनक और गरिमा पूर्ण वेतन मान नहीं होगा तब तक शिक्षा में गुणात्मक विकास असंभव है. साथ ही कहा कि शिक्षा को पंचायती राज्य मुक्त करने और माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है. जो बेहतर कदम है. नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत तक खर्च करने की बात कही गई है. लेकिन वर्तमान परिवेश में 10 प्रतिशत खर्च होना चाहिए. इसमें पिछड़े राज्यों को ज्यादा से ज्यादा सहायता मिलनी चाहिए.

समाज के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए रोडवेज पद्धति के माध्यम की बात कही गई है. नई शिक्षा नीति से स्पष्ट है कि शिक्षा और विद्यालयों की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया है. ऐसा न हो कि मात्रात्मक शिक्षा का विकास हो. लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास एक बार फिर सपना रह जाए. उन्होंने कहा कि बेहतर समाज के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम है और समाज में शिक्षकों के उत्थान और सम्मान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेईमानी है. नई शिक्षा नीति में शिक्षकों के लिए अर्हता और चयन की प्रक्रिया काफी कठिन करने की बात जरूर कही गई है. लेकिन उनके वेतन पर स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए पूरी दुनिया में अपने बेहतर शिक्षा के लिए मशहूर स्वीडन और फिनलैंड की तरह ही शिक्षकों को वेतन संरचना अपने देश में भी लागू किया जाना चाहिए.

वोकेशनल विषयों पर जोर
अभिषेक कुमार ने कहा कि शिक्षा नीति में निजी विद्यालयों की थी और संचालन की स्वतंत्रता की बात कही गई है. जो एक बार फिर समाज में शिक्षा की असमानता पैदा करेगा. नई शिक्षा नीति के मुताबिक फिजिक्स के साथ होम साइंस लेने की छूट है इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन शिक्षा को डायरेक्ट रोजगार से कनेक्ट करने की योजना बनाई गई है. जिससे इसकी आशंका ज्यादा है कि शिक्षा का मूल उद्देश्य खो हो जाएगा. वोकेशनल विषयों पर जोर दिया गया है. ऐसे में प्रश्न यह भी है कि क्या इससे साहित्य और कला जैसी शिक्षा का उद्देश्य खत्म हो जाएगा.

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