पटना: बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन संघ ने नव नियुक्त टीचरों (Bihar primary teachers did not get salary ) के वेतन का भुगतान जल्द करने की मांग की है. संघ के अध्यक्ष सौरव कुमार ने बताया कि गत 23 फरवरी से बिहार में 40 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली को शुरू किया गया. शिक्षकों को नौकरी तो मिली लेकिन उनकी समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.
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नियुक्ति का दूसरा महीना: सौरव बताते हैं कि अलग अलग चरणों के माध्यम से शिक्षकों का काउंसलिंग करके उनका चयन किया गया. उनकी नियुक्ति का दूसरा महीना चल रहा है. करोना लॉकडाउन ने ऐसे ही नवनियुक्त शिक्षकों को आर्थिक तंगी का शिकार बना दिया था और अब सरकार द्वारा डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर वेतन संबंधित कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है, जबकि हमारे ज्यादातर नये शिक्षकों का नियोजन दूसरे जिलों में हुआ है. शिक्षक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं.
'ना वेतन मिला ना सही जगह पर पोस्टिंग': सौरव यह भी कहते हैं कि सरकार द्वारा ये कहा गया था कि प्रशिक्षण का जांच करके वेतन दे दिया जायेगा. लेकिन अभी तक न ही जांच संबंधित कार्य का पता चल रहा है और ना ही वेतन संबंधित. विगत कुछ दिनों में ही हमारे कई साथी दुर्घटना का शिकार हो गये और उनकी मृत्यु हो गयी. जिसका मुख्य कारण आर्थिक समस्या था. अगर सरकार उन्हें नजदीक का विद्यालय देती या ससमय वेतन देती तो वो विद्यालय के नजदीक अपने रहने का इंतजाम कर लेते.
"सरकार द्वारा नियुक्ति के वक्त हमलोगों द्वारा डॉक्यूमेंट सही होने का शपथ पत्र ले लिया गया था. सरकार की लेट लतीफी के कारण हमारे कई साथी मौत का शिकार हो रहे हैं. सरकार अविलम्ब जांच में तेजी लाते हुए हमारे वेतन का भुगतान शुरू करे ताकि नये टीचर अपनी जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से समझते हुए शिक्षण कार्य में बेहतर तरीके से योगदान दे सकें."- सौरव कुमार,अध्यक्ष,बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन संघ
वेतन नहीं मिलने से शिक्षकों की बढ़ी परेशानी: बता दें कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार में निगरानी विभाग वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच नियोजित हुए शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर रहा है. ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. हालांकि इनमें से करीब 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने या तो नौकरी से रिजाइन कर दिया है या उनकी मौत हो चुकी है. अब बचे करीब 90 हजार शिक्षकों ने पिछले साल शिक्षा विभाग के द्वारा निर्देशित वेबसाइट पर अपने दस्तावेज अपलोड किए, लेकिन अब परेशानी यह है कि उन दस्तावेजों का सत्यापन तभी हो पाएगा जब नियोजन इकाई में जमा रिकॉर्ड से उनका मिलान होगा. लेकिन किसी भी नियोजन इकाई के पास ना तो उस वक्त जारी हुई मेरिट लिस्ट है और ना ही इन शिक्षकों से जुड़े कोई और रिकॉर्ड, जिससे इन दस्तावेजों का मिलान किया जा सके. बता दें कि राज्य में शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 में लागू हुई.
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