पटना: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाले संस्थानों पर कड़ा एक्शन लिया है. इसे अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई बताई जा रही है. इस कार्रवाई में सरकारी संस्थान समेत कई बड़े अस्पताल शामिल हैं, जिसे बंद करने का आदेश दिया गया है. इसमें सबसे बड़ा नाम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज का है. प्रदूषण बोर्ड के मुताबिक चेतावनी के बाद भी मेडिकल संस्थान मेडिकल कचरे का सही तरीके से निपटारा नहीं कर पा रहे थे.
बिहार प्रदूषण बोर्ड ने सख्त कार्रवाई करते हुए 219 संस्थानों को 15 दिनों के अंदर बंद करने का आदेश दिया है. इन सभी संस्थानों से बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निपटारा नहीं किया जा रहा था. इस संबंध में कई बार चेतावनी दी गई. बावजूद इसके संस्थान ने इस पर ध्यान नहीं दिया. मेडिकल कचरा फैलाने के दोषी पाए गए सभी संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई हुई है.
चेतावनी के बाद भी मनमानी कर रहे थे संस्थान
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार घोष ने इस संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा गड़बड़ी पटना स्थित नर्सिंग होम, अस्पताल और पैथ लैब कर रहे हैं. जिसको लेकर पत्र भेजकर कई बार चेतावनी दी गई. इसके अलावा अखबारों में संबंधित संस्थानों के नाम के साथ चेतावनी जारी की गई. लेकिन बार-बार चेतावनी के बावजूद इन संस्थानों ने नियम कानून की अवहेलना जारी रखी.
आयुर्वेदिक और तिब्बी कॉलेज होंगे बंद
डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि सभी संस्थानों को गाइडलाइंस फॉलो करने का निर्देश दिया गया था. ऐसा नहीं करने पर मजबूरन कड़ी कार्रवाई की गई है. आपको बता दें कि पटना स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और तिब्बी कॉलेज का नाम इसमें प्रमुख है.
यह भी पढ़ेः मधुबनीः CM नीतीश ने क्षतिग्रस्त बांध का किया हवाई सर्वेक्षण
मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश
ये कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत की गई है. इसमें 72 नर्सिंग होम, 74 पैथोलॉजी केंद्र और 73 डेंटल हॉस्पिटल शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर पटना जिले में स्थित है. वहीं बोर्ड ने बंद होने वाले नर्सिंग होम में इलाज करा रहे मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कराने का आदेश सिविल सर्जन को दिया है. बोर्ड के आदेश के बाद भी संस्थान बंद नहीं करने पर इससे भी कड़ी कार्रवाई की बात कही गई है.