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कांग्रेस बढ़ा रही Kanhaiya Kumar का सियासी कद, पार्टी को कितना मिलेगा पॉलिटिकल फायदा? - ईटीवी भारत बिहार

2021 में कांग्रेस से जुड़ने वाले कन्हैया कुमार को कुछ ही समय में राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी गई. पार्टी में कन्हैया के बढ़ते कद के पीछे कई कारण हैं. यह कारण कांग्रेस के लिए कन्हैया कुमार को जरूरी बनाते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया कुमार का कद
कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया कुमार का कद
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 23, 2023, 7:54 PM IST

कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया का कद

पटना: 2 साल पहले कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए थे. 2019 में बेगूसराय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार थे और उनके चुनाव पर बेगूसराय में दिग्गजों की महफिल सजी थी. हालांकि लालू परिवार के नजरअंदाज किए जाने के कारण गिरिराज सिंह को टक्कर नहीं दे पाए. लालू यादव और तेजस्वी यादव, कन्हैया को लेकर अपने रुख का संकेत देते रहे हैं.

पढ़ें- Opposition Unity: तेजस्वी को कांग्रेस से इकरार.. पर कन्हैया कुमार से इनकार! जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया का कद!: असल में लालू यादव नहीं चाहते हैं कि बिहार में तेजस्वी के सामने कोई युवा चेहरा राजनीति में चुनौती देने के लिए खड़ा हो. यह एक बड़ा कारण रहा कि कन्हैया कुमार चर्चा के बाद भी बिहार में कांग्रेस के अब तक चेहरा नहीं बन पाए हैं, लेकिन अब पार्टी ने उनका कद बढ़ाना शुरू किया है.

आरजेडी ने साधी चुप्पी: 2024 और 2025 की तैयारी को लेकर कांग्रेस का यह फैसला माना जा रहा है. इसमें कन्हैया को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी गई है. ऐसे तो बिहार से मीरा कुमार और तारिक अनवर भी राष्ट्रीय कार्यसमिति में शामिल हैं, लेकिन कन्हैया कुमार को बिहार के युवा चेहरे के तौर पर शामिल किया गया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कन्हैया अभी टेस्ट में चल रहे हैं. वहीं आरजेडी ने कन्हैया को लेकर चुप्पी साध ली है.

बेगूसराय में कन्हैया को मिली थी शिकस्त: कन्हैया कुमार 2019 में जब लोकसभा का चुनाव सीपीआई के बैनर तले लड़े थे तो उस समय बेगूसराय लोकसभा सीट पूरे देश में हॉट केक बन गया था. शबाना आजमी सहित फिल्म साहित्य और उन क्षेत्र के दिग्गज कन्हैया के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे थे. हालांकि गिरिराज सिंह को कन्हैया कुमार मात नहीं दे सके और इसका बड़ा कारण राजद का रुख था. राजद ने बेगूसराय से अपना उम्मीदवार दे दिया था.

ईटीवी भारत GFX
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कांग्रेस का कन्हैया को सपोर्ट: कन्हैया कुमार उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गये क्योंकि उन्हें लगने लगा कि सीपीआई में रहते उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होने वाली है. जब कांग्रेस में राहुल गांधी की मौजूदगी में शामिल हुए तो चर्चा होने लगी कि कन्हैया कुमार को बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन कांग्रेस यह फैसला नहीं ले पाई और इसका बड़ा कारण यह माना गया लालू और तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार को बिहार में कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी दे. हालांकि कांग्रेस ने 2 साल बाद एनएसयूआई का प्रभारी बनाया है और अब राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह देकर कद को बढ़ाने की कोशिश की है.

तेजस्वी और कन्हैया के बीच दूरी!: कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं और एक बड़े वर्ग में अपनी पकड़ अपने भाषणों के बल पर बनाते रहे हैं. यही कारण रहा है कि तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं. जिस कार्यक्रम में कन्हैया कुमार शामिल हो गए, तेजस्वी यादव उससे दूरी बना लेते हैं. लेकिन अब कांग्रेस कन्हैया कुमार को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह देकर 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव में बेहतर ढंग से उनका इस्तेमाल करने की तैयारी में है.

"कन्हैया कुमार अभी टेस्ट में चल रहे हैं. सफल होंगे तब राहुल गांधी उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी देंगे."- समीर कुमार सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

"कन्हैया ने पहले उन्हें ठगा और अब कांग्रेस उन्हें ठग रही है. तेजस्वी यादव के डर से कांग्रेस ने कन्हैया को बिहार का अध्यक्ष नहीं बनाया था. अब लॉलीपॉप दी है लेकिन उसका बहुत ज्यादा फायदा मिलने वाला नहीं है. क्योंकि कन्हैया के चाल चरित्र को सभी लोग जानते हैं."- भीम सिंह, उपाध्यक्ष भाजपा

"कन्हैया कुमार आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर अपनी बात मजबूती से रखते हैं. युवा वर्ग में उनकी विशेष पकड़ है. उनके पास पहले पद नहीं था तो अब पद मिलने से निश्चित रूप से बिहार में 2024 के चुनाव के बाद 2025 में बेहतर प्रदर्शन करेंगे."- हरे राम चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार

भूमिहार वोट बैंक पर नजर: कन्हैया कुमार के राजनीतिक जीवन की बात करें तो 2019 में सीपीआई के उम्मीदवार के रूप में बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन बुरी तरह हार गए थे. उसके बाद कन्हैया कांग्रेस में शामिल हो गए, लोकतंत्र के लिए कांग्रेस को बचाना उस समय जरूरी बताया था. बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की खूब चर्चा होती रही लेकिन 2 साल बाद एनएसयूआई का प्रभारी बनाया गया. अब कन्हैया को राष्ट्रीय कार्यक्रम समिति में भी जगह दी गई है. कन्हैया भूमिहार वर्ग से आते हैं और इस वर्ग के वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर है. कन्हैया के लिए महागठबंधन खेमे में ही तेजस्वी सबसे बड़ी चुनौती हैं. अब तक उनके साथ तालमेल नहीं बैठा पाए हैं.

अपर कास्ट की पॉलिटिक्स: कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चर्चा में रहे हैं और कई विवादों में भी रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर खुलकर बोलते रहे हैं. यह बड़ा कारण रहा है कि राहुल के खास बने हुए हैं. कन्हैया कुमार भूमिहार वर्ग से आते हैं और बिहार में इन दिनों अपर कास्ट की पॉलिटिक्स कांग्रेस कर रही है. बीजेपी से यह वोट बैंक कांग्रेस छीनना चाहती है और इसमें कन्हैया कुमार बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कांग्रेस की ओर से कन्हैया को तरजीह देने का यह भी एक बड़ा कारण है.

कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया का कद

पटना: 2 साल पहले कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए थे. 2019 में बेगूसराय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार थे और उनके चुनाव पर बेगूसराय में दिग्गजों की महफिल सजी थी. हालांकि लालू परिवार के नजरअंदाज किए जाने के कारण गिरिराज सिंह को टक्कर नहीं दे पाए. लालू यादव और तेजस्वी यादव, कन्हैया को लेकर अपने रुख का संकेत देते रहे हैं.

पढ़ें- Opposition Unity: तेजस्वी को कांग्रेस से इकरार.. पर कन्हैया कुमार से इनकार! जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

कांग्रेस बढ़ा रही कन्हैया का कद!: असल में लालू यादव नहीं चाहते हैं कि बिहार में तेजस्वी के सामने कोई युवा चेहरा राजनीति में चुनौती देने के लिए खड़ा हो. यह एक बड़ा कारण रहा कि कन्हैया कुमार चर्चा के बाद भी बिहार में कांग्रेस के अब तक चेहरा नहीं बन पाए हैं, लेकिन अब पार्टी ने उनका कद बढ़ाना शुरू किया है.

आरजेडी ने साधी चुप्पी: 2024 और 2025 की तैयारी को लेकर कांग्रेस का यह फैसला माना जा रहा है. इसमें कन्हैया को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी गई है. ऐसे तो बिहार से मीरा कुमार और तारिक अनवर भी राष्ट्रीय कार्यसमिति में शामिल हैं, लेकिन कन्हैया कुमार को बिहार के युवा चेहरे के तौर पर शामिल किया गया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कन्हैया अभी टेस्ट में चल रहे हैं. वहीं आरजेडी ने कन्हैया को लेकर चुप्पी साध ली है.

बेगूसराय में कन्हैया को मिली थी शिकस्त: कन्हैया कुमार 2019 में जब लोकसभा का चुनाव सीपीआई के बैनर तले लड़े थे तो उस समय बेगूसराय लोकसभा सीट पूरे देश में हॉट केक बन गया था. शबाना आजमी सहित फिल्म साहित्य और उन क्षेत्र के दिग्गज कन्हैया के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे थे. हालांकि गिरिराज सिंह को कन्हैया कुमार मात नहीं दे सके और इसका बड़ा कारण राजद का रुख था. राजद ने बेगूसराय से अपना उम्मीदवार दे दिया था.

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कांग्रेस का कन्हैया को सपोर्ट: कन्हैया कुमार उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गये क्योंकि उन्हें लगने लगा कि सीपीआई में रहते उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होने वाली है. जब कांग्रेस में राहुल गांधी की मौजूदगी में शामिल हुए तो चर्चा होने लगी कि कन्हैया कुमार को बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन कांग्रेस यह फैसला नहीं ले पाई और इसका बड़ा कारण यह माना गया लालू और तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार को बिहार में कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी दे. हालांकि कांग्रेस ने 2 साल बाद एनएसयूआई का प्रभारी बनाया है और अब राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह देकर कद को बढ़ाने की कोशिश की है.

तेजस्वी और कन्हैया के बीच दूरी!: कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं और एक बड़े वर्ग में अपनी पकड़ अपने भाषणों के बल पर बनाते रहे हैं. यही कारण रहा है कि तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं. जिस कार्यक्रम में कन्हैया कुमार शामिल हो गए, तेजस्वी यादव उससे दूरी बना लेते हैं. लेकिन अब कांग्रेस कन्हैया कुमार को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह देकर 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव में बेहतर ढंग से उनका इस्तेमाल करने की तैयारी में है.

"कन्हैया कुमार अभी टेस्ट में चल रहे हैं. सफल होंगे तब राहुल गांधी उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी देंगे."- समीर कुमार सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

"कन्हैया ने पहले उन्हें ठगा और अब कांग्रेस उन्हें ठग रही है. तेजस्वी यादव के डर से कांग्रेस ने कन्हैया को बिहार का अध्यक्ष नहीं बनाया था. अब लॉलीपॉप दी है लेकिन उसका बहुत ज्यादा फायदा मिलने वाला नहीं है. क्योंकि कन्हैया के चाल चरित्र को सभी लोग जानते हैं."- भीम सिंह, उपाध्यक्ष भाजपा

"कन्हैया कुमार आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर अपनी बात मजबूती से रखते हैं. युवा वर्ग में उनकी विशेष पकड़ है. उनके पास पहले पद नहीं था तो अब पद मिलने से निश्चित रूप से बिहार में 2024 के चुनाव के बाद 2025 में बेहतर प्रदर्शन करेंगे."- हरे राम चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार

भूमिहार वोट बैंक पर नजर: कन्हैया कुमार के राजनीतिक जीवन की बात करें तो 2019 में सीपीआई के उम्मीदवार के रूप में बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन बुरी तरह हार गए थे. उसके बाद कन्हैया कांग्रेस में शामिल हो गए, लोकतंत्र के लिए कांग्रेस को बचाना उस समय जरूरी बताया था. बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की खूब चर्चा होती रही लेकिन 2 साल बाद एनएसयूआई का प्रभारी बनाया गया. अब कन्हैया को राष्ट्रीय कार्यक्रम समिति में भी जगह दी गई है. कन्हैया भूमिहार वर्ग से आते हैं और इस वर्ग के वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर है. कन्हैया के लिए महागठबंधन खेमे में ही तेजस्वी सबसे बड़ी चुनौती हैं. अब तक उनके साथ तालमेल नहीं बैठा पाए हैं.

अपर कास्ट की पॉलिटिक्स: कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चर्चा में रहे हैं और कई विवादों में भी रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर खुलकर बोलते रहे हैं. यह बड़ा कारण रहा है कि राहुल के खास बने हुए हैं. कन्हैया कुमार भूमिहार वर्ग से आते हैं और बिहार में इन दिनों अपर कास्ट की पॉलिटिक्स कांग्रेस कर रही है. बीजेपी से यह वोट बैंक कांग्रेस छीनना चाहती है और इसमें कन्हैया कुमार बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कांग्रेस की ओर से कन्हैया को तरजीह देने का यह भी एक बड़ा कारण है.

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