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Bihar Flood: हर साल हजारों-करोड़ खर्च, फिर भी क्यों थम नहीं रही तबाही की बाढ़!

बिहार को बाढ़ (Bihar Flood) के चलते हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होता है. बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल से बिहार आने वाली नदियों पर हाई डैम बनाने की चर्चा तो कई साल से हो रही है, लेकिन इसपर काम नहीं हुआ.

Bihar Flood
बिहार में बाढ़
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Published : Jul 23, 2021, 9:50 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 10:29 PM IST

पटना: बिहार को हर साल बाढ़ (Bihar Flood) के चलते हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है. नेपाल (Nepal) से आने वाला पानी बिहार में बाढ़ का प्रमुख कारण है. मानसून आते ही जैसे ही नेपाल में मूसलाधार बारिश होती है नेपाल से बिहार आने वाली नदियां उफनाने लगतीं हैं. इसके चलते उत्तर बिहार का बड़ा हिस्सा हर साल बाढ़ झेलता है.

यह भी पढ़ें- Muzaffarpur Flood: जलस्तर कम होते ही राहत कैम्प से 'बिखरे आशियाने' की ओर लौटने लगे हैं लोग

बाढ़ के चलते बिहार को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. सार्वजनिक और निजी संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है. सड़क, पुल के साथ ही बिजली व्यवस्था भी छिन्न-भिन्न हो जाती है. रेलवे को भी व्यापक नुकसान उठाना पड़ता है. किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. यह समस्या दशकों से बनी हुई है, लेकिन इसका समाधान नहीं हो पा रहा है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में आने वाले बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल से बिहार आने वाली नदियों पर हाई डैम बनाने की चर्चा तो कई साल से हो रही है, लेकिन इसपर काम नहीं हुआ. इस संबंध में नेपाल से लंबे समय से वार्ता चल रही है. बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी पर डैम बनाने पर 2004 में ही सहमति हो गई थी. यह योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. इसके कारण बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ रुपये की बर्बादी होती है.

Bihar Flood
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

हालांकि सच्चाई यह भी है कि इससे कहीं अधिक बर्बादी बिहार को हर साल होती है. विशेषज्ञों के अनुसार बाढ़ के चलते बिहार को हर साल करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है. बिहार सरकार ने 2017 से 2020 के बीच बाढ़ और चक्रवात के लिए 8553 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की. बिहार सरकार की ओर से केंद्र से भी अनुदान मांगा जाता है. जो क्षति हुई है उसकी भरपाई की मांग की जाती है. केंद्र सरकार की ओर से मदद भी मिलती है, लेकिन वह नुकसान के मुकाबले काफी कम होता है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12552339_info7.jpg
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

"नेपाल से आने वाले पानी के चलते बिहार वर्षों से नुकसान झेल रहा है. बाढ़ से बिहार के लोगों को बचाने, बाढ़ आने पर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और उनके भोजन तथा अन्य जरूरत पूरा करने पर सरकार ध्यान दे रही है."- तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री

"बिहार को बाढ़ से बचाने पर चार दशक से काम हो रहा है. हमारी सरकार हो या पूर्व की सरकार नेपाल से लगातार वार्ता हो रही है. हमलोग नेपाल में हाई डैम बनाने की मांग कर रहे हैं. हर साल बाढ़ के चलते सीमांचल को काफी नुकसान होता है. सड़क, पुल, बिजली और स्कूल हर चीज बर्बाद हो जाता है."- नीरज कुमार, पूर्व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री

Bihar Flood news
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स
बता दें कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत जरूर मिली है. सरकार ने एसओपी बनाया है. उसके अनुसार बाढ़ पीड़ितों की मदद की जाती है. बिहार सरकार नेपाल से आने वाली तबाही को रोकने में लाचार है. अंतरराष्ट्रीय मामला होने के चलते इसमें केंद्र सरकार की पहल महत्वपूर्ण है.
Bihar Flood nepal
.

इस संबंध में नेपाल से वार्ता भी होती रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों से नेपाल से संबंध बेहतर नहीं है. इसके कारण नेपाल से अब सहयोग भी नहीं मिल रहा है. बाढ़ प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक नेपाल में हाई डैम का निर्माण नहीं होगा तब तक बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. बिहार सरकार ने बाढ़ का अध्ययन कराने की बात कही है. जल संसाधन विभाग छोटी नदियों को जोड़ने पर भी विचार कर रहा है.

वर्ष 1953 में बिहार में भयंकर बाढ़ आई थी. उसके बाद बाढ़ के पानी को रोकने के लिए 1954 में सरकार ने कई कदम उठाए. तटबंधों को बाढ़ नियंत्रण का मुख्य जरिया मानकर प्लानिंग की गई थी. उस दौरन राज्य में कुल 160 किलोमीटर इलाके में तटबंध बने थे और बाढ़ प्रभावित कुल इलाकों का आकलन 25 लाख हेक्टेयर इलाका था.

Bihar flood news update
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तब से लेकर आज तक राज्य में 13 नदियों पर 3790 किलोमीटर एरिया में तटबंध बनाए जा चुके हैं. इनके निर्माण, मरम्मत, रख-रखाव पर हर साल औसतन 156 करोड़ से अधिक का खर्च आता है लेकिन बाढ़ के हालात में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला. उल्टे इन सात दशकों में बिहार में बाढ़ के खतरे वाला इलाका बढ़कर 68 लाख हेक्टेयर हो गया है क्योंकि नदियों का लगातार विस्तार हो रहा है.

यह भी पढ़ें- बाढ़ पीड़ितों को मिलने लगा फसल क्षति का मुआवजा, आपदा प्रबंधन विभाग ने दिया 100 करोड़

पटना: बिहार को हर साल बाढ़ (Bihar Flood) के चलते हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है. नेपाल (Nepal) से आने वाला पानी बिहार में बाढ़ का प्रमुख कारण है. मानसून आते ही जैसे ही नेपाल में मूसलाधार बारिश होती है नेपाल से बिहार आने वाली नदियां उफनाने लगतीं हैं. इसके चलते उत्तर बिहार का बड़ा हिस्सा हर साल बाढ़ झेलता है.

यह भी पढ़ें- Muzaffarpur Flood: जलस्तर कम होते ही राहत कैम्प से 'बिखरे आशियाने' की ओर लौटने लगे हैं लोग

बाढ़ के चलते बिहार को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. सार्वजनिक और निजी संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है. सड़क, पुल के साथ ही बिजली व्यवस्था भी छिन्न-भिन्न हो जाती है. रेलवे को भी व्यापक नुकसान उठाना पड़ता है. किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. यह समस्या दशकों से बनी हुई है, लेकिन इसका समाधान नहीं हो पा रहा है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में आने वाले बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल से बिहार आने वाली नदियों पर हाई डैम बनाने की चर्चा तो कई साल से हो रही है, लेकिन इसपर काम नहीं हुआ. इस संबंध में नेपाल से लंबे समय से वार्ता चल रही है. बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी पर डैम बनाने पर 2004 में ही सहमति हो गई थी. यह योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. इसके कारण बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ रुपये की बर्बादी होती है.

Bihar Flood
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

हालांकि सच्चाई यह भी है कि इससे कहीं अधिक बर्बादी बिहार को हर साल होती है. विशेषज्ञों के अनुसार बाढ़ के चलते बिहार को हर साल करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है. बिहार सरकार ने 2017 से 2020 के बीच बाढ़ और चक्रवात के लिए 8553 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की. बिहार सरकार की ओर से केंद्र से भी अनुदान मांगा जाता है. जो क्षति हुई है उसकी भरपाई की मांग की जाती है. केंद्र सरकार की ओर से मदद भी मिलती है, लेकिन वह नुकसान के मुकाबले काफी कम होता है.

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"नेपाल से आने वाले पानी के चलते बिहार वर्षों से नुकसान झेल रहा है. बाढ़ से बिहार के लोगों को बचाने, बाढ़ आने पर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और उनके भोजन तथा अन्य जरूरत पूरा करने पर सरकार ध्यान दे रही है."- तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री

"बिहार को बाढ़ से बचाने पर चार दशक से काम हो रहा है. हमारी सरकार हो या पूर्व की सरकार नेपाल से लगातार वार्ता हो रही है. हमलोग नेपाल में हाई डैम बनाने की मांग कर रहे हैं. हर साल बाढ़ के चलते सीमांचल को काफी नुकसान होता है. सड़क, पुल, बिजली और स्कूल हर चीज बर्बाद हो जाता है."- नीरज कुमार, पूर्व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री

Bihar Flood news
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स
बता दें कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत जरूर मिली है. सरकार ने एसओपी बनाया है. उसके अनुसार बाढ़ पीड़ितों की मदद की जाती है. बिहार सरकार नेपाल से आने वाली तबाही को रोकने में लाचार है. अंतरराष्ट्रीय मामला होने के चलते इसमें केंद्र सरकार की पहल महत्वपूर्ण है.
Bihar Flood nepal
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इस संबंध में नेपाल से वार्ता भी होती रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों से नेपाल से संबंध बेहतर नहीं है. इसके कारण नेपाल से अब सहयोग भी नहीं मिल रहा है. बाढ़ प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक नेपाल में हाई डैम का निर्माण नहीं होगा तब तक बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. बिहार सरकार ने बाढ़ का अध्ययन कराने की बात कही है. जल संसाधन विभाग छोटी नदियों को जोड़ने पर भी विचार कर रहा है.

वर्ष 1953 में बिहार में भयंकर बाढ़ आई थी. उसके बाद बाढ़ के पानी को रोकने के लिए 1954 में सरकार ने कई कदम उठाए. तटबंधों को बाढ़ नियंत्रण का मुख्य जरिया मानकर प्लानिंग की गई थी. उस दौरन राज्य में कुल 160 किलोमीटर इलाके में तटबंध बने थे और बाढ़ प्रभावित कुल इलाकों का आकलन 25 लाख हेक्टेयर इलाका था.

Bihar flood news update
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तब से लेकर आज तक राज्य में 13 नदियों पर 3790 किलोमीटर एरिया में तटबंध बनाए जा चुके हैं. इनके निर्माण, मरम्मत, रख-रखाव पर हर साल औसतन 156 करोड़ से अधिक का खर्च आता है लेकिन बाढ़ के हालात में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला. उल्टे इन सात दशकों में बिहार में बाढ़ के खतरे वाला इलाका बढ़कर 68 लाख हेक्टेयर हो गया है क्योंकि नदियों का लगातार विस्तार हो रहा है.

यह भी पढ़ें- बाढ़ पीड़ितों को मिलने लगा फसल क्षति का मुआवजा, आपदा प्रबंधन विभाग ने दिया 100 करोड़

Last Updated : Jul 23, 2021, 10:29 PM IST
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