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बिहार के मजदूरों ने उठाई घर वापसी की मांग, कुल्लू से पैदल लौटने की दी चेतावनी

प्रदेश में लॉकडाउन के चलते जहां रोजाना बाहरी राज्यों से लोगों को वापिस लाया जा रहा है, तो वहीं बीते दिनों कश्मीरी मजदूरों को वापिस उनके राज्य भेजा गया. इसी कड़ी में अब बिहार के मजदूर भी कुल्लू से अपने राज्य वापिस जाने की अनुमति मांग रहे हैं.

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Published : May 4, 2020, 4:22 PM IST

कुल्लू/पटना : जिला मुख्यालय ढालपुर में बिहार के मजदूरों का एक दल जिला प्रशासन के कार्यालय पहुंचा. इस दौरान मजदूरों ने जिला प्रशासन से बिहार जाने के लिए अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें 8 दिन बाद आने को कहा. प्रशासन के ढीले जवाब के बाद मजदूर भड़क गए. मजदूरों ने सरकार को अनुमति न देने पर पैदल ही बिहार की ओर रवाना होने की चेतावनी भी दी.

खाने-पीने की चीजों पर भी आन पड़ी है संकट
मजदूरों का कहना है कि वो डेढ़ महीने से अपने कमरों में बंद हैं और अब उनके पास राशन खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं. उन्होंने कोई काम नहीं किया है और कुछ मजदूर तो दिन में एक समय ही भोजन कर रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि सभी मजदूर मिलकर प्रशासन से बिहार जाने की अनुमति लेने के लिए गए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें 8 दिन बाद आने को कहा है. ऐसे में अब उनके यहां खाने-पीने की चीजों पर भी संकट आन पड़ा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

बिना काम के यहां नहीं रह पाएंगे - मजदूर
मजदूरों ने बताया कि वे यहां पर कमरों में सारा दिन बंद रहते हैं और एक समय ही खाना खा रहे हैं. ऐसे में उन्हें जल्द घर भेजा जाए नहीं तो वो भूख से ही मर जाएंगे. मजदूरों ने कहा कि अगर सरकार उन्हें यहां से नहीं निकालती, तो वह बिना काम के यहां नहीं रह पाएंगे. मजदूरों की मांग है कि या तो सरकार उन्हें यहां से घर वापिस भेजें या फिर उनके लिए व्यवस्था करे. गौर रहे कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कुछ विकास कार्यों को अनुमति दे दी गई है, लेकिन अभी भी कई निर्माण कार्य बंद पड़े हैं. लिहाजा काम न मिलने के चलते मजदूरों को रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

कुल्लू/पटना : जिला मुख्यालय ढालपुर में बिहार के मजदूरों का एक दल जिला प्रशासन के कार्यालय पहुंचा. इस दौरान मजदूरों ने जिला प्रशासन से बिहार जाने के लिए अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें 8 दिन बाद आने को कहा. प्रशासन के ढीले जवाब के बाद मजदूर भड़क गए. मजदूरों ने सरकार को अनुमति न देने पर पैदल ही बिहार की ओर रवाना होने की चेतावनी भी दी.

खाने-पीने की चीजों पर भी आन पड़ी है संकट
मजदूरों का कहना है कि वो डेढ़ महीने से अपने कमरों में बंद हैं और अब उनके पास राशन खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं. उन्होंने कोई काम नहीं किया है और कुछ मजदूर तो दिन में एक समय ही भोजन कर रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि सभी मजदूर मिलकर प्रशासन से बिहार जाने की अनुमति लेने के लिए गए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें 8 दिन बाद आने को कहा है. ऐसे में अब उनके यहां खाने-पीने की चीजों पर भी संकट आन पड़ा है.

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बिना काम के यहां नहीं रह पाएंगे - मजदूर
मजदूरों ने बताया कि वे यहां पर कमरों में सारा दिन बंद रहते हैं और एक समय ही खाना खा रहे हैं. ऐसे में उन्हें जल्द घर भेजा जाए नहीं तो वो भूख से ही मर जाएंगे. मजदूरों ने कहा कि अगर सरकार उन्हें यहां से नहीं निकालती, तो वह बिना काम के यहां नहीं रह पाएंगे. मजदूरों की मांग है कि या तो सरकार उन्हें यहां से घर वापिस भेजें या फिर उनके लिए व्यवस्था करे. गौर रहे कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कुछ विकास कार्यों को अनुमति दे दी गई है, लेकिन अभी भी कई निर्माण कार्य बंद पड़े हैं. लिहाजा काम न मिलने के चलते मजदूरों को रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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