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Chitragupta Puja 2022: राज्यपाल फागू चौहान और CM नीतीश ने दी शुभकामनाएं

बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चित्रगुप्त पूजा को लेकर बिहारवासियों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि चित्रगुप्त भगवान की पूजा औरग आराधना से लोगों में पढ़ने लिखने की अभिरुचि बढ़ती है. पढ़ें पूरी खबर..

राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चित्रगुप्त पूजा पर प्रदेश के लोगों को दी बधाई
राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चित्रगुप्त पूजा पर प्रदेश के लोगों को दी बधाई
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Published : Oct 27, 2022, 9:58 AM IST

पटनाः बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चित्रगुप्त पूजा और भैया दूज पर्व के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं (Governor and CM gave wishes for Chitragupta Puja) दी हैं. मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि ज्ञान के अधिष्ठाता देवता चित्रगुप्त भगवान की पूजा और आराधना से लोगों में पढ़ने लिखने की अभिरुचि बढ़ती है.

ये भी पढ़ेंः चित्रगुप्त पूजा 2022: आज कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की होती है पूजा, जानिए विधि-विधान

पढ़ने लिखने के प्रति बढ़ेगी अभिरुचिः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा है कि लोगों में पढ़ने लिखने के प्रति बढ़ती हुई अभिरुचि के फल स्वरूप बिहार में ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश घर-घर फैलेगा. आज का युग ज्ञान का युग है. सब के प्रयास से बिहार सुखी, समुन्नत और समृद्ध बनेगा. चित्रगुप्त पूजा के मौके पर मुख्यमंत्री पटना के ठाकुरबाड़ी स्थित भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति की पूजा अर्चना करने जाते हैं. पार्टी के ही नेता रणबीर नंदन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस साल भी मुख्यमंत्री ठाकुरबाड़ी मंदिर में जाकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना करेंगे.

  • चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। ज्ञान के अधिष्ठाता देवता चित्रगुप्त भगवान की आराधना से लोगों में पढ़ने-लिखने की अभिरूचि बढ़ती है। कामना है कि बिहार में ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश घर-घर फैले और सब के प्रयास से बिहार प्रगति के शिखर पर पहुंचे।

    — Nitish Kumar (@NitishKumar) October 27, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सदियों से चली आ रही परंपरा: साल भर में इस एक दिन कायस्थ जाति के लोग कलम नहीं छूते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. वहीं, चित्रांश परिवार यानी कायस्थ जाति के लोग इस परंपरा को मानते हुए आ रहे हैं. इस दिन वो सब कलम-दवात की पूजा करते हैं. कलम दवात की पूजा करने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है.

चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा: ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ.इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.

पटनाः बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चित्रगुप्त पूजा और भैया दूज पर्व के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं (Governor and CM gave wishes for Chitragupta Puja) दी हैं. मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि ज्ञान के अधिष्ठाता देवता चित्रगुप्त भगवान की पूजा और आराधना से लोगों में पढ़ने लिखने की अभिरुचि बढ़ती है.

ये भी पढ़ेंः चित्रगुप्त पूजा 2022: आज कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की होती है पूजा, जानिए विधि-विधान

पढ़ने लिखने के प्रति बढ़ेगी अभिरुचिः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा है कि लोगों में पढ़ने लिखने के प्रति बढ़ती हुई अभिरुचि के फल स्वरूप बिहार में ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश घर-घर फैलेगा. आज का युग ज्ञान का युग है. सब के प्रयास से बिहार सुखी, समुन्नत और समृद्ध बनेगा. चित्रगुप्त पूजा के मौके पर मुख्यमंत्री पटना के ठाकुरबाड़ी स्थित भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति की पूजा अर्चना करने जाते हैं. पार्टी के ही नेता रणबीर नंदन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस साल भी मुख्यमंत्री ठाकुरबाड़ी मंदिर में जाकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना करेंगे.

  • चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। ज्ञान के अधिष्ठाता देवता चित्रगुप्त भगवान की आराधना से लोगों में पढ़ने-लिखने की अभिरूचि बढ़ती है। कामना है कि बिहार में ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश घर-घर फैले और सब के प्रयास से बिहार प्रगति के शिखर पर पहुंचे।

    — Nitish Kumar (@NitishKumar) October 27, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सदियों से चली आ रही परंपरा: साल भर में इस एक दिन कायस्थ जाति के लोग कलम नहीं छूते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. वहीं, चित्रांश परिवार यानी कायस्थ जाति के लोग इस परंपरा को मानते हुए आ रहे हैं. इस दिन वो सब कलम-दवात की पूजा करते हैं. कलम दवात की पूजा करने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है.

चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा: ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ.इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.

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