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अब थानों में लंबित मामलों की जांच में आएगी तेजी, इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल को मिली मंजूरी

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार गंगवार (ADG Jitendra Kumar Gangwar) ने बताया कि इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल (Investigation Monitoring Cell) के गठन से लंबित कांडों के अनुसंधान में तेजी आएगी. उन्होंने बताया कि इसमें उन पुलिस अफसरों को लिया जाएगा, जो अपने कार्यकाल के दौरान केस का अनुसंधान समय सीमा पर कर कर चुके हैं.

मॉनिटरिंग सेल
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Published : Sep 27, 2021, 3:47 PM IST

पटना: बिहार के थानों में लंबित मामलों (Cases Pending in Police Stations) को देखते हुए बिहार पुलिस के सीआईडी (CID) विभाग के द्वारा अनुसंधान की धार तेज की जाएगी. सीआईडी की ओर से राज्य सरकार को इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल (Investigation Monitoring Cell) बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसकी स्वीकृति मिल गई है. अब जल्द ही इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के माध्यम से लंबित केसों का अनुसंधान सही ढंग से किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: बिहार PHQ ने केंद्र को भेजा सुझाव- 'अपहरण- दंगे के आंकड़े अलग अलग करें जारी'

बिहार के 44 पुलिस जिला रेल सहित पुलिस रेंज में अनुसंधान को लेकर गठित अलग सेल को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित और संसाधन उपलब्ध कराने को लेकर राज्य स्तर पर एक इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल का गठन किया जा रहा है. पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) से मिली जानकारी के अनुसार इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के लिए सृजित किए गए पदों में से कुछ पर रिटायर्ड पुलिस अफसरों का भी संविदा पर पुनः नियोजन किया जाएगा.

जितेंद्र कुमार गंगवार का बयान

जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड अवर निरीक्षक और सहायक अवर निरीक्षक (Assistant Sub Inspector) के पद पर सेवानिवृत अफसरों की बहाली का प्रस्ताव है. इसमें उन पुलिस अफसरों को लिया जाएगा, जो अपने कार्यकाल के दौरान अच्छा प्रदर्शन यानी कि केस का अनुसंधान समय सीमा पर कर कर चुके हैं. दरअसल सब इंस्पेक्टर और जमादार में भी कई ऐसे अधिकारी रहे हैं, जो लॉ से ग्रेजुएट थे और उन्हें इन्वेस्टिगेशन में अच्छी खासी पकड़ पहले से थी. उनका सहयोग संविदा के रूप में लिया जाएगा.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार गंगवार (ADG Jitendra Kumar Gangwar) ने बताया कि यह इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल एडीजी सीआईडी के नेतृत्व में काम करेगा. थानों के इन्वेस्टिगेशन सेल और जिला विशेष अपराध को तकनीकी प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराएगा. पुलिस मुख्यालय में कार्यरत यह इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल एडीजी अपराध अनुसंधान विभाग के नियंत्रण में कार्यरत रहेगा. राज्य स्तर पर गठित इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के अफसरों को क्षेत्रवार इसकी जिम्मेवारी मिलेगी. केंद्रीय क्षेत्र पटना के लिए एक डीएसपी तैनात होंगे, जबकि शेष प्रत्येक 2 क्षेत्र पर एक डीएसपी और प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक इंस्पेक्टर और एक कंप्यूटर ऑपरेटर मिलेंगे. एसपी सहित हर डीएसपी को भी 11 कंप्यूटर ऑपरेटर दिए जाएंगे.

बिहार के थानों में बढ़ते लंबित मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पहले ही थानों में इन्वेस्टिगेशन सेल अलग से बनाने का निर्देश दिया था, जिसके पश्चात थानों में लॉ एंड ऑर्डर का अलग और इन्वेस्टिगेशन का अलग सेल के माध्यम से कार्य होता है. इनके मॉनिटरिंग के लिए इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल बनाया जा रहा है, जो पुलिस मुख्यालय में स्थापित होगा. वरीय पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में गठित 69 सदस्य इस दल में सात डीएसपी, 13 इंस्पेक्टर, 8 दारोगा, 11 सिपाही, 8 चालक और 21 डाटा एंट्री ऑपरेटर शामिल होंगे.

ये भी पढ़ें: पुलिस मुख्यालय का निर्देश- बड़ी वारदात होने और संवेदनशील स्थानों पर जायें SP

यह सेल जिलों के थानों में कार्यरत अनुसंधान इकाई और जिला स्तर पर कार्यरत विशेष अपराध को साथ में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी द्वारा किए गए अनुसंधान में कानूनी और फॉरेंसिक सहयोग प्रदान करेगा. इसके अलावा सही समय सीमा के भीतर इन्वेस्टिगेशन नहीं पूरा होने को लेकर भी क्षेत्रीय पदाधिकारी द्वारा मार्गदर्शन किया जाएगा. इसके साथ-साथ जिला में इन्वेस्टिगेशन टीम को अनुसंधान में फॉरेंसिक और अत्याधुनिक तकनीक का अधिकतम प्रयोग सुनिश्चित कराएगा.

पटना: बिहार के थानों में लंबित मामलों (Cases Pending in Police Stations) को देखते हुए बिहार पुलिस के सीआईडी (CID) विभाग के द्वारा अनुसंधान की धार तेज की जाएगी. सीआईडी की ओर से राज्य सरकार को इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल (Investigation Monitoring Cell) बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसकी स्वीकृति मिल गई है. अब जल्द ही इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के माध्यम से लंबित केसों का अनुसंधान सही ढंग से किया जा सकेगा.

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बिहार के 44 पुलिस जिला रेल सहित पुलिस रेंज में अनुसंधान को लेकर गठित अलग सेल को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित और संसाधन उपलब्ध कराने को लेकर राज्य स्तर पर एक इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल का गठन किया जा रहा है. पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) से मिली जानकारी के अनुसार इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के लिए सृजित किए गए पदों में से कुछ पर रिटायर्ड पुलिस अफसरों का भी संविदा पर पुनः नियोजन किया जाएगा.

जितेंद्र कुमार गंगवार का बयान

जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड अवर निरीक्षक और सहायक अवर निरीक्षक (Assistant Sub Inspector) के पद पर सेवानिवृत अफसरों की बहाली का प्रस्ताव है. इसमें उन पुलिस अफसरों को लिया जाएगा, जो अपने कार्यकाल के दौरान अच्छा प्रदर्शन यानी कि केस का अनुसंधान समय सीमा पर कर कर चुके हैं. दरअसल सब इंस्पेक्टर और जमादार में भी कई ऐसे अधिकारी रहे हैं, जो लॉ से ग्रेजुएट थे और उन्हें इन्वेस्टिगेशन में अच्छी खासी पकड़ पहले से थी. उनका सहयोग संविदा के रूप में लिया जाएगा.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार गंगवार (ADG Jitendra Kumar Gangwar) ने बताया कि यह इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल एडीजी सीआईडी के नेतृत्व में काम करेगा. थानों के इन्वेस्टिगेशन सेल और जिला विशेष अपराध को तकनीकी प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराएगा. पुलिस मुख्यालय में कार्यरत यह इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल एडीजी अपराध अनुसंधान विभाग के नियंत्रण में कार्यरत रहेगा. राज्य स्तर पर गठित इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल के अफसरों को क्षेत्रवार इसकी जिम्मेवारी मिलेगी. केंद्रीय क्षेत्र पटना के लिए एक डीएसपी तैनात होंगे, जबकि शेष प्रत्येक 2 क्षेत्र पर एक डीएसपी और प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक इंस्पेक्टर और एक कंप्यूटर ऑपरेटर मिलेंगे. एसपी सहित हर डीएसपी को भी 11 कंप्यूटर ऑपरेटर दिए जाएंगे.

बिहार के थानों में बढ़ते लंबित मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पहले ही थानों में इन्वेस्टिगेशन सेल अलग से बनाने का निर्देश दिया था, जिसके पश्चात थानों में लॉ एंड ऑर्डर का अलग और इन्वेस्टिगेशन का अलग सेल के माध्यम से कार्य होता है. इनके मॉनिटरिंग के लिए इन्वेस्टिगेशन मॉनिटरिंग सेल बनाया जा रहा है, जो पुलिस मुख्यालय में स्थापित होगा. वरीय पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में गठित 69 सदस्य इस दल में सात डीएसपी, 13 इंस्पेक्टर, 8 दारोगा, 11 सिपाही, 8 चालक और 21 डाटा एंट्री ऑपरेटर शामिल होंगे.

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यह सेल जिलों के थानों में कार्यरत अनुसंधान इकाई और जिला स्तर पर कार्यरत विशेष अपराध को साथ में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी द्वारा किए गए अनुसंधान में कानूनी और फॉरेंसिक सहयोग प्रदान करेगा. इसके अलावा सही समय सीमा के भीतर इन्वेस्टिगेशन नहीं पूरा होने को लेकर भी क्षेत्रीय पदाधिकारी द्वारा मार्गदर्शन किया जाएगा. इसके साथ-साथ जिला में इन्वेस्टिगेशन टीम को अनुसंधान में फॉरेंसिक और अत्याधुनिक तकनीक का अधिकतम प्रयोग सुनिश्चित कराएगा.

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