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जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत दो करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य : श्रवण कुमार

जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत 3 वर्षों में 24500 करोड रुपए खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. हालांकि पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी के कारण इस कार्यक्रम की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर पड़ गई है. राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पौधारोपण का विशेष कार्यक्रम है. इस वर्ष का विकास विभाग द्वारा लगाए जाने वाले पौधे के लिए निजी क्षेत्रों में प्रोत्साहन करने का निर्णय लिया गया है.

पटना
ग्राम विकास मंत्री
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Published : May 31, 2021, 7:59 PM IST

पटना: जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित(Control climate change) करने के लिए राज्य में नीतीश सरकार(Nitish Government) जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeevan Hariyali) पर काम कर रही है. इस योजना के तहत राज्य भर में प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ से 3 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है.

यह पौधारोपण वन एवं पर्यावरण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग की मनरेगा कार्यक्रम के तहत किया जाता है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इस योजना के तहत 1 लाख लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सकता है.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की मुख्य बातें...

  • इस वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 1 करोड़ 50 लाख काष्ठ पौधे और 50 लाख फलदार पौधे शामिल हैं. विगत वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत 1 करोड़ 20 लाख पौधे लगाए गए थे. मंत्री श्रवण कुमार ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण की चर्चा करते हुए बताया कि निजी भूमि पर काष्ठ अथवा फलदार दोनों पौधे लगाए जा सकते हैं. फलदार पौधों में आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नींबू, अमरूद आदि का चयन स्थल विशेष की जलवायु एवं मिट्टी के आधार पर किया जा सकता है.
  • निजी भूमि पर लगाये जाने वाले पौधों से प्राप्त लकड़ी और फल पर भूमि मालिक का ही हक होगा. एक परिवार के पास 200 पौधों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने पर 2 से 3 परिवारों को 1 इकाई यानी 200 पौधे लगाये जाने का प्रावधान मनरेगा योजना में किया गया है. ताकि छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिल सके. अनुमान्य श्रेणी के व्यक्तियों के निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा हेतु गेबियन के साथ ही सिंचाई हेतु चापाकल अथवा ट्राली से पटवन की सुविधा भी प्रदान की जाती है'.
  • निजी भूमि के मामले में यदि दो इकाई के क्लस्टर 200 मीटर की दूरी के अन्दर उपलब्ध हो तो उन दो इकाईयों के लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जा सकता है. निजी भूमि पर क्लस्टर की अनुपलब्धता की स्थिति में एक इकाई पर भी एक चापाकल का प्रावधान है.
  • इसके अतिरिक्त पौधों की देखभाल हेतु वनपोषकों की मजदूरी भुगतान का प्रावधान है. लाभुक/लाभुकों को निजी भूमि पर लगाये गये एक इकाई पौधों की देख-रेख हेतु वृक्षारोपण वर्ष से अगले पांच वर्ष तक प्रतिमाह 8 मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से दिया जाता है.
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में पौधारोपण हेतु अबतक 30 हजार 586 योजनाएं तैयार हैं. जिसमें निजी योजना 16 हजार 852, सड़क के किनारे 830 योजनाएं, जल संरचनाओं के किनारे 1 हजार 648 योजना और अन्य 1 हजार 856 योजना शामिल है.
  • बिहार सरकार राज्य में 33 प्रतिशत हरित आवरण के लक्ष्य प्राप्त होने तक वृक्षारोपण की योजनाओं पर लगातार काम करते रहेगी. गौरतलब है कि राज्य में वर्तमान वन क्षेत्र पूरे क्षेत्रफल का तकरीबन 13% है. राज्य सरकार आगामी 2 वर्षों में इस वन क्षेत्र का फैलाव 15% तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

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पटना: जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित(Control climate change) करने के लिए राज्य में नीतीश सरकार(Nitish Government) जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeevan Hariyali) पर काम कर रही है. इस योजना के तहत राज्य भर में प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ से 3 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है.

यह पौधारोपण वन एवं पर्यावरण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग की मनरेगा कार्यक्रम के तहत किया जाता है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इस योजना के तहत 1 लाख लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सकता है.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की मुख्य बातें...

  • इस वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 1 करोड़ 50 लाख काष्ठ पौधे और 50 लाख फलदार पौधे शामिल हैं. विगत वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत 1 करोड़ 20 लाख पौधे लगाए गए थे. मंत्री श्रवण कुमार ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण की चर्चा करते हुए बताया कि निजी भूमि पर काष्ठ अथवा फलदार दोनों पौधे लगाए जा सकते हैं. फलदार पौधों में आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नींबू, अमरूद आदि का चयन स्थल विशेष की जलवायु एवं मिट्टी के आधार पर किया जा सकता है.
  • निजी भूमि पर लगाये जाने वाले पौधों से प्राप्त लकड़ी और फल पर भूमि मालिक का ही हक होगा. एक परिवार के पास 200 पौधों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने पर 2 से 3 परिवारों को 1 इकाई यानी 200 पौधे लगाये जाने का प्रावधान मनरेगा योजना में किया गया है. ताकि छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिल सके. अनुमान्य श्रेणी के व्यक्तियों के निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा हेतु गेबियन के साथ ही सिंचाई हेतु चापाकल अथवा ट्राली से पटवन की सुविधा भी प्रदान की जाती है'.
  • निजी भूमि के मामले में यदि दो इकाई के क्लस्टर 200 मीटर की दूरी के अन्दर उपलब्ध हो तो उन दो इकाईयों के लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जा सकता है. निजी भूमि पर क्लस्टर की अनुपलब्धता की स्थिति में एक इकाई पर भी एक चापाकल का प्रावधान है.
  • इसके अतिरिक्त पौधों की देखभाल हेतु वनपोषकों की मजदूरी भुगतान का प्रावधान है. लाभुक/लाभुकों को निजी भूमि पर लगाये गये एक इकाई पौधों की देख-रेख हेतु वृक्षारोपण वर्ष से अगले पांच वर्ष तक प्रतिमाह 8 मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से दिया जाता है.
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में पौधारोपण हेतु अबतक 30 हजार 586 योजनाएं तैयार हैं. जिसमें निजी योजना 16 हजार 852, सड़क के किनारे 830 योजनाएं, जल संरचनाओं के किनारे 1 हजार 648 योजना और अन्य 1 हजार 856 योजना शामिल है.
  • बिहार सरकार राज्य में 33 प्रतिशत हरित आवरण के लक्ष्य प्राप्त होने तक वृक्षारोपण की योजनाओं पर लगातार काम करते रहेगी. गौरतलब है कि राज्य में वर्तमान वन क्षेत्र पूरे क्षेत्रफल का तकरीबन 13% है. राज्य सरकार आगामी 2 वर्षों में इस वन क्षेत्र का फैलाव 15% तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

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