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बिहार का GER स्तर सबसे नीचे, क्वालिटी एजुकेशन के साथ क्वालिटी टीचर्स ही बढ़ा सकेंगे इसे! - बिहार की शिक्षा व्यवस्था

देश का औसत जीईआर 26% है. इस लिहाज से बिहार में जीईआर सबसे निचले स्तर पर है. यह रेशियो 18 से 23 साल के वयस्क युवाओं की प्रति एक सौ की आबादी पर गिना जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट
पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट
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Published : Dec 20, 2020, 7:31 PM IST

पटना: बिहार में नई शिक्षा नीति के मुताबिक रोडमैप बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग अगले 5 साल में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. बिहार के शिक्षा विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो और दूसरे शैक्षणिक मापदंड में बिहार देश के बड़े राज्य में सबसे निचले पायदान पर है. इसके साथ साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर भी रोड मैप बनाया जा रहा है.

बिहार में नई सरकार बनने के बाद अगले 5 साल के लिए शिक्षा के रोडमैप पर काम चल रहा है. शिक्षा विभाग ने तमाम निदेशालयों को अपनी कार्य योजना का स्वरूप तैयार कर रिपोर्ट देने को कहा है ताकि बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ हायर एजुकेशन में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने पर तेजी से काम हो सके.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री वृषण पटेल बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत महसूस करते हैं. पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब तक अच्छे शिक्षक नहीं होंगे, तब तक अच्छी पढ़ाई नहीं हो सकती. इसलिए शिक्षकों पर विशेष ध्यान देना होगा, उनकी जो भी समस्याएं हैं. उन्हें प्राथमिकता से दूर करना होगा. तभी शिक्षक बिना अपनी भविष्य की चिंता करें बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकेंगे.

वृषण पटेल, पूर्व शिक्षा मंत्री
वृषण पटेल, पूर्व शिक्षा मंत्री

क्वालिटी एजुकेशन के लिए चाहिए क्वालिटी टीचर्स
इस बारे में शिक्षाविद् संजय कुमार ने कहा कि सरकार क्वालिटी एजुकेशन की बात करती है तो उसके लिए क्वालिटी टीचर्स की जरूरत है. यह बहुत जरूरी है कि जो शिक्षक हैं वह प्रशिक्षित हो और उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें. संजय कुमार ने यह भी कहा कि स्कूल कॉलेजों में आधारभूत संरचना का विकास भी एक अहम मुद्दा है, जिस पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया.

शिक्षाविद् संजय कुमार
शिक्षाविद् संजय कुमार और ईटीवी भारत संवाददाता

उन्होंने कहा कि स्किल डेवलपमेंट की बात हो रही है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 6वीं क्लास के बाद से ही वोकेशनल कोर्स के जरिए पढ़ाई की बात हो रही है. लेकिन ना तो आपको किसी स्कूल में और ना ही सरकारी कॉलेजों में अच्छी लेबोरेटरी मिलेगी. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर तो क्लासरूम भी पर्याप्त संख्या में नहीं है और जहां क्लास रूम है वहां डेस्क और बेंच नहीं है. तो फिर बच्चे किस तरह ऐसे स्कूल और ऐसे कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सकते हैं.

क्या बोले शिक्षा मंत्री
बिहार में अगले 5 साल के रोड मैप में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात पर बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी भी कहते हैं कि हम चाहते हैं कि स्कूलों से निकलने के बाद बच्चे हायर एजुकेशन में जरूर आएं और इसके लिए ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने की कवायद हो रही है. इसके लिए शॉर्ट टर्म प्लान और लांग टर्म प्लान बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग अगले 5 साल में जीइआर की अपेक्षित बढ़ोतरी करना चाहता है.

अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री
अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री

जीईआर जरूरी क्यों?
ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों यानी जीईआर को वर्तमान के 13.6 से बढ़ाकर 2025 तक 29.4 करने का लक्ष्य शिक्षा विभाग ने रखा है. आपको बता दें कि देश का औसत जीईआर 26% है. इस लिहाज से बिहार में जीईआर सबसे निचले स्तर पर है. यह रेशियो 18 से 23 साल के वयस्क युवाओं की प्रति एक सौ की आबादी पर गिना जाता है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में इस उम्र वर्ग के बच्चों की संख्या करीब एक करोड़ 10 लाख है. इसमें केवल करीब 16 लाख बच्चे ही उच्च शिक्षण संस्थाओं में नामांकन लेते हैं. बड़ी बात यह कि बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में दो लाख विद्यार्थियों को बैठने का इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं है. बिहार के करीब 240 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां एक भी उच्च शिक्षण संस्थान नहीं हैं. यही वजह है कि जीईआर बढ़ाना बिहार के शिक्षा रोड मैप का एक अहम हिस्सा बनेगा.

पटना: बिहार में नई शिक्षा नीति के मुताबिक रोडमैप बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग अगले 5 साल में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. बिहार के शिक्षा विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो और दूसरे शैक्षणिक मापदंड में बिहार देश के बड़े राज्य में सबसे निचले पायदान पर है. इसके साथ साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर भी रोड मैप बनाया जा रहा है.

बिहार में नई सरकार बनने के बाद अगले 5 साल के लिए शिक्षा के रोडमैप पर काम चल रहा है. शिक्षा विभाग ने तमाम निदेशालयों को अपनी कार्य योजना का स्वरूप तैयार कर रिपोर्ट देने को कहा है ताकि बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ हायर एजुकेशन में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने पर तेजी से काम हो सके.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री वृषण पटेल बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत महसूस करते हैं. पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब तक अच्छे शिक्षक नहीं होंगे, तब तक अच्छी पढ़ाई नहीं हो सकती. इसलिए शिक्षकों पर विशेष ध्यान देना होगा, उनकी जो भी समस्याएं हैं. उन्हें प्राथमिकता से दूर करना होगा. तभी शिक्षक बिना अपनी भविष्य की चिंता करें बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकेंगे.

वृषण पटेल, पूर्व शिक्षा मंत्री
वृषण पटेल, पूर्व शिक्षा मंत्री

क्वालिटी एजुकेशन के लिए चाहिए क्वालिटी टीचर्स
इस बारे में शिक्षाविद् संजय कुमार ने कहा कि सरकार क्वालिटी एजुकेशन की बात करती है तो उसके लिए क्वालिटी टीचर्स की जरूरत है. यह बहुत जरूरी है कि जो शिक्षक हैं वह प्रशिक्षित हो और उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें. संजय कुमार ने यह भी कहा कि स्कूल कॉलेजों में आधारभूत संरचना का विकास भी एक अहम मुद्दा है, जिस पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया.

शिक्षाविद् संजय कुमार
शिक्षाविद् संजय कुमार और ईटीवी भारत संवाददाता

उन्होंने कहा कि स्किल डेवलपमेंट की बात हो रही है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 6वीं क्लास के बाद से ही वोकेशनल कोर्स के जरिए पढ़ाई की बात हो रही है. लेकिन ना तो आपको किसी स्कूल में और ना ही सरकारी कॉलेजों में अच्छी लेबोरेटरी मिलेगी. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर तो क्लासरूम भी पर्याप्त संख्या में नहीं है और जहां क्लास रूम है वहां डेस्क और बेंच नहीं है. तो फिर बच्चे किस तरह ऐसे स्कूल और ऐसे कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सकते हैं.

क्या बोले शिक्षा मंत्री
बिहार में अगले 5 साल के रोड मैप में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात पर बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी भी कहते हैं कि हम चाहते हैं कि स्कूलों से निकलने के बाद बच्चे हायर एजुकेशन में जरूर आएं और इसके लिए ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने की कवायद हो रही है. इसके लिए शॉर्ट टर्म प्लान और लांग टर्म प्लान बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग अगले 5 साल में जीइआर की अपेक्षित बढ़ोतरी करना चाहता है.

अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री
अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री

जीईआर जरूरी क्यों?
ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों यानी जीईआर को वर्तमान के 13.6 से बढ़ाकर 2025 तक 29.4 करने का लक्ष्य शिक्षा विभाग ने रखा है. आपको बता दें कि देश का औसत जीईआर 26% है. इस लिहाज से बिहार में जीईआर सबसे निचले स्तर पर है. यह रेशियो 18 से 23 साल के वयस्क युवाओं की प्रति एक सौ की आबादी पर गिना जाता है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में इस उम्र वर्ग के बच्चों की संख्या करीब एक करोड़ 10 लाख है. इसमें केवल करीब 16 लाख बच्चे ही उच्च शिक्षण संस्थाओं में नामांकन लेते हैं. बड़ी बात यह कि बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में दो लाख विद्यार्थियों को बैठने का इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं है. बिहार के करीब 240 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां एक भी उच्च शिक्षण संस्थान नहीं हैं. यही वजह है कि जीईआर बढ़ाना बिहार के शिक्षा रोड मैप का एक अहम हिस्सा बनेगा.

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