पटना: बिहार रणजी टीम के चयन को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन विवादों (Questions Raised On Bihar Cricket Association) में आ गया है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) द्वारा रणजी ट्रॉफी (Bihar Ranji team ) खेलने के लिए बिहार से 25 सदस्यीय टीम बंगाल भेजे जाने को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रवक्ता और दूसरे रणजी खिलाड़ियों ने बीसीए पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 17 फरवरी से पश्चिम बंगाल में शुरू हो रहे बिहार के रणजी ट्रॉफी मैच का टीम सिलेक्शन विवाद का कारण है.
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बिना घोषणा के ही रणजी टीम बना देने का आरोप: टीम के सिलेक्शन पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रवक्ता और कई खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है. इन लोगों का कहना है कि, बगैर किसी पूर्व घोषणा के आनन-फानन में टीम सेलेक्ट करके 25 सदस्यीय टीम को 17 फरवरी से शुरू हो रहे रणजी मैच खेलने के लिए बंगाल भेज दिया गया है.
बीसीए पर हैं ये आरोप: एसोसिएशन के प्रवक्ता और पूर्व खिलाड़ियों का आरोप है कि, टीम सिलेक्शन की प्रक्रिया में परफॉर्मेंस को नजरअंदाज किया गया है. एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बेटों को बिना किसी पूर्व परफॉर्मेंस के 25 सदस्य टीम में शामिल किया गया है और 25 सदस्यीय टीम में 8 खिलाड़ी ऐसे हैं जो, एसोसिएशन से जुड़े अधिकारियों के बेटे हैं. इसके अलावा कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनका कोई डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच का कोई परफॉर्मेंस नहीं रहा है. इसमें एक आईपीएस अधिकारी के बेटे भी शामिल हैं.
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बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव मिश्रा (BCA Spokesperson Sanjeev Mishra) ने कहा कि, बिहार रणजी टीम के चयन में चयनकर्ताओं ने भ्रष्टाचार किया है. टीम के चयन प्रक्रिया में परफॉर्मेंस को नजरअंदाज किया गया है. 8 खिलाड़ी ऐसे हैं जिनके पिता बीसीए में पद धारक हैं और इन खिलाड़ियों का कोई भी पिछला डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच में परफॉर्मेंस नहीं रहा है.
"कई खिलाड़ी ऐसे भी है जो डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच नहीं खेले हैं और सीधे उन्हें रणजी में सेलेक्ट कर लिया गया है. टीम चयन की प्रक्रिया में तमिल चयनकर्ताओं में एक चयनकर्ता को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण झारखंड रणजी क्रिकेट टीम के चयनकर्ता पद से पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी बीसीए को भ्रष्टाचार का अड्डा बना चुके हैं."- संजीव मिश्रा,प्रवक्ता,बीसीए
हाईकोर्ट से मामले की जांच की अपील: संजीव मिश्रा ने कहा कि, वे हाईकोर्ट से अपील करेंगे कि इस मामले में वह सुमो मोटो ले और प्रदेश के प्रतिभावान खिलाड़ियों के हित में फैसले लें. ऐसा इसलिए कि, जो गरीब खिलाड़ी हैं, जिनका पिछला परफॉर्मेंस काफी अच्छा रहा है और बिहार के लिए कई बार स्टेट लेवल पर शतक भी जमा चुके हैं. ऐसे खिलाड़ियों को टीम चयन में मौका मिले. उन्होंने कहा कि, रणजी टीम का जो सिलेक्शन किया गया है उसमें बिहार क्रिकेट टीम का जो कोच है जियाउल हक, वह सऊदी में नौकरी करता है और 17 तारीख को फ्लाइट से कोलकाता पहुंचेगा. बिहार क्रिकेट टीम के कोच को क्रिकेट टीम के सदस्यों के साथ होना चाहिए. इसके लिए उसे मेहनताना भी मिलता है लेकिन वह विदेश में नौकरी करता है.
उन्होंने कहा कि, बीसीए में जो कुछ भी चल रहा है वो पूरी पूरी तरह से गलत है. चयन में जिस प्रकार से एसोसिएशन के अधिकारियों के बच्चों को जगह दी जा रही है, ऐसे में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का नाम बदलकर बिहार बेटा क्रिकेट एसोसिएशन कर देना चाहिए. ताकि बिहार के बच्चों को भी पता चले कि, एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बच्चों को ही यहां मौका दिया जाता है.
अधिकारियों के बच्चों का टीम में सिलेक्शन का आरोप: संजीव मिश्रा ने बताया कि, बीसीए के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के पुत्र शिवम सिंह इस टीम का हिस्सा हैं, बीसीए के इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी के चेयरमैन आनंद कुमार के बेटे निखिल आनंद टीम का हिस्सा हैं, बीसीए के मीडिया कमेटी के पूर्व संयोजक और वर्तमान में बीसीए से जुड़े संतोष झा के पुत्र अभिजीत साकेत, बीसीए के मुंगेर जिला के डिस्ट्रिक्ट सचिव शंकर देव चौधरी के बेटे गोविंद चौधरी, बीसीए के पटना जिला के ज्वाइंट सेक्रेटरी राजेश कुमार के बेटे ऋषभ राज टीम में शामिल हैं.
वहीं पूर्व में बीसीए पर कई आरोप लगाने वाले क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के अध्यक्ष आदित्य वर्मा के बेटे लखन राजा, बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के बेटे मलय राज और बिहार के एक आईपीएस अधिकारी जिनके बेटे दिल्ली में रहते हैं हर्ष विक्रम सिंह यह सभी 25 सदस्यीय टीम के हिस्सा हैं. इसके अलावा हर्ष विक्रम सिंह समेत 5 से 7 की संख्या में ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने बिहार में कोई डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच नहीं खेला है और टीम का हिस्सा हैं.
गरीब खिलाड़ियों की उपेक्षा का आरोप: खिलाड़ी दीपक राज ने बताया कि, वह शेखपुरा डिस्ट्रिक्ट से खेलते हैं और पूर्व में वह दो बार झारखंड से खेल चुके हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 4 वर्षों से कई टूर्नामेंट के लिए उनका सिलेक्शन हुआ है लेकिन कभी उन्हें मैच में खेलने का मौका नहीं दिया गया है. ट्रायल मैच में भी उन्हें नहीं खेलाया जाता है. उन्होंने कहा कि, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कोई गरीब का बच्चा मैच में अच्छा खेल देगा तो उसे आगे टीम में सिलेक्शन करना मजबूरी हो जाएगी.
"बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को इस बात की घोषणा सभी जिलों में चस्पा कर देनी चाहिए कि, जो गरीब खिलाड़ी हैं वह डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच में खेलेंगे और इसके ऊपर के रणजी ट्रॉफी और अन्य टूर्नामेंट सिर्फ एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बच्चे ही खेलेंगे. काफी संख्या में खिलाड़ी हैं जो डिस्ट्रिक्ट और लीग मैच में अच्छा परफॉर्मेंस किए हैं मगर टीम के चयन में उन्हें जगह नहीं दिया गया है. जिसने कोई डिस्ट्रिक्ट मैच नहीं खेला है, कोई लीग मैच नहीं खेला है उसे सीधे टीम में सेलेक्ट कर लिया गया है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में हो रहे प्रतिभाओं के हनन के विरोध में आने वाले दिनों में हम अनशन करेंगे."- दीपक राज, खिलाड़ी
बीसीए के अधिकारियों ने साधी चुप्पी: वहीं इस मामले में जब हमने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी (Bihar cricket association President Rakesh Tiwari ) से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो फोन पर उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए कहा कि, इस संबंध में विस्तार से एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारी बता पाएंगे. एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों से जब हमने संपर्क किया तो अधिकारियों ने इस पूरे प्रकरण को बेबुनियाद बताकर कन्नी काट लिया.
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