पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण का चुनाव प्रचार थम गया है. पहले चरण में 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होगा. इस चुनाव में कांटे की टक्कर महागठबंधन और एनडीए के बीच देखने को मिल रही है. पहले चरण में बिहार के मगध और अंगिका क्षेत्र में वोटिंग होगी.
रोहतास, औरंगाबाद, बक्सर, कैमूर और भोजपुर की ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहे हैं. हालांकि सासाराम, पालीगंज और दिनारा समेत करीब 7-8 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिन पर महागठबंधन और एनडीए को लोजपा ने पशोपेश में डाल दिया है. यहां लोजपा ने ऐसे प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है, जो बीजेपी से कभी जुड़े हुए थे. कई सीटों पर लोजपा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
महागठबंधन में कांग्रेस कमजोर कड़ी!
इस तरह से कह सकते हैं कि एनडीए के लिए बीजेपी के वैसे नेता मुसीबत बन कर खड़े हैं, जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. लेकिन लोजपा ने टिकट देकर उसे चुनावी मैदान में उतार दिया. वहीं, आरजेडी के लिए महागठबंधन में सबसे कमजोर कड़ी कांग्रेस साबित हो रही है. हालांकि भाकपा माले ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिसका फायदा निश्चित तौर पर महागठबंधन के प्रत्याशियों को मिलेगा.
पाला बदल चुके लोग करा सकते हैं नकारात्मक वोटिंग
पहले चरण के चुनाव में आरजेडी की बात करें तो पार्टी के 24 सिटिंग एमएलए में से 4 सीटें माले के खाते में चली गई. जबकि 2 सीटों पर आरजेडी के वर्तमान विधायकों के परिजन को मैदान में उतारा गया है. इनके अलावा 3 वर्तमान विधायकों का टिकट काटकर किसी नए चेहरे को प्रत्याशी बनाया गया है. यह तीनों विधानसभा सीटें ओबरा, मुंगेर और मखदुमपुर हैं. पार्टी के सूत्रों का भी कहना है कि भितरघात और पाला बदल चुके लोग नकारात्मक वोटिंग करा सकते हैं.
महागठबंधन के लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक महागठबंधन के खिलाफ एनडीए में मुख्य मुकाबला बीजेपी और जेडीयू नेताओं के साथ ही है. लेकिन अगर वीआईपी ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग के वोटों को एनडीए के लिए ट्रांसफर करने में सफलता पा ली तो आरजेडी और कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है.