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Bihar MLC Election: बिहार में बढ़ी सियासी सरगर्मी, अपनों ने ही बढ़ाई चुनौती

बिहार एमएलसी चुनाव (Bihar MLC Election) को लेकर बिहार की सियासत में उबाल आ गया है. सीटों को लेकर जहां महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस में बात नहीं बनी है. दोनों दलों ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. वहीं, एनडीए में बीजेपी और जदयू में सीट शेयरिंग के बाद मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी नाराज हो गए हैं. बिहार में सियासी सरगर्मी को लेकर पढ़ें ये रिपोर्ट..

बिहार एमएलसी चुनाव
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Published : Jan 31, 2022, 6:13 PM IST

पटना: बिहार विधान परिषद में 24 सीटों पर चुनाव (Election on 24 seats in Bihar Legislative Council) के चलते राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. जहां आरजेडी और कांग्रेस में बात नहीं बनी है, तो वहीं एनडीए में मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं. मुकेश सहनी ने तो एनडीए में एक तरह से विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है. ऐसे में नीतीश सरकार के लिए चुनौती बढ़ गई है. वहीं, अब देखने वाली बात ये होगी कि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) इस मौके का कितना लाभ उठा पाते हैं. हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश कुमार सत्ता में है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव को नीतीश कोई लाभ लेने देंगे, इसकी संभावना कम है.

ये भी पढ़ें- हमारे पास प्रत्याशियों की कमी नहीं, सभी 24 सीटों पर MLC का चुनाव लड़ेगी कांग्रेस: अजीत शर्मा

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन एनडीए को बहुमत मिला और इसलिए नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बिहार में चल रही है. 110 संख्या बल के हिसाब से महागठबंधन मजबूत स्थिति में है. वहीं, एनडीए के पास 127 विधायकों का समर्थन है. लालू प्रसाद यादव की शुरू से एनडीए सरकार पर नजर रही है. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को प्रलोभन भी देते रहे हैं, लेकिन लालू प्रसाद यादव कामयाब नहीं हो सके.

अब स्थितियां बदल रही हैं, एमएलसी चुनाव से एनडीए में तनातनी (Tension in NDA due to MLC election) दिख रही है. मुकेश सहनी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं और बीजेपी के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है. जीतनराम मांझी भी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं. हालांकि, अभी तक एनडीए की एकजुटता की बात कर रहे हैं, लेकिन मांझी भी पाला बदलने में माहिर हैं. ऐसे में नीतीश सरकार के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है.

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''नीतीश कुमार फिलहाल सत्ता में है ऐसे में लालू प्रसाद यादव केवल मुकेश सहनी के कारण कुछ लाभ ले पाएंगे इसकी संभावना कम है. मुकेश सहनी के पास अभी 3 विधायक हैं और आसानी से दूसरे दल में शिफ्ट कर सकते हैं, इसलिए मुकेश सहनी कोई बड़ा फैसला लेंगे इसकी उम्मीद कम है और लेते हैं तो उनका इमेच्योर फैसला होगा. लेकिन, उसके बाद भी सरकार पर कोई असर पड़ेगा इसकी संभावना कम दिख रही है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक

''लोकतंत्र है लोकतंत्र में पार्टियां है, सभी के अपने-अपने विचार हैं. अहर कोई लड़ना चाहते हैं तो उनको मना थोड़े ही किया जा सकता है. कोई बागी नहीं हुआ है, सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, सरकार पर कोई खतरे वाली बात नहीं है और जो भी बिहार के हित में सोचते हैं, वह सरकार के साथ रहेंगे.''- जीवेश मिश्रा, बीजेपी मंत्री

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''मुकेश जी अगर एनडीए में असहज हैं, तो महागठबंधन में आ जाएं. वो तो निषाद समुदाय के नेता हैं, हम तो उनको मानते हैं, बहुत सम्मान है उनका. मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी महागठबंधन में आ गए तो सरकार गिर जाएगी.''- अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता

''एनडीए अब है कहां, एनडीए तो अब टूट चुकी है. जिस दिन विधानसभा का सत्र चलेगा और अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा तो सरकार को गिरने से कोई नहीं बचा सकता है. मांझी जी और मुकेश सहनी के ही दम पर एनडीए की सरकार टिकी है. जिनके पास 4-4 एमएलए है उनको एक भी सीट नहीं दी और पारस जी के पास एक एमएलए भी नहीं है तो उनको एक सीट दे दी है ''- राजेश राठौर, प्रवक्ता कांग्रेस

ऐसे तो बिहार विधानसभा के उपचुनाव में ही आरजेडी ने पूरी ताकत लगाई थी और यह भी कहा जा रहा था कि दोनों सीट बिहार में सत्ता में उलटफेर कर देगी, लेकिन दोनों सीट पर जेडीयू उम्मीदवार की जीत हो गई और आरजेडी के मंसूबे धरे रह गए. उस समय भी कांग्रेस ने आरजेडी से अलग होकर उम्मीदवार उतारे थे. अब एक बार फिर से एमएलसी चुनाव में कांग्रेस आरजेडी आमने सामने (Congress RJD face to face in MLC Election) हैं. एमएलसी की 24 सीटों पर भी आरजेडी से अलग उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है, तो वहीं एनडीए खेमे में भी मुकेश सहनी सभी 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कह रहे हैं.

वीआईपी के फिलहाल तीन विधायक हैं. बोचहां सीट खाली है. वीआईपी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के कारण बोचहां सीट खाली हुई है, लेकिन वीआईपी के विधायक मुकेश सहनी के साथ एनडीए से अलग होने की संभावना कम है, क्योंकि उनके विधायक बीजेपी खेमे के माने जाते हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि लालू यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है.

''जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के सहयोग से यह सरकार चल रही है और फिलहाल दोनों नाराज हैं. दोनों के फिलहाल 7 विधायक हैं और एनडीए से दोनों दलों के विधायक बाहर निकलेंगे और महागठबंधन में शामिल होंगे साथ ही एआईएमआईएम का सपोर्ट महागठबंधन को मिलेगा, तभी सरकार में उलटफेर हो सकता है. लेकिन, नीतीश कुमार के रहते यह आसान नहीं है. बीजेपी भी ऐसा नहीं है कि तमाशा देखेगी.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव को अपना छोटा भाई भी बताया है और लालू प्रसाद यादव को फॉलो करने की बात भी लगातार कही है. शुरू से लालू प्रसाद यादव मुकेश सहनी को ऑफर देते रहे हैं. जीतनराम मांझी को भी ऑफर देते रहे हैं. अब परिस्थितियां बदली है, ऐसे में बिहार की सियासत (Bihar Politics) में सरगर्मी भी बढ़ी है.

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पटना: बिहार विधान परिषद में 24 सीटों पर चुनाव (Election on 24 seats in Bihar Legislative Council) के चलते राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. जहां आरजेडी और कांग्रेस में बात नहीं बनी है, तो वहीं एनडीए में मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं. मुकेश सहनी ने तो एनडीए में एक तरह से विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है. ऐसे में नीतीश सरकार के लिए चुनौती बढ़ गई है. वहीं, अब देखने वाली बात ये होगी कि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) इस मौके का कितना लाभ उठा पाते हैं. हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश कुमार सत्ता में है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव को नीतीश कोई लाभ लेने देंगे, इसकी संभावना कम है.

ये भी पढ़ें- हमारे पास प्रत्याशियों की कमी नहीं, सभी 24 सीटों पर MLC का चुनाव लड़ेगी कांग्रेस: अजीत शर्मा

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन एनडीए को बहुमत मिला और इसलिए नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बिहार में चल रही है. 110 संख्या बल के हिसाब से महागठबंधन मजबूत स्थिति में है. वहीं, एनडीए के पास 127 विधायकों का समर्थन है. लालू प्रसाद यादव की शुरू से एनडीए सरकार पर नजर रही है. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को प्रलोभन भी देते रहे हैं, लेकिन लालू प्रसाद यादव कामयाब नहीं हो सके.

अब स्थितियां बदल रही हैं, एमएलसी चुनाव से एनडीए में तनातनी (Tension in NDA due to MLC election) दिख रही है. मुकेश सहनी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं और बीजेपी के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है. जीतनराम मांझी भी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं. हालांकि, अभी तक एनडीए की एकजुटता की बात कर रहे हैं, लेकिन मांझी भी पाला बदलने में माहिर हैं. ऐसे में नीतीश सरकार के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है.

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''नीतीश कुमार फिलहाल सत्ता में है ऐसे में लालू प्रसाद यादव केवल मुकेश सहनी के कारण कुछ लाभ ले पाएंगे इसकी संभावना कम है. मुकेश सहनी के पास अभी 3 विधायक हैं और आसानी से दूसरे दल में शिफ्ट कर सकते हैं, इसलिए मुकेश सहनी कोई बड़ा फैसला लेंगे इसकी उम्मीद कम है और लेते हैं तो उनका इमेच्योर फैसला होगा. लेकिन, उसके बाद भी सरकार पर कोई असर पड़ेगा इसकी संभावना कम दिख रही है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक

''लोकतंत्र है लोकतंत्र में पार्टियां है, सभी के अपने-अपने विचार हैं. अहर कोई लड़ना चाहते हैं तो उनको मना थोड़े ही किया जा सकता है. कोई बागी नहीं हुआ है, सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, सरकार पर कोई खतरे वाली बात नहीं है और जो भी बिहार के हित में सोचते हैं, वह सरकार के साथ रहेंगे.''- जीवेश मिश्रा, बीजेपी मंत्री

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''मुकेश जी अगर एनडीए में असहज हैं, तो महागठबंधन में आ जाएं. वो तो निषाद समुदाय के नेता हैं, हम तो उनको मानते हैं, बहुत सम्मान है उनका. मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी महागठबंधन में आ गए तो सरकार गिर जाएगी.''- अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता

''एनडीए अब है कहां, एनडीए तो अब टूट चुकी है. जिस दिन विधानसभा का सत्र चलेगा और अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा तो सरकार को गिरने से कोई नहीं बचा सकता है. मांझी जी और मुकेश सहनी के ही दम पर एनडीए की सरकार टिकी है. जिनके पास 4-4 एमएलए है उनको एक भी सीट नहीं दी और पारस जी के पास एक एमएलए भी नहीं है तो उनको एक सीट दे दी है ''- राजेश राठौर, प्रवक्ता कांग्रेस

ऐसे तो बिहार विधानसभा के उपचुनाव में ही आरजेडी ने पूरी ताकत लगाई थी और यह भी कहा जा रहा था कि दोनों सीट बिहार में सत्ता में उलटफेर कर देगी, लेकिन दोनों सीट पर जेडीयू उम्मीदवार की जीत हो गई और आरजेडी के मंसूबे धरे रह गए. उस समय भी कांग्रेस ने आरजेडी से अलग होकर उम्मीदवार उतारे थे. अब एक बार फिर से एमएलसी चुनाव में कांग्रेस आरजेडी आमने सामने (Congress RJD face to face in MLC Election) हैं. एमएलसी की 24 सीटों पर भी आरजेडी से अलग उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है, तो वहीं एनडीए खेमे में भी मुकेश सहनी सभी 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कह रहे हैं.

वीआईपी के फिलहाल तीन विधायक हैं. बोचहां सीट खाली है. वीआईपी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के कारण बोचहां सीट खाली हुई है, लेकिन वीआईपी के विधायक मुकेश सहनी के साथ एनडीए से अलग होने की संभावना कम है, क्योंकि उनके विधायक बीजेपी खेमे के माने जाते हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि लालू यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है.

''जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के सहयोग से यह सरकार चल रही है और फिलहाल दोनों नाराज हैं. दोनों के फिलहाल 7 विधायक हैं और एनडीए से दोनों दलों के विधायक बाहर निकलेंगे और महागठबंधन में शामिल होंगे साथ ही एआईएमआईएम का सपोर्ट महागठबंधन को मिलेगा, तभी सरकार में उलटफेर हो सकता है. लेकिन, नीतीश कुमार के रहते यह आसान नहीं है. बीजेपी भी ऐसा नहीं है कि तमाशा देखेगी.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव को अपना छोटा भाई भी बताया है और लालू प्रसाद यादव को फॉलो करने की बात भी लगातार कही है. शुरू से लालू प्रसाद यादव मुकेश सहनी को ऑफर देते रहे हैं. जीतनराम मांझी को भी ऑफर देते रहे हैं. अब परिस्थितियां बदली है, ऐसे में बिहार की सियासत (Bihar Politics) में सरगर्मी भी बढ़ी है.

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