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धूमधाम से मनाया जा रहा भैया दूज, बहनों ने की भाइयों के दीर्घायु की कामना

भैया दूज का त्योहार पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. बहनें अपने जीभ पर कांटा चुभाकर अपने भाई के ऊपर आने वाले हर कष्ट को दूर करती हैं और उनके सुखमय जीवन की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस पूजा से उनके भाइयों के शत्रुओं का नाश होता है. महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर पारंपरिक गीत गाते हुए पूरी विधि विधान से पूजा कर गोधन कुटती हैं.

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Published : Nov 16, 2020, 1:50 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 9:38 PM IST

patna
धूमधाम से मनाया गया भैया दूज

पटना: मसौढ़ी अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में भैया दूज बड़ी धूमधाम से मनाया गया. बहनों ने अपने भाई के दीर्घायु होने की मंगलकामना की. भैया दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार में प्राचीन परंपराओं की स्पष्ट झलक दिखाई देती है.

भाई के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना

भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैया दूज आज पूरे देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. मौके पर बहनों ने अपने भाई के दीर्घायु होने की मंगल कामना की. इस अवसर पर गोबर का घर बनाकर उसकी पूजा अर्चना की जाती है और उसमें रखे मिठाई के प्रसाद के रूप में अपने भाई को खिलाया जाता है. साथ ही चावल को कूटकर उसे भी अपने भाई को खिलाने का रिवाज है. भैया दूज पर सभी जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई और चना के साथ पूजा की जाती है.

सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना

इस दौरान बहनों द्वारा अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी आरती उतारी जाती है. बहनें अपने भाई को रुई से बने आकर्षक माला बनाकर उन्हें दीर्घायु होने की कामना करती हैं. मसौढी में विभिन्न जगहों पर महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर गीत गाते हुए भैया दूज का पर्व मना रही हैं. जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है. भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं.

भैया दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. यमराज तथा यमुना आपस में भाई बहन थे, यमुना और यमराज से बड़ा ही स्नेह करती थी. वह यमराज से हमेशा निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करें. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

बहनों ने की भाइयों के दीर्घायु की कामना

यमराज ने सोचा, ''मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.' बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के सत्कार से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा. बहन यमुना ने कहा कि इसी तरह प्रतिवर्ष मेरे घर आया करो. यमराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो आज के दिन बहन भाई का सत्कार करते हैं, उसे यम का भय नहीं रहता है और उसी दिन से भैया दूज पर्व का शुभारंभ हो गया.

क्या है पर्व का महत्व

वहीं बेतिया में भी भैया दूज के मौके पर महिलाएं काफी उत्साहित दिखी. यह त्योहार पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. भैया दूज के अवसर पर बहनें अपने जीभ पर कांटा चुभाकर अपने भाई के ऊपर आने वाले हर कष्ट को अपने उपर लेकर उनके सुखमय जीवन की कामना करती हैं. मान्यता यह है कि इस पूजा से उनके भाइयों के शत्रुओं का नाश होता है. महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर पारंपरिक गीत गाते हुए पूरी विधि विधान से पूजा कर गोधन कूटती हैं. भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

पटना: मसौढ़ी अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में भैया दूज बड़ी धूमधाम से मनाया गया. बहनों ने अपने भाई के दीर्घायु होने की मंगलकामना की. भैया दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार में प्राचीन परंपराओं की स्पष्ट झलक दिखाई देती है.

भाई के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना

भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैया दूज आज पूरे देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. मौके पर बहनों ने अपने भाई के दीर्घायु होने की मंगल कामना की. इस अवसर पर गोबर का घर बनाकर उसकी पूजा अर्चना की जाती है और उसमें रखे मिठाई के प्रसाद के रूप में अपने भाई को खिलाया जाता है. साथ ही चावल को कूटकर उसे भी अपने भाई को खिलाने का रिवाज है. भैया दूज पर सभी जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई और चना के साथ पूजा की जाती है.

सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना

इस दौरान बहनों द्वारा अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी आरती उतारी जाती है. बहनें अपने भाई को रुई से बने आकर्षक माला बनाकर उन्हें दीर्घायु होने की कामना करती हैं. मसौढी में विभिन्न जगहों पर महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर गीत गाते हुए भैया दूज का पर्व मना रही हैं. जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है. भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं.

भैया दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. यमराज तथा यमुना आपस में भाई बहन थे, यमुना और यमराज से बड़ा ही स्नेह करती थी. वह यमराज से हमेशा निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करें. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

बहनों ने की भाइयों के दीर्घायु की कामना

यमराज ने सोचा, ''मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.' बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के सत्कार से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा. बहन यमुना ने कहा कि इसी तरह प्रतिवर्ष मेरे घर आया करो. यमराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो आज के दिन बहन भाई का सत्कार करते हैं, उसे यम का भय नहीं रहता है और उसी दिन से भैया दूज पर्व का शुभारंभ हो गया.

क्या है पर्व का महत्व

वहीं बेतिया में भी भैया दूज के मौके पर महिलाएं काफी उत्साहित दिखी. यह त्योहार पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. भैया दूज के अवसर पर बहनें अपने जीभ पर कांटा चुभाकर अपने भाई के ऊपर आने वाले हर कष्ट को अपने उपर लेकर उनके सुखमय जीवन की कामना करती हैं. मान्यता यह है कि इस पूजा से उनके भाइयों के शत्रुओं का नाश होता है. महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर पारंपरिक गीत गाते हुए पूरी विधि विधान से पूजा कर गोधन कूटती हैं. भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 9:38 PM IST
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