पटना: देश के हिस्सों में जहरीली हवा बह रही है लेकिन सबसे ज्यादा स्थिति खराब है तो वो बिहार की है. नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार सुबह 11 बजे बेगूसराय में सर्वाधिक 446 एक्यूआई दर्ज (begusarai most polluted city in country) किया गया. इसके अलावा भागलपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फपुर और छपरा में भी स्थिति बहुत खराब है.
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बेगूसराय देश का सबसे प्रदूषित शहर: प्रदूषण विभाग द्वारा जारी राष्ट्रीय एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार शुक्रवार की सुबह 11 बजे बिहार के कई जिलों की स्थिति काफी खतरनाक बताई गई. बेगूसराय के अलावा पटना के समनपुरा में 443, दरभंगा में 415, पूर्णिया में 410 औऱ सीवान में 416 एक्यूआई है. पटना में तीन जगहों तारामंडल, समनपुरा और मुरादपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में है.
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बिहार के कई जिलों की हवा खराब: बिहार के विभिन्न शहरों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण हवा में पीएम 10 कण की मात्रा में बढ़ोतरी है, यह बढ़ोतरी निरंतर जारी है. राजधानी पटना में हवा में धूल कण की मात्रा जहां स्टैंडर्ड से 3 गुना ज्यादा है. यही कारण है कि राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार बढ़ रहा है. हवा की गुणवत्ता खराब होने की एख और बड़ी वजह 15 साल पुराने डीजल गाड़ियों का पटना की सड़कों पर चलना है. जिसके कारण लोग लगातार जहरीली हवा सांस के रूप में ले रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो वायु प्रदूषण बोर्ड कुछ भी दावा कर लें. लेकिन अभी राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में लोग जहरीली हवा सांस के रूप में ले रहे हैं.
''अतीत में हमने हमारे गांव से साफ नीला आकाश और हिमालय की चोटियों को देखा है. अब यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कम दृश्यता वाले लोगों के साथ एक गैस चैंबर में बदल गया है. बेतिया जैसे शहरों में महानगरों की तरह इतना ट्रैफिक नहीं है फिर भी इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है.'' - रवि सिन्हा, पर्यावरणविद
बिहार में दम घोंटू हवा : बताया जाता है कि 0 से 100 तक एक्यूआई को अच्छा, 100 से 200 को मध्यम, 200 से 300 को 'खराब', 301 से 400 को 'बेहद खराब' और 401 से 500 को 'गंभीर' माना जाता है. इसी वर्ष नवंबर के पहले हफ्ते में बिहार के कई जिलों में एक्यूआई बिगड़ने लगा था. हैरानी की बात यह है कि इन जिलों में ऐसा कोई उद्योग नहीं है जिसे प्रदूषण के लिए दोषी ठहराया जा सके. प्रदूषण विभाग के अधिकारी भी इससे निपटने के तरीके को लेकर असमंजस में हैं.
''हम सभी जानते हैं कि वाहनों की धीमी गति से अधिक जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं. हम वायुमंडल में गैसों, धूल और ओस के मिश्रण को देख रहे हैं और यह 150 फीट से अधिक की ऊंचाई पर नहीं है. खराब वायु गुणवत्ता के लिए शादी के दौरान की जा रही आतिशबाजी भी जिम्मेदार है. अगर कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसके लिए कदम नहीं उठाएंगी तो इन शहरों का एक्यूआई जल्द ही 450 के पार हो जाएगा.'' - राजेश तिवारी, पर्यावरणविद