पटना : बिहार की राजधानी पटना में वायु की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने के लिए नगर विकास विभाग के निर्देश पर पटना नगर निगम इन दिनों एंटी स्मोग गन का इस्तेमाल कर रहा है और वॉटर स्प्रिंकल करा रहा है. पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने सभी अंचल को निर्देश दिया है कि 2 शिफ्ट में इसे चलाया जाए. सुबह और शाम में 4 -4 घन्टे के लिए मशीनों को विशेष रूप से चलाया जाए. इसके बाद पटना की सड़कों पर लगातार वॉटर स्प्रिंकल हो रहा है.
एंटी स्मोग गन का किया जा रहा इस्तेमाल : पेड़, पौधों और सड़कों पर पानी के छिड़काव के लिए पटना नगर निगम मशीनों की सहायता ले रहा है. नगर निगम की ओर से प्रतिदिन 25 मशीनों से छिड़काव किया जा रहा है. जिनमें 12 एंटी स्मोग गन और 13 वाटर स्प्रिंकलर मशीन है. सभी अंचलों में मशीनें उपलब्ध करवाई गई है और इसके माध्यम से प्रतिदिन सड़कों की धुलाई की जा रही है.
"अभी के समय देखा जा रहा है कि मौसम बदलने के साथ धूल भरी हवा चल रही है. ऐसे में वायु में धूलकण की मात्रा को कम करने के लिए पटना नगर निगम द्वारा एन्टी स्मोग गन और वाटर स्प्रिंकलर से सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है. मशीनों द्वारा सड़क के किनारे लगे पेड़ पौधों पर विशेष रूप से पानी का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे पेड़ पौधे पर भी धुलकण एकत्रित नहीं हो."- अनिमेश पराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम
सड़क किनारे के पेड़ पौधों पर हो रहा छिड़काव : नगर आयुक्त ने बताया कि शहर के प्रमुख सड़क नेहरू पथ, बोरिंग रोड, कंकड़बाग, पटना सिटी, राजेन्द्र नगर सहित कई सड़कों और गलियों में एंटी स्मोग गन चलाया जा रहा है. पटना नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख सड़कों के साथ ऐसे जगहों पर विशेष रूप से पानी का छिड़काव किया जा रहा है. जहां हरियाली है. नेहरू पथ, ईको पार्क, मरीन ड्राइव आदि के पास ग्रीनरी के लिए मशीनों द्वारा पानी का छिड़काव किया जा रहा है.
वॉटर स्प्रिंकलर से धोये जा रहे सड़क : सड़क पर वॉटर स्प्रिंकलर और स्मोग गण से सड़क पर पानी का छिड़काव कर रहे अमरेश कुमार हमने बताया कि सुबह के शिफ्ट में उनकी ड्यूटी है और सुबह से सड़कों पर वह पानी का छिड़काव कर रहे हैं. इसके माध्यम से हवा के धूलकण को जमीन पर बैठाने की कोशिश होती है. पटनावासियों को शुद्ध हवा में सांस लेना संभव हो सके इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है.
"एक्यूआई का लेवल 200 से अधिक होना खतरनाक माना जाता है. इस समय जो हृदय रोग संबंधित बीमारी से ग्रसित हैं, अथवा जो श्वसन संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं. उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं. अस्थमा के मरीजों को इस स्थिति में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. यदि यह 300 से अधिक चला गया तो बहुत खतरनाक माना जाता है और एक्यूआई लेवल को कम करने के लिए सरकार को हर संभव प्रयास करने चाहिए".- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
ये भी पढ़ें : Air Pollution in Bihar: बिहार के शहरों में जहरीली होने लगी हवा, पटना में 256 तक पहुंचा AQI
ये भी पढ़ें : पटना में प्रदूषण बढ़ा, गांधी मैदान क्षेत्र में AQI 240 के पार, राजा बाजार इलाके में भी 220 के ऊपर