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अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्ले स्कूल की तरह होगी पढ़ाई, प्राथमिक विद्यालय की देखरेख में बच्चे बनेंगे SMART

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Policy On Education) के तहत स्कूल परिसर से बाहर संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को नजदीकी स्कूलों में टैग किया जाना है. जिससे अब आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चे भी स्मार्ट बन सकेंगे, साथ ही उन्हें उचित शिक्षा दी जा सकेगी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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आंगनबाड़ी केंद्र
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Published : Dec 24, 2021, 7:43 AM IST

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) को प्ले स्कूल की तर्ज पर डेवलप किया जाना है. इसके लिए नजदीकी सरकारी प्रारंभिक स्कूल से टैग किया जा रहा है. 3 फरवरी से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों में नजदीकी प्राथमिक स्कूलों की देखरेख में पढ़ाई शुरू भी हो जाएगी. ऐसे में कक्षा एक से जो पढ़ाई बच्चे प्राथमिक स्कूलों में करते थे, उनकी शिक्षा अब आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए शुरू हो जाएगी. जिसकी वजह से अब बच्चे और ज्यादा दक्ष होकर प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर पाएंगे.

इसे भी पढ़ें: अब निजी प्ले स्कूल की तरह आंगनबाड़ी केंद्रों में भी होगी पढ़ाई, अत्याधुनिक सुविधाओं से होंगे लैस

अब तक सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था कक्षा 1 से 12 तक की रही है, लेकिन नए स्वरूप में अब आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी प्राथमिक स्कूलों की देखरेख में चलाना है. जिसके बाद नर्सरी से ही सरकारी स्कूलों के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे. निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्र काम करेंगे. इनमें खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए नजदीकी प्राथमिक स्कूल के शिक्षक अपना योगदान देंगे. निर्देश के मुताबिक नजदीकी प्राइमरी स्कूल से आंगनबाड़ी केंद्र को टैग करना है, जिसकी दूरी ज्यादा नहीं हो.

ये भी पढ़ें: मसौढ़ी: कोरोना काल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई, उपहार स्वरूप भेंट की गई 'पोषण थाली'

आंगनबाड़ी केंद्र प्री प्राइमरी स्कूल की तरह काम करेंगे. जिनमें 3 से 6 साल तक के बच्चों को कार्टून और पिक्चर्स के जरिए खेल-खेल में पढ़ाई कराई जाएगी. इसके लिए प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इस बात की जानकारी अब तक आधिकारिक रूप से स्कूलों तक नहीं पहुंची है. हमने कुछ प्राथमिक स्कूलों में जाकर वहां जानकारी ली, तो इस बारे में यह कहा गया कि अभी आधिकारिक रूप से कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है.

देखें रिपोर्ट.

'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हमें अब अपने आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करना है. उन्हें प्राइमरी स्कूलों से टैग करना है और प्री प्राइमरी एजुकेशन को प्राइमरी स्कूलों की देखरेख में संचालित करना है ताकि वहां जो बच्चे आएंगे उनमें बेहतर स्किल डेवलप किया जा सके. इसके बाद वहां से सीधे बच्चे प्राइमरी स्कूल में शिफ्ट होंगे. इससे न सिर्फ नामांकन बढ़ेगा बल्कि बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक सुधार भी आएगा.' -अमित कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी

वहीं, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ को नई शिक्षा नीति के तहत किए गए प्रावधान की पूरी जानकारी है. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि आइडिया तो बेहतरीन है लेकिन जिसके जरिए इसे लागू कराया जा रहा है, वह कहीं से उचित नहीं है. मनोज कुमार ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका और सहायिका किस तरह की शिक्षा बच्चों को दे पाएंगे. इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए ट्रेंड टीचर होने चाहिए. मनोज कुमार ने कहा कि सरकार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इस महत्वपूर्ण कदम को लेकर खानापूर्ति नहीं करनी चाहिए बल्कि सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षकों के जरिए ही प्री प्राइमरी एजुकेशन भी बच्चों को दिया जाना चाहिए.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से राज्य के तमाम जिलों के शिक्षा पदाधिकारी को प्री प्राइमरी एजुकेशन को लेकर ट्रेनिंग के लिए निर्देश जारी हो चुका है. 10 जनवरी से आंगनबाड़ी सेविकाओं का प्रशिक्षण शुरू हो रहा है. बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक इस प्रशिक्षण के लिए सभी जिले से 2 शिक्षक मास्टर ट्रेनर के रूप में होंगे और एक आईसीडीएस के द्वारा नामित ट्रेनर का प्रशिक्षण भी राज्य स्तर पर आयोजित होगा.

10 से 15 जनवरी तक राज्यस्तरीय मास्टर ट्रेनर्स का छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण होगा. वहीं 17 से 22 जनवरी तक जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण होगा. इसके बाद 27 जनवरी से 1 फरवरी तक वैसे स्कूल जिसके परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं वहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा. निर्देश के मुताबिक 3 फरवरी से प्रशिक्षण के अनुरूप चयनित स्कूलों के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का अध्यापन प्रारंभ हो जाएगा.

आपको बता दें कि बिहार में करीब 70,000 प्राथमिक और मध्य विद्यालय संचालित हैं जबकि एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र भी बिहार में चल रहे हैं. पटना की बात करें तो पटना जिले में 3,136 प्राथमिक स्कूल चल रहे हैं. इनमें से करीब 1100 प्राथमिक स्कूलों के प्रांगण में ही आंगनबाड़ी केंद्र भी चल रहे हैं लेकिन जो आंगनबाड़ी केंद्र अलग से संचालित हो रहे हैं उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्कूल से टैग किया जाएगा. नजदीकी प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ही उस आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखेंगे.

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पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) को प्ले स्कूल की तर्ज पर डेवलप किया जाना है. इसके लिए नजदीकी सरकारी प्रारंभिक स्कूल से टैग किया जा रहा है. 3 फरवरी से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों में नजदीकी प्राथमिक स्कूलों की देखरेख में पढ़ाई शुरू भी हो जाएगी. ऐसे में कक्षा एक से जो पढ़ाई बच्चे प्राथमिक स्कूलों में करते थे, उनकी शिक्षा अब आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए शुरू हो जाएगी. जिसकी वजह से अब बच्चे और ज्यादा दक्ष होकर प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर पाएंगे.

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अब तक सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था कक्षा 1 से 12 तक की रही है, लेकिन नए स्वरूप में अब आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी प्राथमिक स्कूलों की देखरेख में चलाना है. जिसके बाद नर्सरी से ही सरकारी स्कूलों के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे. निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्र काम करेंगे. इनमें खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए नजदीकी प्राथमिक स्कूल के शिक्षक अपना योगदान देंगे. निर्देश के मुताबिक नजदीकी प्राइमरी स्कूल से आंगनबाड़ी केंद्र को टैग करना है, जिसकी दूरी ज्यादा नहीं हो.

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आंगनबाड़ी केंद्र प्री प्राइमरी स्कूल की तरह काम करेंगे. जिनमें 3 से 6 साल तक के बच्चों को कार्टून और पिक्चर्स के जरिए खेल-खेल में पढ़ाई कराई जाएगी. इसके लिए प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इस बात की जानकारी अब तक आधिकारिक रूप से स्कूलों तक नहीं पहुंची है. हमने कुछ प्राथमिक स्कूलों में जाकर वहां जानकारी ली, तो इस बारे में यह कहा गया कि अभी आधिकारिक रूप से कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है.

देखें रिपोर्ट.

'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हमें अब अपने आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करना है. उन्हें प्राइमरी स्कूलों से टैग करना है और प्री प्राइमरी एजुकेशन को प्राइमरी स्कूलों की देखरेख में संचालित करना है ताकि वहां जो बच्चे आएंगे उनमें बेहतर स्किल डेवलप किया जा सके. इसके बाद वहां से सीधे बच्चे प्राइमरी स्कूल में शिफ्ट होंगे. इससे न सिर्फ नामांकन बढ़ेगा बल्कि बच्चों की सीखने की क्षमता में गुणात्मक सुधार भी आएगा.' -अमित कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी

वहीं, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ को नई शिक्षा नीति के तहत किए गए प्रावधान की पूरी जानकारी है. प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि आइडिया तो बेहतरीन है लेकिन जिसके जरिए इसे लागू कराया जा रहा है, वह कहीं से उचित नहीं है. मनोज कुमार ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका और सहायिका किस तरह की शिक्षा बच्चों को दे पाएंगे. इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए ट्रेंड टीचर होने चाहिए. मनोज कुमार ने कहा कि सरकार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इस महत्वपूर्ण कदम को लेकर खानापूर्ति नहीं करनी चाहिए बल्कि सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षकों के जरिए ही प्री प्राइमरी एजुकेशन भी बच्चों को दिया जाना चाहिए.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से राज्य के तमाम जिलों के शिक्षा पदाधिकारी को प्री प्राइमरी एजुकेशन को लेकर ट्रेनिंग के लिए निर्देश जारी हो चुका है. 10 जनवरी से आंगनबाड़ी सेविकाओं का प्रशिक्षण शुरू हो रहा है. बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक इस प्रशिक्षण के लिए सभी जिले से 2 शिक्षक मास्टर ट्रेनर के रूप में होंगे और एक आईसीडीएस के द्वारा नामित ट्रेनर का प्रशिक्षण भी राज्य स्तर पर आयोजित होगा.

10 से 15 जनवरी तक राज्यस्तरीय मास्टर ट्रेनर्स का छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण होगा. वहीं 17 से 22 जनवरी तक जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण होगा. इसके बाद 27 जनवरी से 1 फरवरी तक वैसे स्कूल जिसके परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं वहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा. निर्देश के मुताबिक 3 फरवरी से प्रशिक्षण के अनुरूप चयनित स्कूलों के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का अध्यापन प्रारंभ हो जाएगा.

आपको बता दें कि बिहार में करीब 70,000 प्राथमिक और मध्य विद्यालय संचालित हैं जबकि एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र भी बिहार में चल रहे हैं. पटना की बात करें तो पटना जिले में 3,136 प्राथमिक स्कूल चल रहे हैं. इनमें से करीब 1100 प्राथमिक स्कूलों के प्रांगण में ही आंगनबाड़ी केंद्र भी चल रहे हैं लेकिन जो आंगनबाड़ी केंद्र अलग से संचालित हो रहे हैं उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्कूल से टैग किया जाएगा. नजदीकी प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ही उस आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखेंगे.

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