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JDU को छोड़ महागठबंधन के सभी घटक दल मंडी व्यवस्था के पक्ष में, प्राइवेट मेंबर बिल को लेकर संशय में सरकार

बिहार भले ही तरक्की की राह पर हो लेकिन राज्य के किसान बेहाल हैं. किसानों की बेहतरी को लेकर बिहार में बहस शुरू हो गई है डेढ़ दशक से लागू पैक्स व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठने लगी है, बिहार के ज्यादातर राजनीतिक दल राज्य में मंडी व्यवस्था (Demand Of Mandi System For Farmar In Bihar) फिर से लागू कराना चाहते हैं.

बिहार में मंडी व्यवस्था की मांग
बिहार में मंडी व्यवस्था की मांग
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Published : Dec 14, 2022, 9:06 AM IST

Updated : Dec 14, 2022, 1:17 PM IST

बिहार में मंडी व्यवस्था की मांग

पटनाः नीतीश कुमार ने 2005 में बिहार की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले बाजार समिति व्यवस्था को भंग कर दिया था और उसकी जगह पर पैक्स व्यवस्था (PACS System In Bihar) लागू की थी. किसानों के फसल की खरीद बिक्री बाजार समिति के बजाय पैक्स के हाथों में आ गई और किसानों की आय धीरे-धीरे घटती चली गई. किसान अपनी फसल को औने पौने दाम में बेचने को मजबूर हो गए लालफीताशाही ने किसानों का बेड़ा गर्क कर दिया. अब डेढ़ दशक से लागू पैक्स व्यवस्था के खिलाफ आवाज (Political Party of bihar In Favour of Mandi system) उठने लगी है. 1978 के बाद पहली बार विधानसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाया गया है.

ये भी पढ़ेंः कृषि कानून वापस होने के बाद बिहार में सियासी संग्राम, एपीएमसी एक्ट बहाल करने की मांग

मंडी व्यवस्था लागू करने की मांगः महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार में मंडी व्यवस्था को लेकर आवाज उठने लगी है. राष्ट्रीय जनता दल के एजेंडे में भी मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू कराना शामिल है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शपथ ग्रहण के साथ ही मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू करने का ऐलान कर दिया था, लेकिन नौकरशाहों के असहयोगात्मक रुख के चलते सुधाकर सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंडी व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंडी व्यवस्था को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. इस बाबत सदन को सुधाकर सिंह ने सूचित भी कर दिया है, फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है.

मंडी व्यवस्था को लेकर मुश्किल में सरकार: पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि वो करोड़ों किसानों के हित की बात कर रहे हैं और उनकी मांग है कि बिहार के अंदर मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सदन में इसलिए उन्होंने प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. वो चाहते हैं कि सदन के अंदर इस विषय पर चर्चा हो. वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायक मुन्ना तिवारी का मानना है कि पैक्स व्यवस्था से किसानों की माली हालत ठीक नहीं हुई. ऐसे में सरकार को मंडी व्यवस्था फिर से लाने पर विचार करना चाहिए. मंडी व्यवस्था अगर लागू होगी तो किसानों के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे.

"हम करोड़ों किसानों के हित में बात कर रहे हैं और मेरी मांग है कि बिहार के अंदर मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सदन में इसलिए मैंने प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. हम चाहते हैं कि सदन के अंदर इस विषय पर चर्चा हो"- सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

पैक्स व्यवस्था से किसानों की स्थिति बदतरः वहीं, वाम विधायक मनोज मंजिल का कहना है कि किसानों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है. एपीएमसी एक्ट बिहार में फिर से लागू होना चाहिए. जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज बेच सकें. राजद विधायक राकेश रोशन का मानना है कि मंडी व्यवस्था बिहार के किसानों के हित में है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए. राज्य के अंदर अगर मंडी व्यवस्था लागू हो गई तो किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिलेगी. भाजपा नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा है कि मंडी व्यवस्था को लेकर सरकार में विवाद है अब नीतीश कुमार को तय करना है कि वह क्या करेंगे. मेरी राय में केंद्र सरकार ने जो किसानों के लिए बिल लाया था वह बेहतर है.

"मंडी व्यवस्था बिहार के किसानों के हित में है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए. राज्य के अंदर अगर मंडी व्यवस्था लागू हो गई तो किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिलेगी"- राकेश रोशन, राजद विधायक

"मंडी व्यवस्था को लेकर सरकार में विवाद है अब नीतीश कुमार को तय करना है कि वह क्या करेंगे. मेरी राय में केंद्र सरकार ने जो किसानों के लिए बिल लाया था वह बेहतर है"- प्रमोद कुमार, पूर्व मंत्री

पैक्स व्यवस्था में सुधार की जरूरतः वहीं, जदयू नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि प्राइवेट मेंबर बिल किसी सदस्य ने लाया है. लेकिन अध्यक्ष के स्तर पर उसे स्वीकृत किया जाना है. सदन के बाहर तो चर्चा चल रही है लेकिन सदन में अब तक इस विषय पर चर्चा नहीं हुई है. श्रवण कुमार ने कहा कि पैक्स व्यवस्था बेहतर है लेकिन कुछ सुधार की दरकार भी है.

बिहार में मंडी व्यवस्था की मांग

पटनाः नीतीश कुमार ने 2005 में बिहार की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले बाजार समिति व्यवस्था को भंग कर दिया था और उसकी जगह पर पैक्स व्यवस्था (PACS System In Bihar) लागू की थी. किसानों के फसल की खरीद बिक्री बाजार समिति के बजाय पैक्स के हाथों में आ गई और किसानों की आय धीरे-धीरे घटती चली गई. किसान अपनी फसल को औने पौने दाम में बेचने को मजबूर हो गए लालफीताशाही ने किसानों का बेड़ा गर्क कर दिया. अब डेढ़ दशक से लागू पैक्स व्यवस्था के खिलाफ आवाज (Political Party of bihar In Favour of Mandi system) उठने लगी है. 1978 के बाद पहली बार विधानसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाया गया है.

ये भी पढ़ेंः कृषि कानून वापस होने के बाद बिहार में सियासी संग्राम, एपीएमसी एक्ट बहाल करने की मांग

मंडी व्यवस्था लागू करने की मांगः महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार में मंडी व्यवस्था को लेकर आवाज उठने लगी है. राष्ट्रीय जनता दल के एजेंडे में भी मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू कराना शामिल है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शपथ ग्रहण के साथ ही मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू करने का ऐलान कर दिया था, लेकिन नौकरशाहों के असहयोगात्मक रुख के चलते सुधाकर सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंडी व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंडी व्यवस्था को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. इस बाबत सदन को सुधाकर सिंह ने सूचित भी कर दिया है, फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है.

मंडी व्यवस्था को लेकर मुश्किल में सरकार: पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि वो करोड़ों किसानों के हित की बात कर रहे हैं और उनकी मांग है कि बिहार के अंदर मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सदन में इसलिए उन्होंने प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. वो चाहते हैं कि सदन के अंदर इस विषय पर चर्चा हो. वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायक मुन्ना तिवारी का मानना है कि पैक्स व्यवस्था से किसानों की माली हालत ठीक नहीं हुई. ऐसे में सरकार को मंडी व्यवस्था फिर से लाने पर विचार करना चाहिए. मंडी व्यवस्था अगर लागू होगी तो किसानों के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे.

"हम करोड़ों किसानों के हित में बात कर रहे हैं और मेरी मांग है कि बिहार के अंदर मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सदन में इसलिए मैंने प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. हम चाहते हैं कि सदन के अंदर इस विषय पर चर्चा हो"- सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

पैक्स व्यवस्था से किसानों की स्थिति बदतरः वहीं, वाम विधायक मनोज मंजिल का कहना है कि किसानों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है. एपीएमसी एक्ट बिहार में फिर से लागू होना चाहिए. जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज बेच सकें. राजद विधायक राकेश रोशन का मानना है कि मंडी व्यवस्था बिहार के किसानों के हित में है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए. राज्य के अंदर अगर मंडी व्यवस्था लागू हो गई तो किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिलेगी. भाजपा नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा है कि मंडी व्यवस्था को लेकर सरकार में विवाद है अब नीतीश कुमार को तय करना है कि वह क्या करेंगे. मेरी राय में केंद्र सरकार ने जो किसानों के लिए बिल लाया था वह बेहतर है.

"मंडी व्यवस्था बिहार के किसानों के हित में है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए. राज्य के अंदर अगर मंडी व्यवस्था लागू हो गई तो किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिलेगी"- राकेश रोशन, राजद विधायक

"मंडी व्यवस्था को लेकर सरकार में विवाद है अब नीतीश कुमार को तय करना है कि वह क्या करेंगे. मेरी राय में केंद्र सरकार ने जो किसानों के लिए बिल लाया था वह बेहतर है"- प्रमोद कुमार, पूर्व मंत्री

पैक्स व्यवस्था में सुधार की जरूरतः वहीं, जदयू नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि प्राइवेट मेंबर बिल किसी सदस्य ने लाया है. लेकिन अध्यक्ष के स्तर पर उसे स्वीकृत किया जाना है. सदन के बाहर तो चर्चा चल रही है लेकिन सदन में अब तक इस विषय पर चर्चा नहीं हुई है. श्रवण कुमार ने कहा कि पैक्स व्यवस्था बेहतर है लेकिन कुछ सुधार की दरकार भी है.

Last Updated : Dec 14, 2022, 1:17 PM IST
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