पटना: बिहार पुलिस विभाग डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है. थानों का आधुनिकीकरण सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Network and Systems) परियोजना के तहत किया जा रहा है. हालांकि की दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार पिछड़ गया है.
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सीसीटीएनएस परियोजना में 894 थानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक कुल 757 थानों को डिजिटाइज्ड किया गया है. जिन 757 थानों को डिजिटलाइजेशन किया गया है, उन थानों में हुए एफआईआर अब आईसीजी के तहत ऑनलाइन माध्यम से न्यायालय तक पहुंच रहा है.- कमल किशोर सिंह,आईजी,एससीआरबी
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1056 थानों को डिजिटाइज्ड करने का लक्ष्य
हालांकि बाद में राज्य सरकार के द्वारा बिहार के सभी 1056 थानों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से 757 थाने पूर्ण रूप से डिजिटाइज्ड हो चुके हैं. उन सभी थानों के डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया जा रहा है.
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757 थाने डिजिटाइज्ड
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. और सभी लोगों के प्रशिक्षित होने के बाद पूरे राज्य की पुलिस डिजिटल मोड में ही काम करेगी.
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CCTNS योजना के तहत थानों का आधुनिकीकरण
सीसीटीएनएस योजना के तहत पिछले 10 वर्षों के केस रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज्ड किया जा रहा है. राज्य के 40 जिलों में से 37 जिलों में यह कार्य तेजी से प्रारंभ किए गए हैं. आने वाले कुछ महीनों में पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को डिजिटाइज्ड कर दिया जायेगा.
20 साल के रिकॉर्ड को किया जायेगा डिजिटाइज्ड
हालांकि उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि सिर्फ 10 वर्ष ही नहीं क्योंकि कोर्ट में पिछले कई वर्षों के मामले चलते आ रहे हैं इसलिए पिछले 20 वर्षों के केस रिकॉर्ड को डिजिटाइज्ड करने का निर्णय लिया गया है.
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पिछले 6 महीने में सीसीटीएनएस योजना के तहत बिहार के थानों में काफी काम हुआ है. हम लोगों ने करो ना कॉल में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. सीसीटीएनएस योजना को कोरोना काल में भी बाधित नहीं होने दिया गया. तब से अब तक बिहार में कुल 757 थाने सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं और उन थानों के 87000 एसआईआर को सॉफ्टवेयर के माध्यम से चढ़ाया गया है. साथ ही साथ लगभग 2700000 स्टेशन डायरी सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अंकित की गई है.- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
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सिर्फ 4 जिलों में हो रही समस्या
लगभग 5000 केस डायरी को भी अब तक अंकित किया गया है. आईसीजीएस के माध्यम से सभी न्यायालयों को इससे जोड़ा गया है. अररिया, सीतामढ़ी, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर को छोड़कर सभी जिले के न्यायालय आईसीजीएस के माध्यम से थानों के डाटा को पाने में सफल रहे हैं. हालांकि इन चार जिलों की समस्या को भी जल्द दूर करने का दावा किया जा रहा है.
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अप्रैल से पेपरलेस वर्क
21 मार्च तक 894 थानों को सीसीटीएनएस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. उम्मीद की जा रही है कि इस कार्य को कर लिया जाएगा. उसके बाद बचे और थाने जिन्हें बाद में जोड़ना था उसे भी पूरा किया जाएगा. आगामी अप्रैल महीने के बाद से बिहार के सभी थाने और पुलिस कार्यालय में पेपरलेस कार्य किया जाएगा.
ऐसे होगा थानों में काम
- सीसीटीएनएस नेटवर्क से जुड़ चुके थानों में दर्ज होने वाली एफआईआर डिजिटल फॉर्म में तैयार किया जाता है.
- इसके लिए नेटवर्क में पहले से व्यवस्था की गई है.
- एफआईआर के साथ स्टेशन डायरी की भी इंट्री डिजिटल फॉर्म में की जाती है.
- एफआईआर का डिजिटल फॉर्म सीसीटीएनएस के सेंट्रल सर्वर के जरिए इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के पोर्टल पर चला जाता है.
- इसके बाद यह अदालत के लिए उपलब्ध होता है.
- अदालत जब चाहे एफआईआर को अपने वहां मौजूद कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर देख सकती है.
- 757 थानों में ऑनलाइन एंट्री की जा रही है.
हालांकि अभी थानों में डिजिटल के साथ मैनुअल तरीके से भी काम हो रहा है. बिहार में 757 थानों और 206 पुलिस कार्यालय सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं.
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ऑनलाइन होगी जानकारी
चार्जशीट के साथ गिरफ्तारी और बरामदगी की जानकारी भी अपलोड किया जा रहा है. यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी और सभी आंकड़े इसी तरह डिजिटल फॉर्म में अपलोड करने का काम जारी रहेगा.
पुलिस का काम होगा आसान
बिहार के सभी थाने डिजिटाइज्ड हो जाएंगे तो सबसे आसान पुलिसकर्मियों के लिए होगा. अगर किसी अपराधी या किसी के बारे में कोई भी जानकारी लेनी होगी तो सीधे एक बटन क्लिक कर उस कांड या उस अपराधी के बारे में आसानी से जानकारी जुटाई जा सकेगी. सिर्फ बिहार ही नहीं देश के किसी कोने से किसी भी अपराधी या किसी तरह की जानकारी ली जा सकेगी.
सुपर विजन के लिए फायदेमंद
एसपी रैंक से लेकर डीजी रैंक के अधिकारियों के लिए खुद सुपर विजन के लिए भी यह काफी फायदेमंद साबित होगा. पुलिसकर्मी के साथ-साथ आम जनता को भी इसका फायदा होगा.
जनता को फायदा
लोग घर बैठे ही केस से रिलेटेड किसी तरह की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद नवंबर 2016 से ही पब्लिक डोमेन में किसी भी एफआईआर को 24 से 48 घंटे के अंदर पब्लिक डोमेन में डाल दिया जाता है. और एनसीआरबी के वेबसाइट पर सभी एफआईआर लोड होते हैं.
सिर्फ ऐसे मामले नहीं होंगे अपलोड
इस दौरान सिर्फ वैसे एफआईआर लोड नहीं किए जाते हैं जिसे डालने की अनुमति नहीं हो. जैसे कि महिला के साथ उत्पीड़न, गैंगरेप, नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े मामले, बच्चों के साथ उत्पीड़न, कम्युनल, लॉ एंड ऑर्डर से रिलेटेड मामले को पब्लिक डोमेन में नहीं डालने की अनुमति है.
काम हो जाएगा कम, समय की बचत
- जैसे ही पूर्ण रूप से बिहार पुलिस डिजिटाइज्ड हो जाएगी भ्रष्टाचार से जुड़े लगभग सभी मामले पूर्ण रूप से खत्म हो जाएंगे.
- पब्लिक और पुलिस के लिए यह बहुत अच्छा फैसला है.
- अब चरित्र सत्यापन, लापता सामग्रियों की सूचना, खोए या चोरी हुए सामानों की जानकारी आदि भी ऑनलाइन मिलेगी.
- अपराधियों के फिंगरप्रिंट का डेटाबेस होगा.
- कहीं के भी अपराधी की जानकारी उसके फिंगरप्रिंट से हो सकेगी.
- फिंगरप्रिंट डेटाबेस से सिर्फ 89 सेकंड में अपराधी की पहचान हो सकेगी.
- राष्ट्रीय स्तर पर भी एक थाना से दूसरे थाना में सूचना के आदान-प्रदान में बहुत सुविधा और पारदर्शिता होगी.
- पुलिस डायरी में हेरफेर करना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा.