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पटनाः ऑल इंडिया किसान सभा ने किया किसान संसद का आयोजन

पी साईनाथ ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ कृषि बिल के खिलाफ नहीं बल्कि कृषि को कॉरपोरेट घराने में जाने से बचाने की लड़ाई है. इस आंदोलन के निष्कर्ष पर लोकतंत्र का भविष्य निर्धारित होगा.

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Published : Jan 17, 2021, 7:07 PM IST

पटनाः दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में रणनीति बनाने के लिए बिहार राज्य किसान सभा ने किसान संसद का आयोजन किया. अदालत गंज स्थित जनशक्ति भवन में एक दिवसीय किसान संसद का आयोजन किया गया.

'सरकार को ही पीछे हटा कर मानेंगे किसान'
किसान संसद में ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान, नेशन फॉर फॉर्मर के संस्थापक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पी साईनाथ सहित कई दिग्गजों किसान नेता शामिल हुए. अतुल कुमार अंजान ने कहा कि सरकार का इस बार पाला किसी राजनीतिक दल से नहीं बल्कि किसानों से पड़ा है. जो कभी पीछे नहीं हटने वाले हैं. किसान सरकार को ही पीछे हटा कर मानेंगे.

किसान संसद का आयोजन

"लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण कृषि संघर्ष चल रहा है. मेरे जीवन काल में ये सबसे बड़ा लोकतांत्रिक कृषि संघर्ष है. ये सिर्फ कृषि कानून के लिए नहीं है, इसका असर हिंदुस्तान के हर नागरिक पर हो रहा है. किसान वर्ग कॉरपोरेट पॉवर को सीधे कन्फ्रंट कर रहा है."- पी साईनाथ , संस्थापक नेशन फॉर फॉर्मर

ये भी पढ़े: मोतिहारी में किसान संगोष्ठी का हुआ आयोजन

'किसान जगत की कारपोरेट घराने से लड़ाई'पी साईनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि किसान तीनों कृषि विरोधी काले कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि विरोधी काले कानून से सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि देश के हर एक नागरिक को नुकसान है. पी साईनाथ ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ कृषि बिल के खिलाफ नहीं बल्कि कृषि को कारपोरेट घराने में जाने से बचाने की लड़ाई है. इस आंदोलन के निष्कर्ष पर लोकतंत्र का भविष्य निर्धारित होगा. यह लड़ाई सीधे किसान जगत की कारपोरेट घराने से है.

पटनाः दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में रणनीति बनाने के लिए बिहार राज्य किसान सभा ने किसान संसद का आयोजन किया. अदालत गंज स्थित जनशक्ति भवन में एक दिवसीय किसान संसद का आयोजन किया गया.

'सरकार को ही पीछे हटा कर मानेंगे किसान'
किसान संसद में ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान, नेशन फॉर फॉर्मर के संस्थापक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पी साईनाथ सहित कई दिग्गजों किसान नेता शामिल हुए. अतुल कुमार अंजान ने कहा कि सरकार का इस बार पाला किसी राजनीतिक दल से नहीं बल्कि किसानों से पड़ा है. जो कभी पीछे नहीं हटने वाले हैं. किसान सरकार को ही पीछे हटा कर मानेंगे.

किसान संसद का आयोजन

"लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण कृषि संघर्ष चल रहा है. मेरे जीवन काल में ये सबसे बड़ा लोकतांत्रिक कृषि संघर्ष है. ये सिर्फ कृषि कानून के लिए नहीं है, इसका असर हिंदुस्तान के हर नागरिक पर हो रहा है. किसान वर्ग कॉरपोरेट पॉवर को सीधे कन्फ्रंट कर रहा है."- पी साईनाथ , संस्थापक नेशन फॉर फॉर्मर

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'किसान जगत की कारपोरेट घराने से लड़ाई'पी साईनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि किसान तीनों कृषि विरोधी काले कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि विरोधी काले कानून से सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि देश के हर एक नागरिक को नुकसान है. पी साईनाथ ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ कृषि बिल के खिलाफ नहीं बल्कि कृषि को कारपोरेट घराने में जाने से बचाने की लड़ाई है. इस आंदोलन के निष्कर्ष पर लोकतंत्र का भविष्य निर्धारित होगा. यह लड़ाई सीधे किसान जगत की कारपोरेट घराने से है.
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