पटना: प्रदेश में शराबबंदी कानून लागू हुए लगभग 4 साल होने जा रहे हैं. शराबबंदी होने से बिहार को कितना फायदा हुआ है? इस सवाल पर समाजशास्त्रियों की अलग-अलग राय है. जानकारों की मानें तो शराबबंदी से बिहार के सामाजिक परिवेश में बदलाव आया है. लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठा है.
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. डीएम दिवाकर का कहना है कि शराबबंदी कानून से निश्चित रूप से बिहार को फायदा हुआ है. पहले जहां शाम ढलते ही हर चौक-चौराहे पर शराब पीकर लोग पड़े रहते थे, अब ऐसा नहीं दिखाई पड़ता. उन्होंने कहा कि यह फर्क अनायास ही दिखता है, इसे साबित करने के लिए किसी डेटा की जरूरत नहीं.
'शराब के पैसों से अब घर में आती हैं सब्जियां'
प्रोफेसर डॉ. डीएम दिवाकर की मानें तो शराबबंदी के कारण गरीबों के घर में शांति आई है. ऐसा नहीं है कि शराबबंदी के बाद बिहार में शराब नहीं मिल रही है, मगर ब्लैक में खरीदना गरीबों के बस का नहीं है. इस कारण पहले जो गरीब शराब पीकर खाली हाथ घर आते थे, अब उन पैसों की सब्जियां लेकर पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद बिहार के राजस्व में लगातार इजाफा देखने को मिला है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
आंकड़ों के मुताबिक शराबबंदी के पहले 2013-14 में टैक्स रेवेन्यू लगभग 54,000 करोड़ के आसपास था. वहीं, शराबबंदी लागू होने के बाद 2018-19 में टैक्स रेवेन्यू 80 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है. डॉक्टर डीएम दिवाकर का कहना है कि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी करने के लिए पुलिस-प्रशासन को सख्त होना होगा.
'शराबबंदी के कारण बिहार में दिखा सोशल रिफॉर्म'
वहीं, गांधी विचार मंच से जुड़े गांधी संग्रहालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी आसिफ वशी ने कहा कि शराबबंदी कानून से निश्चित रूप से बिहार को काफी फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि 1931 में महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर उन्हें 1 दिन का तानाशाह बना दिया जाए तो वह शराब के सभी ठेकों को ध्वस्त कर देंगे और इसके लिए उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के माध्यम से एक बहुत ही अच्छा सोशल रिफॉर्म बिहार में देखने को मिला है.
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शराबबंदी से सबसे अधिक खुश हैं महिलाएं
गांधी संग्रहालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी आसिफ वशी की मानें तो शराबबंदी कानून लागू होने से यंग जेनरेशन और महिलाएं सबसे ज्यादा खुश हैं. सरकार का काम था कानून बनाना लेकिन अब समाज कि जिम्मेदारी है कि इस कानून का पूरी तरह से लागू करने में सहयोग करें.
2016 में लागू हुई थी शराबबंदी
2अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन से बिहार सरकार ने शराबबंदी का नया कानून बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2016 लागू किया था. शराबबंदी अभियान को सफल बनाने के लिए साल 2017 में बिहार में 11292 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई थी.