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महिलाओं की समस्याओं को लेकर 5 मार्च को ऐपवा का विधानसभा मार्च

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Published : Mar 4, 2021, 6:02 PM IST

ऐपवा महासचिव ने बताया कि लंबे समय से हमारी मांग रही है कि जीविका दीदियों को न्यूनतम 21 हजार मानदेय दिया जाए, लेकिन सरकार इस में आनाकानी कर रही है.

ऐपवा करेगी विधानसभा मार्च
ऐपवा करेगी विधानसभा मार्च

पटना: ऐपवा और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के तत्वाधान में 5 मार्च को पटना के गर्दनीबाग से विधानसभा मार्च निकाला जाएगा. इसमें जीविका दीदियों और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की समस्याओं को लेकर चर्चा की जाएगी. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने बताया कि बिहार में करोड़ों महिलाओं को स्वरोजगार के लिए कर्ज दिया गया.

ये भी पढ़ें- नीतीश की मुस्कान और समय का इंतजार, बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है?

बजट में महिलाओं को कोई राहत नहीं
सहायता समूह की महिलाएं माइक्रोफाइनेंस विद कंपनी और निजी बैंकों से स्वरोजगार के लिए जो ऋण मिला था. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण कार्य पूरी तरह ठप रहा. जिस कारण उसे चुकाने में असमर्थ रहे. लेकिन सरकार ने बजट में इन महिलाओं को कोई राहत नहीं दी. सरकार बड़े पूंजीपतियों को बेलआउट पैकेज दे रही है तो इन महिलाओं को क्यों नहीं कोई पैकेज दिया जा रहा है. इनके छोटे कर्ज माफ क्यों नहीं किए जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

21 हजार मानदेय देने की मांग
ऐपवा महासचिव ने बताया कि लंबे समय से हमारी मांग रही है कि जीविका दीदियों को न्यूनतम 21 हजार मानदेय दिया जाए, लेकिन सरकार इस में आनाकानी कर रही है. आंध्र प्रदेश की सरकार ने स्वयं सहायता समूह का अगस्त 2020 में 27 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का भुगतान कर इनके कर्ज को माफ करने का काम किया है, तो बिहार सरकार इस काम को क्यों नहीं कर सकती. इन्हीं मांगों को लेकर कल हम विधानसभा को घेरने का काम करेंगे और भाकपा माले के विधायक इन मांगों को विधानसभा में भी उठाएंगे.

पटना: ऐपवा और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के तत्वाधान में 5 मार्च को पटना के गर्दनीबाग से विधानसभा मार्च निकाला जाएगा. इसमें जीविका दीदियों और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की समस्याओं को लेकर चर्चा की जाएगी. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने बताया कि बिहार में करोड़ों महिलाओं को स्वरोजगार के लिए कर्ज दिया गया.

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बजट में महिलाओं को कोई राहत नहीं
सहायता समूह की महिलाएं माइक्रोफाइनेंस विद कंपनी और निजी बैंकों से स्वरोजगार के लिए जो ऋण मिला था. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण कार्य पूरी तरह ठप रहा. जिस कारण उसे चुकाने में असमर्थ रहे. लेकिन सरकार ने बजट में इन महिलाओं को कोई राहत नहीं दी. सरकार बड़े पूंजीपतियों को बेलआउट पैकेज दे रही है तो इन महिलाओं को क्यों नहीं कोई पैकेज दिया जा रहा है. इनके छोटे कर्ज माफ क्यों नहीं किए जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

21 हजार मानदेय देने की मांग
ऐपवा महासचिव ने बताया कि लंबे समय से हमारी मांग रही है कि जीविका दीदियों को न्यूनतम 21 हजार मानदेय दिया जाए, लेकिन सरकार इस में आनाकानी कर रही है. आंध्र प्रदेश की सरकार ने स्वयं सहायता समूह का अगस्त 2020 में 27 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का भुगतान कर इनके कर्ज को माफ करने का काम किया है, तो बिहार सरकार इस काम को क्यों नहीं कर सकती. इन्हीं मांगों को लेकर कल हम विधानसभा को घेरने का काम करेंगे और भाकपा माले के विधायक इन मांगों को विधानसभा में भी उठाएंगे.

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