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चमकी बुखार पर AIIMS की रिपोर्ट- कुपोषण और सुविधाओं के अभाव में हुई बच्चों की मौत

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत को लेकर एम्स की रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुपोषण और सुविधाओं के अभाव में बच्चों की मौत हुई.

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Published : Jul 3, 2019, 10:04 AM IST

पटना

नई दिल्ली/ पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 154 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था. अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की रिसर्च सामने आई है. इस रिसर्च में डॉक्टरों ने दावा किया है कि ठीक तरह से उपचार ना मिलने और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं का ना होना बच्चों की मौत के कारण बने.

'कुपोषण व सुविधाओं का अभाव है असली वजह'
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि AES के लक्षणों का परिजनों को रात में मालूम चला था, लेकिन वह पीड़ितों को सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई. रिसर्च में ये भी सामने आया कि जिन बच्चे की मौत हुई वो कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी भी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.

एईएस पर एम्स की रिपोर्ट
अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवालएम्स की इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल पीड़ितों को इक्विपमेंट समेत दूसरी स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. इसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. एम्स की रिसर्च में यह भी पाया गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सक्रिय हो और उचित कदम उठाए.

जानिए क्या हैं इसके लक्षण :

  • एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है.
  • अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.
  • इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं.
  • गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
  • तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते है.
  • साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना.
  • अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
  • चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है.

जानिए क्या हैं इसके उपचार :

  • पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें.
  • रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें.
  • बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान :

  1. बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें.
  2. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें.
  3. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें.
  4. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे.
  5. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं.
  6. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.
  7. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
  8. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है.
  9. ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को आएं.

नई दिल्ली/ पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 154 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था. अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की रिसर्च सामने आई है. इस रिसर्च में डॉक्टरों ने दावा किया है कि ठीक तरह से उपचार ना मिलने और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं का ना होना बच्चों की मौत के कारण बने.

'कुपोषण व सुविधाओं का अभाव है असली वजह'
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि AES के लक्षणों का परिजनों को रात में मालूम चला था, लेकिन वह पीड़ितों को सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई. रिसर्च में ये भी सामने आया कि जिन बच्चे की मौत हुई वो कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी भी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.

एईएस पर एम्स की रिपोर्ट
अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवालएम्स की इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल पीड़ितों को इक्विपमेंट समेत दूसरी स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. इसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. एम्स की रिसर्च में यह भी पाया गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सक्रिय हो और उचित कदम उठाए.

जानिए क्या हैं इसके लक्षण :

  • एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है.
  • अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.
  • इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं.
  • गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
  • तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते है.
  • साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना.
  • अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
  • चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है.

जानिए क्या हैं इसके उपचार :

  • पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें.
  • रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें.
  • बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान :

  1. बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें.
  2. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें.
  3. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें.
  4. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे.
  5. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं.
  6. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.
  7. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
  8. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है.
  9. ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को आएं.
Intro:चमकी बुखार पर एम्स की रिसर्च, राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही आई सामने

दक्षिणी दिल्ली: बिहार के मुज्जफरपुर में चमकी बुखार के चलते जहां 154 बच्चों की मौत की मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था.वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली की एक टीम ने इस पर रिसर्च की.और यह रिसर्च अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि 154 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


Body:आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे. लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. उन्होंने अपने रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं और ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में इक्विपमेंट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. उन्होंने रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. और वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.इसलिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते भी बच्चों और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी का सामना करना पड़ा.


Conclusion:फिलहाल इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाएं.
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