पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Counci) lमें ध्यानाकर्षण सूचना के तहत विधान पार्षद रामबली सिंह ने सरकार से आसन के द्वारा यह जानकारी मांगी थी कि शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (क) में मौलिक अधिकार घोषित किया गया है. जिसके तहत कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट 2010 अधिनियमित किया गया है. उक्त प्रावधानों के अनुसार पटना के निजी विद्यालयों में इस अधिनियम के तहत कमजोर वर्ग के बच्चों को नामांकन की कुल कितनी संख्या है और किन-किन विद्यालयों में है?. अगर अपेक्षित संख्या में निजी विद्यालयों में कमजोर वर्ग के बच्चों की संख्या कम है तो शिक्षा का अधिकार 2010 के अंतर्गत शत-प्रतिशत नामांकन के लिए सरकार कौन सा कदम उठा रही है?.
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अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत पूछा गया सवाल : इस ध्यानाकर्षण सूचना पर आसन को जानकारी देते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने बताया कि- "वस्तुस्थिति यह है कि उन बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम की धारा 12 के प्रावधानों के तहत मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के प्रथम प्रवेश कक्षा में कुल सीटों के 25% सीटों पर अलाभकारी/ अभिवंचित वर्ग के बच्चों का नामांकन लिया जाना अनिवार्य है. शैक्षणिक सत्र 2022-23 में पटना जिले के 290 विद्यालयों के द्वारा 2247 बच्चों के नामांकन की सूचना दी गई है.
पोर्टल विकसित करने की कवायद : बिहार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (Bihar Education Minister Chandrashekhar) ने यह भी जानकारी दी की शैक्षणिक सत्र 2022-23 में पटना में प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों की कुल संख्या 449 है. प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों (अल्पसंख्यक को छोड़कर) के प्रारंभिक कक्षा में नामांकन के निमित्त शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में सभी संबंधों को उक्त प्रावधान की सूचना दी जाती है ताकि इसका क्रियान्वयन ज्यादा से ज्यादा हो. उन्होंने सदन को यह भी बताया कि इस कोटि के अंतर्गत शत-प्रतिशत नामांकन करने हेतु पोर्टल विकसित करने की भी कार्रवाई की जा रही है.