पटना: पटना में हिंदी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता बृजेंद्र काला (Actor Brijendra Kala) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. सैकड़ों फिल्मों में उन्होंने अपने किरदार को ऐसा निभाया कि आज लोगों के दिल और दिमाग में बृजेन्द्र काला बैठे हुए है. जब वी मेट, गुलाबो सिताबो, मेरे ब्रदर की दुल्हन, अग्नीपथ, एम एस धोनी, ट्यूबलाइट सहित कई फिल्मों में अपना अभिनय दिखाया है. पटना के खादी मॉल में पहुंचकर खादी के वस्त्रों को देख वो काफी खुश हुए. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अपने संघर्ष भरी कहानी को बयां करते हुए कहा कि सभी बच्चों को बचपन से ही कुछ ना कुछ करने का शौक होता है. कई लोग पढ़ने में तेज होते हैं कई लोग पढ़ने में बुद्धू होते हैं. उसी बुद्धू में मैं एक हूं, मेरा बचपन से सिंगिंग करने का शौक था स्कूलों में प्रार्थना करता था और किसी कार्यक्रम में गीत संगीत लोगों के सामने पेश करता था.
सिंगर बनना चाहते थे बृजेन्द्र काला: बृजेन्द्र काला कहते हैं कि मेरा सपना था कि मैं सिंगर बनू लेकिन हमारे जमाने में परिवार वालों के कहे अनुसार काम करना पड़ता था. अब बदलते जमाने में बच्चों के कहे अनुसार मां-बाप चलते हैं. हालांकि उस समय मेरा संगीत का सपना अधूरा रह गया और फिर मैंने बायोकेमेस्ट्री से ग्रेजुएशन किया और साथ में दूरदर्शन भी जाया करता था. बाल गोपाल और कई ड्रामा सेक्शन में हिस्सा लिया करता था. धीरे-धीरे थिएटर मंच पर अपना अभिनय दिखाने लगा. उन्होंने कहा कि दूरदर्शन में मेरी मुलाकात डॉ अर्चना नागर से हुई जिनको मैं मां बोलता हूं वहां उनका एक ग्रुप चलता था. स्वास्तिक रंग मंडल में शामिल हो गया. मेरी परवरिश पढ़ाई-लिखाई थिएटर मथुरा से हुई है लेकिन हम लोग रहने वाले उत्तराखंड के हैं. उन्होंने कहा कि थिएटर से जुड़े कलाकारों को कभी भी कोई किरदार निभाने में परेशानी नहीं होती है और हम लगभग 15 साल से ज्यादा थिएटर से जुड़े रहें हैं. थिएटर के बदौलत फिल्मों में मुझे जो किरदार मिलता था मैं उसको लगन के साथ पूरा करता था. जिसका नतीजा है कि सैकड़ो फिल्मों में अभिनय कर चुका हूं.
"मेरा सपना था कि मैं सिंगर बनू लेकिन हमारे जमाने में परिवार वालों के कहे अनुसार काम करना पड़ता था. अब बदलते जमाने में बच्चों के कहे अनुसार मां-बाप चलते हैं. हालांकि उस समय मेरा संगीत का सपना अधूरा रह गया और फिर मैंने बायोकेमेस्ट्री से ग्रेजुएशन किया और साथ में दूरदर्शन भी जाया करता था. बाल गोपाल और कई ड्रामा सेक्शन में हिस्सा लिया करता था. धीरे-धीरे थिएटर मंच पर अपना अभिनय दिखाने लगा. उन्होंने कहा कि दूरदर्शन में मेरी मुलाकात डॉ अर्चना नागर से हुई जिनको मैं मां बोलता हूं वहां उनका एक ग्रुप चलता था. स्वास्तिक रंग मंडल में शामिल हो गया. मेरी परवरिश पढ़ाई-लिखाई थिएटर मथुरा से हुई है लेकिन हम लोग रहने वाले उत्तराखंड के हैं."-बृजेन्द्र काला, एक्टर
सुशांत सिंह राजपूत को बताया बेहतरीन कलाकार: आगे उन्होंने कहा कि अभी तक जो हमने फिल्में की है, मेरी सभी फिल्म अच्छी है, मुझे हर कैरेक्टर रोल पसंद आते हैं. हालांकि मैंने जिस फिल्म में जिस कैरेक्टर में काम किया उसको तन मन से निभाया है. कई फिल्में की हैं लेकिन वह फिल्में अभी आई नहीं है और उस में मेरा किरदार ही कुछ अलग है. अगर वह फिल्म रिलीज हो जाती तो लोगों को मेरे बारे में और कुछ जानने को मिलता. एम एस धोनी फिल्म में बिहार के लाल सुशांत सिंह राजपूत मुख्य भूमिका के रूप में थे जिसमें बृजेंद्र काला ने कॉमेंट्री के रूप में अपना अभिनय दिखाया है. उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को लेकर के कहा कि रांची जमशेदपुर में फिल्में शूट हुई और मेरी भूमिका कम रही. मैं कमेंट्री करता था लेकिन सुशांत सिंह राजपूत से उतनी बात नहीं हो पाई. सुशांत सिंह राजपूत लवरब्वॉय के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन थोड़ी सी कमी उनके कैरेक्टर में रही लेकिन वो काफी अच्छे कलाकार रहे हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बोलें एक्टर: वहीं बदलते जमाने में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जब हमने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि डिजिटल की तरफ दुनिया बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को मैं कोरोना प्लेटफॉर्म कहता हूं क्योंकि कोरोना काल के समय में ही ओटीटी प्लेटफॉर्म जन्मा है. उन्होंने कहा कि फिल्मों में सेंसर बोर्ड होता है, पहले भी है अब भी है लेकिन डिजिटल जमाने में फिल्में तो कई बन रही हैं लेकिन उसमें गाली-गलौज जिसको जो मन कर रहा है वह बना रहा है. ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसर बोर्ड का कोई रूल नहीं है इसलिए जो लोग फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से बना रहे हैं उनको कोशिश यह करना चाहिए कि अच्छी फिल्म बनाएं. जो कि उनके घर परिवार वाले भी देखें या अपने परिवार के संग में बैठ करके देखें तो लोगों को अच्छा संदेश मिले.