पटना: हनुमानगढ़ी अयोध्या (Hanumangarhi Ayodhya) ने महावीर मंदिर पर दावा किया है. दावा यह है कि महावीर मंदिर (Mahavir Mandir) पर उनका हक है. वहीं, यह भी दावा किया जा रहा है कि आचार्य किशोर कुणाल ने गलत तरीके से मंदिर के पुजारियों को हटाकर मंदिर पर अपना हक जमाया है. जबकि इसका असली हकदार हनुमानगढ़ी अयोध्या है. इस मामले पर ईटीवी भारत के सामने आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) ने खास बातचीत की. इसके इतिहास को भी बताया.
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आचार्य कुणाल किशोर ने कहा, हमारे देश में सभी को अधिकार है कि कोई भी किसी भी चीज पर अपना दावा कर सकता है. उसी के तहत हनुमानगढ़ी अयोध्या द्वारा भी महावीर मंदिर पर दावा किया जा रहा है. हालांकि इसका कोई लाभ उन्हें नहीं मिलने वाला. आचार्य किशोर कुणाल ने मंदिर के इतिहास के बारे में बताया कि एक लखिया बाबा थे. जो गोसाई थे. उनके जिम्मे यह मंदिर था. 1980 में उन्होंने इसकी चहारदीवारी के लिए नगरपालिका से परमिशन भी मांगी थी.
1935 आते-आते लोगों की एक कमेटी बनाई गई. लखिया बाबा और उनके वंशजों द्वारा काफी समय तक यहां पर पूजा पाठ की गयी. वे नियुक्त पुजारी थे. उन्होंने ही हाईकोर्ट में केस किया था. उसमें फैसला आया कि महावीर मंदिर कोई प्राइवेट मंदिर नहीं है. यह सार्वजनिक मंदिर है. इसमें पुजारी का ही पद है. इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि यहां महंती सिस्टम खत्म, प्राइवेट सिस्टम खत्म कर दिया गया. यहां एक समिति बनाई गई.
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एक पुजारी मंदिर में पूजा कराते थे. हाईकोर्ट द्वारा जो जजमेंट आई है, उसमें ना ही अयोध्या की कोई चर्चा है और ना ही रामगढ़ी की चर्चा है. पुजारी रामसुंदर गोसाई संप्रदाय से थे. उस समय से लेकर 1955 तक राम सुंदर दास जी मंदिर में पुजारी के रूप में थे. पूजा-पाठ का कार्य देखते थे. उनके मरने के बाद नेपाल के एक साधु, जो अयोध्या होकर आए थे, वे मंदिर में पूजा पाठ करने लगे. जिसके बाद वह कभी अयोध्या नहीं गए.
समिति के अंतर्गत वह पुजारी मंदिर में पूजा पाठ कर आया करते थे. उसके बाद 1987 में जो वर्तमान न्यास समिति है, उसका गठन हुआ. इस न्यास समिति के खिलाफ गोपाल दास जी यहां से लेकर हाईकोर्ट गए. सुप्रीम कोर्ट गए. वहां भी हारे. जिसके बाद से ही न्यास समिति अपना कार्य कर रही है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर है. केस फाइल करने का अधिकार सबको है. राम गढ़ी अयोध्या द्वारा जो दावे किए जा रहे हैं, उसको लेकर वह केस करें. हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं. लेकिन इन सब का उन्हें कोई लाभ नहीं मिलने वाला.
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'हमारा देश स्वतंत्र है. लोकतंत्र का अधिकार सभी को है. मुझे कोई एतराज नहीं. वह जिस भी न्यायालय में जाना चाहे जा सकते हैं. लेकिन हनुमानगढ़ी के जो महंत हैं. वे चरित्र हनन कर रहे हैं, जो सरासर गलत है.' -आचार्य किशोर कुणाल, सचिव, महावीर मंदिर न्यास समिति
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर की ख्याति पूरे देश में है. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में महावीर मंदिर पटना का काफी अहम योगदान है. जो भी श्रद्धालु रामलला जी के दर्शन करने आते हैं. उन्हें भरपेट भोजन कराया जाता है. यहां नौ बिहारी व्यंजन खिलाए जाते हैं.
मंदिर निर्माण में भी महावीर मंदिर की तरफ से आर्थिक सहायता दी जा रही है. 270 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. दो करोड़ की राशि हर वर्ष राम जन्मभूमि को दी जा रही है. यह सब देख कर उन्हें लगा होगा कि शायद महावीर मंदिर पर अगर वह कब्जा कर लें तो उन्हें काफी आमदनी होगी.
उन्होंने कहा, मैं लालच शब्द का इस्तेमाल नहीं करूंगा. लेकिन कहीं ना कहीं उनकी मंशा कुछ इसी प्रकार की दिख रही है. वे चाहते हैं कि बैठे-बैठे उन्हें सालाना 20 करोड़ रुपये मिल जाए. तभी उन्होंने इस तरीके के हथकंडे अपनाए हैं. हालांकि उनके किसी भी हथकंडे और किसी भी दावे का कोई असर नहीं होगा. महावीर मंदिर अपने आय और व्यय का सारा लेखा-जोखा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दे देता है.
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आचार्य किशोर कुणाल ने हनुमानगढ़ी अयोध्या से तीखे सवाल करते हुए कहा कि आपकी आय हमारे यहां से 10 गुना ज्यादा है. आप लोग उन पैसों का क्या करते हैं? आप लोगों का पैसा कहां जाता है? आपने अपने व्यय को तो सबके सामने रख दिया. अब आप यह भी जनता के सामने रख दें कि आप की आमदनी कितनी है. महावीर मंदिर का जो भी पैसा बचता है, वह जनहित में लगाया जाता है. आप क्या करते हैं जरा यह भी बता दें.
उन्होंने कहा, आप लोग तो साधु हैं. गृह त्यागी हैं. फिर यह पैसा जाता कहां है. आपके यहां नियमावली बनी है. नियमावली 17 के अनुसार यदि कोई शादीशुदा है, तो उसको तुरंत निकाला जाए. लेकिन इसके बावजूद आप शादीशुदा व्यक्ति को ऑर्डर करते हैं कि इन्हें पुजारी बनाया जाए. आप अपने नियम का भी पालन नहीं करते. यह भी बताएं कि ऐसा क्यों नहीं करते. यदि आप अपने नियमों का पालन नहीं करेंगे और जनता को सब कुछ नहीं बताएंगे तो मैं प्रतिदिन आपसे एक सवाल करूंगा कि ऐसा क्यों नहीं हो रहा. हनुमानगढ़ी में यह होना चाहिए.
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