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संदिग्ध 91000 नियोजित शिक्षकों पर लटकी तलवार! अब तक हजारों टीचर्स ने अपलोड नहीं किए सर्टिफिकेट

बिहार के 91 हजार से ज्यादा संदिग्ध नियोजित शिक्षकों (Niyojit Teachers) की नौकरी पर तलवार लटकी हुई है. ये वैसे शिक्षक हैं जिनके फोल्डर निगरानी को नहीं मिले हैं. इन्हें 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का आखिरी मौका दिया गया था, लेकिन अब तक हजारों शिक्षकों ने फोल्डर अपलोड नहीं किए हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Jul 19, 2021, 10:56 PM IST

पटना: बिहार के संदिग्ध 91 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षकों (Niyojit Teachers) की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. शिक्षा विभाग (Education Department) ने 21 जून से 20 जुलाई तक का वक्त बिहार के ऐसे करीब 91 हजार नियोजित शिक्षकों को दिया था, जिनके फोल्डर निगरानी (Vigilance) को जांच के दौरान नहीं मिले. इस बात की आशंका है कि यह तमाम शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं और यही वजह है कि यह अपने डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं करा पाए.

ये भी पढ़ें- बिहार के लाखों शिक्षकों का एक ही सवाल- कब होगा मेरा ट्रांसफर? जवाब भी जान लीजिए

ऐसे सभी शिक्षकों को 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का मौका शिक्षा विभाग ने दिया था. शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 20 जुलाई के बाद कोई समय सीमा नहीं बढ़ेगी. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 15 जुलाई तक महज 65 हजार शिक्षकों ने अब तक अपने फोल्डर अपलोड किए हैं. जबकि कुल संदिग्ध शिक्षकों की संख्या 91 हजार से ज्यादा है.

इधर, बड़ी संख्या में शिक्षक आखिरी तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई शिक्षकों के नाम या उनके विभिन्न सर्टिफिकेट पर किसी न किसी तरह की त्रुटि है, जिसे दूर करने में समय लगेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग को कम से कम एक हफ्ते या 10 दिन का समय शिक्षकों को और देना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब और मौका किसी भी हाल में नहीं मिलेगा.

उन्होंने बताया कि जो शिक्षक 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं कर पाएंगे उसके बारे में यह मान लिया जाएगा कि उसके पास अब कहने को कुछ भी नहीं है. ऐसे शिक्षकों की नौकरी तो जाएगी ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनसे वेतन की वसूली भी शिक्षा विभाग कर सकता है.

बता दें कि 2006 से 2015 के बीच 'सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ' की तर्ज पर बिहार में लाखों शिक्षकों की बहाली हुई थी. इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर स्कूलों में ज्वाइन कर लिया. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर जब फर्जी सर्टिफिकेट मामले की जांच शुरू हुई तो उसके बाद निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया कि उसे करीब 1,03,000 शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले.

ये भी पढ़ें- 'फर्जी' का दंश झेल रहे 91000 शिक्षकों के लिए आखिरी मौका, 20 जुलाई तक करना होगा सर्टिफिकेट अपलोड

जांच के दौरान यदि पता चला कि इनमें से करीब 12000 शिक्षक या तो नौकरी छोड़ चुके हैं या कई लोगों की मौत हो चुकी है. आखिरकार, करीब 91 हजार शिक्षकों को चिन्हित किया गया और उनके नाम शिक्षा विभाग ने वेबसाइट पर डाल दिए और 21 जून से 20 जुलाई तक उन्हें अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का मौका दिया गया था.

पटना: बिहार के संदिग्ध 91 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षकों (Niyojit Teachers) की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. शिक्षा विभाग (Education Department) ने 21 जून से 20 जुलाई तक का वक्त बिहार के ऐसे करीब 91 हजार नियोजित शिक्षकों को दिया था, जिनके फोल्डर निगरानी (Vigilance) को जांच के दौरान नहीं मिले. इस बात की आशंका है कि यह तमाम शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं और यही वजह है कि यह अपने डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं करा पाए.

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ऐसे सभी शिक्षकों को 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का मौका शिक्षा विभाग ने दिया था. शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 20 जुलाई के बाद कोई समय सीमा नहीं बढ़ेगी. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 15 जुलाई तक महज 65 हजार शिक्षकों ने अब तक अपने फोल्डर अपलोड किए हैं. जबकि कुल संदिग्ध शिक्षकों की संख्या 91 हजार से ज्यादा है.

इधर, बड़ी संख्या में शिक्षक आखिरी तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई शिक्षकों के नाम या उनके विभिन्न सर्टिफिकेट पर किसी न किसी तरह की त्रुटि है, जिसे दूर करने में समय लगेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग को कम से कम एक हफ्ते या 10 दिन का समय शिक्षकों को और देना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब और मौका किसी भी हाल में नहीं मिलेगा.

उन्होंने बताया कि जो शिक्षक 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं कर पाएंगे उसके बारे में यह मान लिया जाएगा कि उसके पास अब कहने को कुछ भी नहीं है. ऐसे शिक्षकों की नौकरी तो जाएगी ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनसे वेतन की वसूली भी शिक्षा विभाग कर सकता है.

बता दें कि 2006 से 2015 के बीच 'सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ' की तर्ज पर बिहार में लाखों शिक्षकों की बहाली हुई थी. इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर स्कूलों में ज्वाइन कर लिया. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर जब फर्जी सर्टिफिकेट मामले की जांच शुरू हुई तो उसके बाद निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया कि उसे करीब 1,03,000 शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले.

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जांच के दौरान यदि पता चला कि इनमें से करीब 12000 शिक्षक या तो नौकरी छोड़ चुके हैं या कई लोगों की मौत हो चुकी है. आखिरकार, करीब 91 हजार शिक्षकों को चिन्हित किया गया और उनके नाम शिक्षा विभाग ने वेबसाइट पर डाल दिए और 21 जून से 20 जुलाई तक उन्हें अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का मौका दिया गया था.

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