पटनाः बिहार के पटना की भीखमदास ठाकुरबाड़ी है, जो छठी शताब्दी की बतायी जाती है. इस मंदिर में कई साक्ष्य आज भी मौजूद हैं, जो करीब 500 से 700 साल पुराने बताए जाते हैं. इसमें भगवान श्रीकृष्ण का शंख, कभी पत्ते न झड़ने वाले मौलश्री का पेड़ और प्राचीनकाल के बर्तन आज भी मौजूद हैं. इस मंदिर के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने यहां के महंत जय नारायण दास से खास बातचीच की. उन्होंने इस मंदिर के इतिहास के बारे में खास जानकारी दी.
पटना की प्राचीन ठाकुरबाड़ीः भीखमदास ठाकुरबाड़ी ऐतिहासिक चीजों को संजोंकर रखने के लिए प्रसिद्ध है. बातचीत के दौरान भीखमदास ठाकुरबाड़ी के मुख्य महंत जय नारायण दास ने मंदिर के ऐतिहासिक काल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि यह ठाकुरबाड़ी सबसे पुरानी है. पटना के इस मठ के बारे में लोग जानते तो हैं, लेकिन इसकी विशेषता के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं.
500 साल पुराने मौलश्री पेड़ः महंत के अनुसार मंदिर परिसर में एक मौलश्री का पेड़ है, जो 500 साल पुराना है. उन्होंने इस पेड़ के बारे में बताया कि इसका कभी भी पत्ता नहीं झड़ता है. पत्ता झड़ने से पहले ही इसमें नए पत्ते निकल आते हैं. हमेशा हराभरा रहता है. इसका जड़ भी इधर-उधर नहीं फैलता है. सीधे जमीन के अंदर इसका जड़ रहता है. मंदिर आने वाले लोग इस पेड़ की पूजा अर्चना करते हैं.
700 साल पुराने बर्तनः इस ठाकुरबाड़ी में खाना बनाने वाले कई बर्तन भी मौजूद हैं, जो 700 साल पुराने हैं. ये सभी पीतल के बर्तन हैं, जो लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता था. हालांकि अब गैस चूल्हा पर खाना बनने के कारण इसका उपयोग नहीं होता है. इसिलए इसे सुरक्षित तरीके से रखा गया है. महंत ने बताया कि इस बर्तन में खाना काफी स्वादिष्ट बनता है और शरीर के लिए भी फायदेमंद रहता है.
भगवान श्रीकृष्ण का शंखः महंत बताते हैं कि इस मंदिर में 500 वर्ष पुराने शंखों का संग्रह है. 100 ग्राम से लेकर ढाई किलो तक शंक मौजूद है. एक पाञ्चजन्य शंख है, जिसे महाभारत में भगवान श्रीकृष्णा बजाते थे. युद्ध शुरू होने और खत्म होने के लिए शंख बजाया जाता था. इस शंख की ध्वनि काफी दूर तक जाती थी, लेकिन काफी पुराना होने के कारण अब यह नहीं बजता है. पूर्वजों के द्वारा 25 शंख को इकट्ठा कर रखा गया है. इसके लिए म्यूजियम बनाया जाएगा.
"यह मंदिर छठी शताब्दी का है. इस मंदिर परिसर में 500 साल पुराना पेड़ है, जिसका कभी पत्ता नहीं झड़ता है. 700 साल पुराने पीतल के बर्तन हैं, जिसमें पहले खाना बनाया जाता था. 500 साल पुराने शंख भी मौजूद हैं. एक शंक ऐसा भी है, जिसे महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने बजाया था. इस सभी को संग्रह करने के लिए म्यूजियम बनाया जाएगा. अगले साल तक तैयार हो जाएगा." -जय नारायण दास, मुख्य महंत, भीखमदास ठाकुरबाड़ी
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