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भारत के 54 जिलों से देश के 50 फीसदी प्रवासी, बिहार-यूपी के 44 जिले

इनमें से कुछ जिलों को 'मनी ऑर्डर अर्थव्यवस्था' के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें ज्यादातर आबादी प्रवासी श्रमिकों की कमाई पर ही निर्भर है. ये आंकड़े जनवरी 2017 में आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा पेश किए गए थे. पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह उन दो राज्यों के नेतृत्व पर एक प्रतिबिंब है, जो नौकरियां पैदा करने में विफल रहे हैं.

पटना
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Published : May 30, 2020, 8:47 PM IST

पटना: भारत में पुरुष प्रवासियों की आधी आबादी देश के 54 जिलों से है और इन 54 जिलों में 44 जिले उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं. देश में फिलहाल कुल 739 जिले हैं, जिनमें प्रवासियों की संख्या के आधार पर आंकड़े चौंका देने वाले हैं, क्योंकि इन 54 जिलों में से 24 उत्तर प्रदेश और 20 बिहार के हैं.

इनमें से कुछ जिलों को 'मनी ऑर्डर अर्थव्यवस्था' के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें ज्यादातर आबादी प्रवासी श्रमिकों की कमाई पर ही निर्भर है. ये आंकड़े जनवरी 2017 में आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा पेश किए गए थे. पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह उन दो राज्यों के नेतृत्व पर एक प्रतिबिंब है, जो नौकरियां पैदा करने में विफल रहे हैं.

यूपी के जिले:
उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में इटावा, फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, सुल्तानपुर, आजमगढ़, जौनपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा, सिद्धार्थनगर, आगरा, कुशीनगर, रायबरेली, बलिया और गाजीपुर शामिल हैं.

बिहार के जिले:
बिहार के 20 जिलों में मधुबनी, दरभंगा, सीवान, सारण, समस्तीपुर, पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, बेगूसराय, भोजपुर, भागलपुर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास, औरंगाबाद और नवादा शामिल हैं.

अन्य जिले:
जिन अन्य 10 जिलों में पुरुष प्रवासियों की सबसे अधिक संख्या है, उनमें उत्तराखंड के दो जिले गढ़वाल और अल्मोड़ा शामिल हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में नादिया और मेदिनीपुर, झारखंड में चतरा, ओडिशा में गंजाम, कर्नाटक में गुलबर्गा, राजस्थान में पाली और महाराष्ट्र में जलगांव जिले शामिल हैं.

पटना: भारत में पुरुष प्रवासियों की आधी आबादी देश के 54 जिलों से है और इन 54 जिलों में 44 जिले उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं. देश में फिलहाल कुल 739 जिले हैं, जिनमें प्रवासियों की संख्या के आधार पर आंकड़े चौंका देने वाले हैं, क्योंकि इन 54 जिलों में से 24 उत्तर प्रदेश और 20 बिहार के हैं.

इनमें से कुछ जिलों को 'मनी ऑर्डर अर्थव्यवस्था' के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें ज्यादातर आबादी प्रवासी श्रमिकों की कमाई पर ही निर्भर है. ये आंकड़े जनवरी 2017 में आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा पेश किए गए थे. पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह उन दो राज्यों के नेतृत्व पर एक प्रतिबिंब है, जो नौकरियां पैदा करने में विफल रहे हैं.

यूपी के जिले:
उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में इटावा, फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, सुल्तानपुर, आजमगढ़, जौनपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा, सिद्धार्थनगर, आगरा, कुशीनगर, रायबरेली, बलिया और गाजीपुर शामिल हैं.

बिहार के जिले:
बिहार के 20 जिलों में मधुबनी, दरभंगा, सीवान, सारण, समस्तीपुर, पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, बेगूसराय, भोजपुर, भागलपुर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास, औरंगाबाद और नवादा शामिल हैं.

अन्य जिले:
जिन अन्य 10 जिलों में पुरुष प्रवासियों की सबसे अधिक संख्या है, उनमें उत्तराखंड के दो जिले गढ़वाल और अल्मोड़ा शामिल हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में नादिया और मेदिनीपुर, झारखंड में चतरा, ओडिशा में गंजाम, कर्नाटक में गुलबर्गा, राजस्थान में पाली और महाराष्ट्र में जलगांव जिले शामिल हैं.

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