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बिहार के 450 डॉक्टरों की मजबूरी, डिग्री है.. लेकिन संकटकाल में भी नहीं कर सकते इलाज - etv bharat

बिहार में चिकित्सकों की कमी (Shortage of doctors in Bihar) है. राज्य में 450 स्पेशलिस्ट चिकित्सक ऐसे हैं जो आज की तारीख में इलाज करने की स्थिति में भी नहीं है. उनकी नियुक्ति को लेकर सरकारी रवैया ढुलमुल है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
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Published : Feb 10, 2022, 8:23 PM IST

Updated : Feb 10, 2022, 10:08 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) संकट के दौर से गुजर रहा है. सरकार चिकित्सकों की कमी का रोना रोती है, लेकिन संकट के दौर में 450 चिकित्सक बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा (Negligence of Bihar Health Department) भुगत रहे हैं. 2 माह के चिकित्सक इलाज करने की स्थिति में भी नहीं है. चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज से डिग्री तो मिल गई है, लेकिन उनकी बांड पोस्टिंग में हो रही देरी की वजह से वह निजी प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते हैं. इधर, चिकित्सकों का मानदेय भी बाधित है.

ये भी पढ़ें- 15 साल से कम उम्र के मैट्रिक परीक्षार्थियों के लिए कोरोना टीका अनिवार्य नहीं: स्वास्थ्य विभाग

दरअसल, बिहार में 450 चिकित्सक ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की है. उनके परीक्षा उत्तीर्ण हुए 2 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो पाई है. सरकार के नियमावली के मुताबिक चिकित्सकों की बांड पोस्टिंग होनी है. 3 वर्ष के लिए बॉन्ड पोस्टिंग होती है. सभी चिकित्सकों के सर्टिफिकेट विभाग में जमा करा लिए गए हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो सकी है. पीजी कोर्स की समय अवधि खत्म होने के कारण पिछले 6 महीने से चिकित्सकों को मानदेय भी नहीं मिला है.

वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने बताया कि पीजी का परिणाम घोषित होने के बाद से बांड पोस्‍ट‍िंग की प्रक्रिया चल रही है. राज्य स्तर पर जरूरतों को देखते हुए पोस्‍ट‍िंग करने के कारण इसमें कुछ समय लगता है. जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर सभी 500 डॉक्टरों की पोस्‍ट‍िंग कर दी जाएगी.

''बिहार में 450 चिकित्सकों की बहाली (Reinstatement of 450 Doctors in Bihar) होनी थी. सरकार ने सभी के सर्टिफिकेट जमा करवा लिए और कहा कि जल्द ही आपको नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. लेकिन, महीनों से मामला लटका हुआ है. अब चिकित्सकों की स्थिति ये हो गई है कि उन लोगों के पास कोई सर्टिफिकेट और डिग्री नहीं है. जिस कारण वो प्राइवेट क्लीनिक में भी इलाज नहीं कर पा रहे हैं. चिकित्सक डिग्री लेकर बेकार बैठे हैं. राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से चिकित्सकों का भविष्य अधर में है. साथ ही चिकित्सा व्यवस्था भी भगवान भरोसे है.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

''अगर सरकार लापरवाह है, तो ये मैं भी कहूंगा कि शिक्षा और चिकित्सा एक ऐसी जगह है, जहां त्वरित कार्रवाई होना चाहिए. जहां तक डॉक्टरों की नियुक्ति का सवाल है. अगर वो पेंडिंग है, तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. चिकित्सकों की नियुक्ति में देरी चिंताजनक है. सरकार को इस पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए. कोरोना संक्रमण के वजह से देरी हुई है. सरकार शीघ्र ही नियुक्ति की कार्रवाई पूरी करेगी.''- अरविंद कुमार, प्रवक्ता, बीजेपी

बता दें कि पीएमसीएच से पीजी डिग्री लेकर निकले 200 चिकित्सक, एनएमसीएच से निकले 83 चिकित्सक समेत 450 डॉक्टरों की बांड पोस्टिंग से इलाज में सहूलियत होने वाली है. चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को आवेदन भी दिया है और कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में चिकित्सक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने कहा है कि तकनीकी परेशानियों की वजह से थोड़ी देरी हो रही है. जल्द ही 500 चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरी कर ली जाएगी.

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पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) संकट के दौर से गुजर रहा है. सरकार चिकित्सकों की कमी का रोना रोती है, लेकिन संकट के दौर में 450 चिकित्सक बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा (Negligence of Bihar Health Department) भुगत रहे हैं. 2 माह के चिकित्सक इलाज करने की स्थिति में भी नहीं है. चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज से डिग्री तो मिल गई है, लेकिन उनकी बांड पोस्टिंग में हो रही देरी की वजह से वह निजी प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते हैं. इधर, चिकित्सकों का मानदेय भी बाधित है.

ये भी पढ़ें- 15 साल से कम उम्र के मैट्रिक परीक्षार्थियों के लिए कोरोना टीका अनिवार्य नहीं: स्वास्थ्य विभाग

दरअसल, बिहार में 450 चिकित्सक ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की है. उनके परीक्षा उत्तीर्ण हुए 2 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो पाई है. सरकार के नियमावली के मुताबिक चिकित्सकों की बांड पोस्टिंग होनी है. 3 वर्ष के लिए बॉन्ड पोस्टिंग होती है. सभी चिकित्सकों के सर्टिफिकेट विभाग में जमा करा लिए गए हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो सकी है. पीजी कोर्स की समय अवधि खत्म होने के कारण पिछले 6 महीने से चिकित्सकों को मानदेय भी नहीं मिला है.

वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने बताया कि पीजी का परिणाम घोषित होने के बाद से बांड पोस्‍ट‍िंग की प्रक्रिया चल रही है. राज्य स्तर पर जरूरतों को देखते हुए पोस्‍ट‍िंग करने के कारण इसमें कुछ समय लगता है. जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर सभी 500 डॉक्टरों की पोस्‍ट‍िंग कर दी जाएगी.

''बिहार में 450 चिकित्सकों की बहाली (Reinstatement of 450 Doctors in Bihar) होनी थी. सरकार ने सभी के सर्टिफिकेट जमा करवा लिए और कहा कि जल्द ही आपको नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. लेकिन, महीनों से मामला लटका हुआ है. अब चिकित्सकों की स्थिति ये हो गई है कि उन लोगों के पास कोई सर्टिफिकेट और डिग्री नहीं है. जिस कारण वो प्राइवेट क्लीनिक में भी इलाज नहीं कर पा रहे हैं. चिकित्सक डिग्री लेकर बेकार बैठे हैं. राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से चिकित्सकों का भविष्य अधर में है. साथ ही चिकित्सा व्यवस्था भी भगवान भरोसे है.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

''अगर सरकार लापरवाह है, तो ये मैं भी कहूंगा कि शिक्षा और चिकित्सा एक ऐसी जगह है, जहां त्वरित कार्रवाई होना चाहिए. जहां तक डॉक्टरों की नियुक्ति का सवाल है. अगर वो पेंडिंग है, तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. चिकित्सकों की नियुक्ति में देरी चिंताजनक है. सरकार को इस पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए. कोरोना संक्रमण के वजह से देरी हुई है. सरकार शीघ्र ही नियुक्ति की कार्रवाई पूरी करेगी.''- अरविंद कुमार, प्रवक्ता, बीजेपी

बता दें कि पीएमसीएच से पीजी डिग्री लेकर निकले 200 चिकित्सक, एनएमसीएच से निकले 83 चिकित्सक समेत 450 डॉक्टरों की बांड पोस्टिंग से इलाज में सहूलियत होने वाली है. चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को आवेदन भी दिया है और कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में चिकित्सक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने कहा है कि तकनीकी परेशानियों की वजह से थोड़ी देरी हो रही है. जल्द ही 500 चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरी कर ली जाएगी.

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Last Updated : Feb 10, 2022, 10:08 PM IST
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