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बिहार में उफान पर नदियां, 12 जिलों के करीब 38 लाख लोग प्रभावित

राज्य की करीब सभी नदियां खतरे के निशान से उपर बह रही हैं. गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा कई क्षेत्रों में खतरे के निशन से ऊपर बह रही हैं.

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Published : Jul 30, 2020, 5:41 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 6:19 PM IST

पटना: बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य की करीब सभी प्रमुख नदियों और उसकी सहायक नदियों में उफान के कारण 12 जिलों के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं. राज्य की 38 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है, वहीं विभिन्न घटनाओं में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच हालांकि सरकार राहत और बचाव कार्य का दावा कर रही है.

नदियों का बढ़ा जलस्तर
जल संसाधन विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि कोसी का जलस्तर में बढ़ने का ट्रेंड है. वीरपुर बैराज के पास गुरुवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1.83 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे बढकर 1.86 लाख क्यूसेक बना हुआ है. इधर गंडक नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है. गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगर बराज पर सुबह आठ बजे 1.91 लाख क्यूसेक पहुंच गया है.

देखें रिपोर्ट

गोपालगंजः 'घर की छत पर तिरपाल में कट रही जिंदगी'
यहां सारण तटबंध के अलावे कई बांध के टूटते ही छह प्रखण्ड के कई पंचायत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. जिले के बरौली प्रखण्ड के बघेजी गांव में बाढ़ का पानी चोरों तरफ फैल गया है. यहां के लोग छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

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छत पर दिन काट रहे लोग

दरभंगा: 'सड़क पर कट रही है जिंदगी, कोई पूछने वाला भी नहीं'
दरभंगा जिले के 18 प्रखंड में से 8 प्रखंड में बाढ़ ने तबाही मचाही है. केवटी प्रखंड के लोग सड़क टूट जाने कारण और नाव का सहारा नहीं होने की वजह से गांव में ही फंस गए हैं. वहीं, जो कोई लोग बचकर बाहर निकले, वे सभी भारत-नेपाल सीमा तक जाने वाली सड़क एनएच-57 बी पर शरण लिए हुए हैं. लोगों को खाने-पीने की भी काफी दिक्कतें हो रही है. साथ ही पशुओं के लिए चारा लाने में भी काफी परेशानी हो रही है.

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सड़क पर लिया शरण

मोतिहारी: बाढ़ पीड़ितों का दर्द- 'भूखे-प्यासे मर रहे हैं'
मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला में आई प्रलंयकारी बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है. लोग जगह-जगह सड़क, तटबंध पर शरण ले रखे हैं. बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है कि लोगों के सामने सर छुपाने के लिए सुरक्षित जगह मिल पाना मुश्किल हो गया है. कई घर बाढ़ के पानी में समा गया. खुद के पैसे से खरीदे प्लास्टिक तानकर बाढ़ प्रभावित लोग समय गुजार रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि बाढ़ प्रभावित लोगों तो एक शाम भूखे रहना पड़ रहा है.

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भूखे बैठे लोग

भागलपुर: एक महीने से बाढ़ के पानी से घिरा है पूरा गांव
जिले के नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड अंतर्गत मदरौनी गांव पिछले एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. वहीं, गांव में लोग दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं. मदरौनी गांव के हजारों घर बाढ़ के पानी में पूरी तरह जल मग्न हो गया है. बाढ़ के हालात में भी गांव में अब तक सरकारी नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है.

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पानी में डूबे घर

मुजफ्फरपुर में भूख से लोग परेशान
मुजफ्फरपुर में टेनी बांध टूटने से मुख्य बांध पर दबाव बढ़ गया है और कई जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है. पहले ही बाढ़ की त्रासदी झेल रहे ग्रामीण दहशत में हैं. हालांकि प्रशासन बांध के पानी को रोकने के इंतजाम में जुटा है. वहीं, बूढ़ी गंडक नदी के उफान के कारण अहियापुर के विजय छपरा में पुराने रिंग के तटबंध में कटाव शुरू हो गया है. जहां से पानी रिसने के कारण इस इलाके में बाढ़ का पानी तेजी से प्रवेश करने लगा.

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बाढ़ का पानी
  • आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बिहार के 12 जिलों के कुल 102 प्रखंडों की 901 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं. इन क्षेत्रों में करीब 38 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. इन इलाकों में 19 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 25 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं. इसके अलावे बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 989 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन पांच लाख से ज्यादा लोग भोजन कर रहे हैं.
  • सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम अब तक बाढ़ में फंसे तीन लाख से अधिक लोगों को इलाकों से बाहर निकाला है. बाढ़ के दौरान इलाकों में विभिन्न घटनाओं में 11 लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को प्लास्टिक शीट भी उपलब्ध कराए गए हैं.
  • इधर, बाढ़ के कारण बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की परेशानी बढ गई है. लोग अपने घरों को छोडकर पक्के मकानों की छतों पर या अन्य उंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण की स्थिति ज्यादा भयावह बन गई है.

पटना: बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य की करीब सभी प्रमुख नदियों और उसकी सहायक नदियों में उफान के कारण 12 जिलों के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं. राज्य की 38 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है, वहीं विभिन्न घटनाओं में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच हालांकि सरकार राहत और बचाव कार्य का दावा कर रही है.

नदियों का बढ़ा जलस्तर
जल संसाधन विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि कोसी का जलस्तर में बढ़ने का ट्रेंड है. वीरपुर बैराज के पास गुरुवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1.83 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे बढकर 1.86 लाख क्यूसेक बना हुआ है. इधर गंडक नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है. गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगर बराज पर सुबह आठ बजे 1.91 लाख क्यूसेक पहुंच गया है.

देखें रिपोर्ट

गोपालगंजः 'घर की छत पर तिरपाल में कट रही जिंदगी'
यहां सारण तटबंध के अलावे कई बांध के टूटते ही छह प्रखण्ड के कई पंचायत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. जिले के बरौली प्रखण्ड के बघेजी गांव में बाढ़ का पानी चोरों तरफ फैल गया है. यहां के लोग छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

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छत पर दिन काट रहे लोग

दरभंगा: 'सड़क पर कट रही है जिंदगी, कोई पूछने वाला भी नहीं'
दरभंगा जिले के 18 प्रखंड में से 8 प्रखंड में बाढ़ ने तबाही मचाही है. केवटी प्रखंड के लोग सड़क टूट जाने कारण और नाव का सहारा नहीं होने की वजह से गांव में ही फंस गए हैं. वहीं, जो कोई लोग बचकर बाहर निकले, वे सभी भारत-नेपाल सीमा तक जाने वाली सड़क एनएच-57 बी पर शरण लिए हुए हैं. लोगों को खाने-पीने की भी काफी दिक्कतें हो रही है. साथ ही पशुओं के लिए चारा लाने में भी काफी परेशानी हो रही है.

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सड़क पर लिया शरण

मोतिहारी: बाढ़ पीड़ितों का दर्द- 'भूखे-प्यासे मर रहे हैं'
मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला में आई प्रलंयकारी बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है. लोग जगह-जगह सड़क, तटबंध पर शरण ले रखे हैं. बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है कि लोगों के सामने सर छुपाने के लिए सुरक्षित जगह मिल पाना मुश्किल हो गया है. कई घर बाढ़ के पानी में समा गया. खुद के पैसे से खरीदे प्लास्टिक तानकर बाढ़ प्रभावित लोग समय गुजार रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि बाढ़ प्रभावित लोगों तो एक शाम भूखे रहना पड़ रहा है.

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भूखे बैठे लोग

भागलपुर: एक महीने से बाढ़ के पानी से घिरा है पूरा गांव
जिले के नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड अंतर्गत मदरौनी गांव पिछले एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. वहीं, गांव में लोग दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं. मदरौनी गांव के हजारों घर बाढ़ के पानी में पूरी तरह जल मग्न हो गया है. बाढ़ के हालात में भी गांव में अब तक सरकारी नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है.

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पानी में डूबे घर

मुजफ्फरपुर में भूख से लोग परेशान
मुजफ्फरपुर में टेनी बांध टूटने से मुख्य बांध पर दबाव बढ़ गया है और कई जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है. पहले ही बाढ़ की त्रासदी झेल रहे ग्रामीण दहशत में हैं. हालांकि प्रशासन बांध के पानी को रोकने के इंतजाम में जुटा है. वहीं, बूढ़ी गंडक नदी के उफान के कारण अहियापुर के विजय छपरा में पुराने रिंग के तटबंध में कटाव शुरू हो गया है. जहां से पानी रिसने के कारण इस इलाके में बाढ़ का पानी तेजी से प्रवेश करने लगा.

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बाढ़ का पानी
  • आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बिहार के 12 जिलों के कुल 102 प्रखंडों की 901 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं. इन क्षेत्रों में करीब 38 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. इन इलाकों में 19 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 25 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं. इसके अलावे बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 989 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन पांच लाख से ज्यादा लोग भोजन कर रहे हैं.
  • सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम अब तक बाढ़ में फंसे तीन लाख से अधिक लोगों को इलाकों से बाहर निकाला है. बाढ़ के दौरान इलाकों में विभिन्न घटनाओं में 11 लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को प्लास्टिक शीट भी उपलब्ध कराए गए हैं.
  • इधर, बाढ़ के कारण बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की परेशानी बढ गई है. लोग अपने घरों को छोडकर पक्के मकानों की छतों पर या अन्य उंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण की स्थिति ज्यादा भयावह बन गई है.
Last Updated : Jul 30, 2020, 6:19 PM IST
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