पटनाः बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सूबे के 1500 लैब टेक्नीशियन ने सरकार से उनकी स्थायी नियुक्ति की मांग की है. टेक्नीशियनों का कहना है कि वे पिछले 15 से 20 सालों से लगातार सेवा दे रहे हैं. सरकार को चाहिए कि इस घड़ी में जब जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है, उस स्थिति में उनकी स्थायी नियुक्ति और रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए.
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बहाली में मनमानी करने का आरोप
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रणविजय कुमार ने बताया कि 18 से 20 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद लैब टेक्नीशियन सहित अन्य 1772 पदों पर बीएसएससी ने 2015 में बहाली निकाली थी. यह बहाली खासकर उन 1500 लैब टेक्नीशियन के लिए निकाली गई थी, जो पिछले 15 से 20 सालों से लगातार संविदा पर कार्य कर रहे हैं. लेकिन बीएसएससी ने मनमाने तरीके से संविदा पर सरकार के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत लैब टेक्नीशियन को बाहर कर 1140 पदों का मेरिट लिस्ट तैयार कर दिया.
हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
रणविजय कुमार ने आगे बताया कि 1140 पदों का मेरिट लिस्ट तैयार किये जाने के बाद इस मामले पर पटना उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया और हम लोगों ने मामले को रखा. उसके बाद 3 मार्च 2021 को उच्च न्यायालय ने 1140 पदों पर बहाली के लिए जारी मेरिट लिस्ट को रद्द करने का आदेश दिया. साथ ही विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पहले सा काम कर रहे लैब टेक्नीशियनो को 60 दिनों के भीतर बहाल करने का निर्देश दिया. लेकिन अब ये मियाद खत्म होने में महज 8 दिन ही शेष हैं. ऐसे में टेक्निशियनों ने चिंता जाहिर की है. लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि कोरोना के कारण बिगड़े हालात के सामान्य हो जाने के बाद वे इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे.
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जांच केन्द्र बढ़ाने का बताया गणित
लैब टेक्नीशियन विमल प्रकाश ने बताया कि कोरोना संकट काल में बिहार में महज 10 आरटीपीसीआर केन्द्र ही काम कर रहे हैं. यदि 1772 पदों पर नियमित बहाली होती है, तो संविदा पर कार्यरत 1500 पद खाली हो जाएंगे. वहीं पंद्रह सौ पदों पर नए लैब टेक्नीशियन की बहाली भी संभव हो सकेगी. इससे बिहार में 3000 से अधिक लैब टेक्नीशियन हो जाएंगे. और कोरोना के खिलाफ जंग में अधिक संख्या में जांच के लिए यह बेहद जरूरी है कि सरकार उन्हें नियमित कर और नए लोगों की बहाली करे.