पटना: बिहार में 'ब्लैक फंगस 'का मामला बढ़ने लगा है और अब तक राजधानी पटना के विभिन्न अस्पतालों में 10 ऐसे मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 'ब्लैक फंगस' पाए गए हैं.
आईजीआईएमएस, पटना एम्स, रुबन हॉस्पिटल और पारस हॉस्पिटल में इलाजरत मरीजों में 'ब्लैक फंगस' पाया गया है. पारस हॉस्पिटल में 'ब्लैक फंगस' के 2 मरीज ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो चुके हैं और बाकी आठ मरीज इलाजरत हैं. पटना एम्स में सर्वाधिक 4 मरीजों में ब्लैक फंगस पाए गए हैं.
ब्लैक फंगस में आंखों की रोशनी कम
'ब्लैक फंगस' के मामले उन मरीजों में आ रहे हैं, जो पूर्व से डायबिटीज के मरीज रह रहे हैं और कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उनमें एस्ट्रायड का प्रयोग अधिक हुआ है. 'ब्लैक फंगस' में मरीज के आंखों की रोशनी कम हो जोती है और चिकित्सकों का कहना है कि अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है या मरीज की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.
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जानकारी के अनुसार, पटना के पारस हॉस्पिटल में एक 'ब्लैक फंगस' के मरीज को न्यूरो सर्जन ने नाक के बीच में साइनस की हड्डी के पास सर्जरी के माध्यम से सफाई की. इसके बाद मरीज का दर्द भी कम हो गया है और आंखों की रोशनी भी सामान्य हो गई है.
सर्जरी से ठीक हुआ ब्लैक फंगस
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीजों को अस्पताल में 2 दिन के लिए निगरानी में रखा गया है और उनमें फिर से कोई शिकायत उत्पन्न नहीं होती है और वह स्वस्थ महसूस करते हैं तो उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. प्रबंधन का कहना है कि जिस मरीज की सर्जरी हुई है. उसका इलाज दिल्ली में हुआ था, जब वह कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हुआ था. उसे आंखों के सामने धुंधला दिखाई देने लगा था और एक चीज 2-2 नजर आने लगी थी. आंखों की पुतली सही तरीके से काम नहीं कर रही थी जिसके बाद अस्पताल में जब मरीज दिखाने आया तो उसका एमआरआई और पैथोलॉजी का जांच कराया गया, जिसमें 'ब्लैक फंगस' की पुष्टि हुई जिसके बाद न्यूरो सर्जन डॉक्टर कमाली ने एक छोटी सर्जरी की.
बांका में 'ब्लैक फंगस'
बांका के रजौन प्रखंड के अंतर्गत खैरा गांव में खतरनाक 'म्यूकोरमाइकोसिस' यानी 'ब्लैक फंगस' ने दस्तक दे दिया है. जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है. बताया जा रहा है कोरोना संक्रमण की यह तीसरी लहर है. बता दें कि खैरा गांव निवासी धनंजय यादव और बब्लू उर्फ नवल किशोर शर्मा की 'ब्लैक फंगस' से मौत हो गई.
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क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.
क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.