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नवादा: सकरी नदी से मिली भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति, दर्शन करने भक्तों का लगा तांता

लोगों का कहना है कि यह पॉल वंश के समय की मूर्ति प्रतीत होती है. इससे पहले भी वहां से कई सारी मूर्तियां मिल चुकी हैं, जिसे नारद संग्रहालय में देखी जा सकती है.

सकरी नदी से मिली प्राचीन भगवान विष्णु की मूर्ति
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Published : Sep 11, 2019, 11:06 AM IST

नवादा: जिले के कादिरगंज बाजार से पूरब सकरी नदी के गुरू घाट के पास प्राचीन भगवान विष्णु की मूर्ति मिली, जिसके बाद दर्शन के लिये भक्तों का तांता लग गया. स्थानीय लोगों के सहयोग से मूर्ति को पास के पीपल के पेड़ के निकट स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई.

भगवान विष्णु की मूर्ति मिलने की सूचना मिलते ही दूर-दराज के लोगों का वहां पहुंचना जारी है. सुबह से ही भगवान के दर्शन करने वालों की लंबी कतार लगी हुई है. लोग भगवान विष्णु के नाम के जयकारे लगा रहे हैं. पंडित जी सुबह से ही पूजा-पाठ कर रहे हैं, भक्त चढ़ावा भी चढ़ा रहे हैं, चढ़ावा देने वालों की संख्या को देखते हुए वहां दान-पेटी लगा दी गई है.

nawada
दर्शन के लिये भक्तों का लगा तांता

मूर्ति देखने के लिये लोगों की उमड़ी भीड़
बताया जाता है कि सुबह कुछ बच्चे नदी की ओर गये थे. वहां उनकी नजर काले पत्थर पर पड़ी. जब उसे खोदकर निकाला तो भगवान विष्णु की मूर्ति देख दंग रह गए. मूर्ति बरामद की सूचना लोगों को मिलते ही देखने के लिये भीड़ उमड़ पड़ी, बरामद मूर्ति काफी पुरानी है. भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन कर रहे हैं और माता लक्ष्मी उनका चरण दबा रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

अष्टघातु की है मूर्ति
हालांकि मूर्ति का कुछ हिस्सा खुदाई की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया है. वहां पूजा पाठ करा रहे पुजारी का कहना है कि मूर्ति अष्टघातु की है. लोगों का कहना है कि यह पॉल वंश के समय की मूर्ति प्रतीत होती है. इससे पहले भी वहां से कई सारी मूर्तियां मिल चुकी हैं, जिसे नारद संग्रहालय में देखी जा सकती है.

नवादा: जिले के कादिरगंज बाजार से पूरब सकरी नदी के गुरू घाट के पास प्राचीन भगवान विष्णु की मूर्ति मिली, जिसके बाद दर्शन के लिये भक्तों का तांता लग गया. स्थानीय लोगों के सहयोग से मूर्ति को पास के पीपल के पेड़ के निकट स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई.

भगवान विष्णु की मूर्ति मिलने की सूचना मिलते ही दूर-दराज के लोगों का वहां पहुंचना जारी है. सुबह से ही भगवान के दर्शन करने वालों की लंबी कतार लगी हुई है. लोग भगवान विष्णु के नाम के जयकारे लगा रहे हैं. पंडित जी सुबह से ही पूजा-पाठ कर रहे हैं, भक्त चढ़ावा भी चढ़ा रहे हैं, चढ़ावा देने वालों की संख्या को देखते हुए वहां दान-पेटी लगा दी गई है.

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दर्शन के लिये भक्तों का लगा तांता

मूर्ति देखने के लिये लोगों की उमड़ी भीड़
बताया जाता है कि सुबह कुछ बच्चे नदी की ओर गये थे. वहां उनकी नजर काले पत्थर पर पड़ी. जब उसे खोदकर निकाला तो भगवान विष्णु की मूर्ति देख दंग रह गए. मूर्ति बरामद की सूचना लोगों को मिलते ही देखने के लिये भीड़ उमड़ पड़ी, बरामद मूर्ति काफी पुरानी है. भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन कर रहे हैं और माता लक्ष्मी उनका चरण दबा रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

अष्टघातु की है मूर्ति
हालांकि मूर्ति का कुछ हिस्सा खुदाई की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया है. वहां पूजा पाठ करा रहे पुजारी का कहना है कि मूर्ति अष्टघातु की है. लोगों का कहना है कि यह पॉल वंश के समय की मूर्ति प्रतीत होती है. इससे पहले भी वहां से कई सारी मूर्तियां मिल चुकी हैं, जिसे नारद संग्रहालय में देखी जा सकती है.

Intro:नवादा। ऐतिहासिक विरासतों से संपन्न है नवादा जिला। यहां कई दुर्लभ प्राचीन देवी-देवताओं की मूर्तियां मिल चुकी है। यह वहीं धरती है जहां महर्षि बाल्मिकी, सप्त-ऋषि और माँ जगत-जननी सीता का चरण पड़ चुका है। ऐसे भूमि से कम किस देवी -देवताओं का अवतरण हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। यही वजह है कि मंगलवार सुबह जिले प्रसिद्ध नदियों में एक सकरी नदी में से अतिप्राचीन भगवान विष्णु की मूर्ति मिली है। जिसे पास के ही पीपल के पेड़ के नीचे रखा गया है।




Body:भगवान विष्णु की मूर्ति मिलने की सूचना मिलते ही दूर-दराज के लोगों का पहुंचना शुरू हो चुका है। सुबह से भगवान का दर्शन करनेवालों की लंबी कतारें लगी हुई है। और लोग भगवान विष्णु के नाम के जयकारे लगाये जा रहे हैं। पंडित जी सुबह से ही पूजा-पाठ कर रहे हैं। लोगों के द्वारा चढ़ावां भी चढ़ाए जा रहें। चढ़ावा देनेवालों की संख्या को देखते हुए वहां दान-पेटी लगा दिया गया है।

कला और चमकीला है मूर्ति

मूर्ति ऐसा है जहां भगवान विष्णु सोये हुए हैं और माता लक्ष्मी उनके चरण दबा रहे हैं लेकिन ऊपर के कुछ हिस्से नदी में खुदाई के वजह क्षति हुई है लेकिन अभी भी काफी सलामत। इस तरह की प्राचीन मूर्तियां बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।

क्या कहते हैं लोग

महिला चंद्रावती देवी का कहना हैं कि, यहां पहले से मंदिर बनना था। हमारे बहन के बेटा बोला कि कोलकाता से मूर्ति लाएंगे लेकिन देखिए भगवान की दया खुद आ गये। बच्चे लोग नदी गये तो वहां उसके पैर में कुछ गड़ गया जब उसपर से मिट्टी निकाला तो ये मूर्ति दिखा जिसके बाद इन्हें लेकर यहां आये हैं।

पंडित हृदय तिवारी का कहना है कि, मुझे गांव के लोगों ने इस बात की सूचना दी। हम आये। जब हम मूर्ति को देखे तो मन प्रसन्न हो गया। उसके बाद से इनका पूजा-पाठ सुबह से कर रहे हैं। भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी हैं।

ग्रामीण प्रह्लाद का कहना है कि यहाँ पहले से मंदिर के लिए जगह छोड़े थे अब जब भगवान खुद हीं आ गये हैं तो हमलोग चाहेंगें की जल्द से जल्द मंदिर का निर्माण हो।

क्या कहते हैं युवा इतिहासकार

विरासत बचाओ अभियान समिति के संयोजक सह युवा साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी का कहना है कि यह पॉल वंश के समय की मूर्ति प्रतीत होती है। इससे पहले भी वहां से कई सारे मूर्ति मिल चुकी है। जिसे नारद संग्रहालय में देखी जा सकती है।





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