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नवादाः जर्जर सड़क की वजह से यहां नहीं आ पाती एंबुलेंस, खटिया पर मरीजों को ले जाते हैं अस्पताल

बरसात के दिनों में संकट और बढ़ जाता है. गड्ढों में पानी भर जाते है और रास्ते में गाद जमा हो जाती है, तब तो पैदल चलना भी मुहाल हो जाता है.

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Published : Aug 17, 2019, 1:10 PM IST

जर्जर सड़क

नवादाः सरकार प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का दावा करती है, लेकिन जिले के पकरीबरावां प्रखंड के लोग अरसे से जर्जर सड़क पर आने-जाने को मजबूर हैं. पकरीबरावां प्रखंड से हसनगंज जाने वाली सड़क पर सालों से अनगिनत गड्ढे हैं. सड़क में गड्ढे होने की वजह से गाड़ी वाले इस इलाके में नहीं आना चाहते हैं. यहां के छात्र-छात्राएं 3-4 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते हैं.

नवादा
परेशानी बताती छात्रा

इस इलाके में नहीं आती गाड़ियां
सड़क ठीक नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को होती है. अचानक कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए, तो उसे अस्पताल पहुंचाना यहां के लोगों के लिए चुनौती बन जाता है. स्थानीय निवासी मो. जमशेर आलम कहते हैं कि कोई गाड़ी या एम्बुलेंस वाला इधर आने के लिए तैयार नहीं होता है. मरीजों को खटिया पर लिटाकर अस्पताल पहुंचाते हैं. कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से अनहोनी भी हो जाती है.

पूरी रिपोर्ट

पैदल चलकर पढ़ने जाते हैं बच्चे
सड़क से गुजर रहे एक दिव्यांग बताते हैं कि आने-जाने में बहुत परेशानी होती है. बरसात के दिनों में संकट और बढ़ जाता है. गड्ढों में पानी भर जाते है और रास्ते में गाद जमा हो जाती है, तब तो पैदल चलना भी मुहाल हो जाता है. वहीं, एक छात्रा ने कहा कि इलाके में गाड़ी नहीं चलने की वजह से यहां के बच्चे पैदल चलकर ही पढ़ने जाते हैं. जिससे वो थकते तो हैं ही, उनका समय भी बर्बाद होता है.

नवादाः सरकार प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का दावा करती है, लेकिन जिले के पकरीबरावां प्रखंड के लोग अरसे से जर्जर सड़क पर आने-जाने को मजबूर हैं. पकरीबरावां प्रखंड से हसनगंज जाने वाली सड़क पर सालों से अनगिनत गड्ढे हैं. सड़क में गड्ढे होने की वजह से गाड़ी वाले इस इलाके में नहीं आना चाहते हैं. यहां के छात्र-छात्राएं 3-4 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते हैं.

नवादा
परेशानी बताती छात्रा

इस इलाके में नहीं आती गाड़ियां
सड़क ठीक नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को होती है. अचानक कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए, तो उसे अस्पताल पहुंचाना यहां के लोगों के लिए चुनौती बन जाता है. स्थानीय निवासी मो. जमशेर आलम कहते हैं कि कोई गाड़ी या एम्बुलेंस वाला इधर आने के लिए तैयार नहीं होता है. मरीजों को खटिया पर लिटाकर अस्पताल पहुंचाते हैं. कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से अनहोनी भी हो जाती है.

पूरी रिपोर्ट

पैदल चलकर पढ़ने जाते हैं बच्चे
सड़क से गुजर रहे एक दिव्यांग बताते हैं कि आने-जाने में बहुत परेशानी होती है. बरसात के दिनों में संकट और बढ़ जाता है. गड्ढों में पानी भर जाते है और रास्ते में गाद जमा हो जाती है, तब तो पैदल चलना भी मुहाल हो जाता है. वहीं, एक छात्रा ने कहा कि इलाके में गाड़ी नहीं चलने की वजह से यहां के बच्चे पैदल चलकर ही पढ़ने जाते हैं. जिससे वो थकते तो हैं ही, उनका समय भी बर्बाद होता है.

Intro:नवादा। जहां एक ओर सूबे की सरकार सड़कों की जाल बिछाने की दावें कर रही है वहीं, दूसरी ओर नवादा जिले के पकरीबरावां प्रखंड के लोगों को मुकम्मल सड़क की सुविधा नहीं है। न्यू इंडिया के सपने देखनेवाले देश के लोग आज जर्जर सड़कों पर जान जोख़िम में डालकर चलने को मजबूर हैं। पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय से हसनगंज जानेवाली सड़क पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से जर्जर स्थिति में है। सड़कें इतनी खराब है कि इस मार्ग से न सवारी गाड़ी जाती है और न ही कोई चारपहिया वाहन। जिसके वजह से पुरुष हो या महिलाएं, बच्चे हों या बूढ़े या फिर दिव्यांगजन सभी को पैदल ही सफर करना पड़ता है। यहाँ जाने के बाद लगता नहीं है कि विकास की रोशनी इस जगह को छू पाई है।


( नोट- सर, अधिकारी बाइट के लिए कल 12 बजे का समय दिए हैं जैसे बाइट उपलब्ध होगी आपको अपडेट कर के भेज देंगे।)


Body:पिछले 10 वर्षों नहीं बना सड़क

पकरीबरावां प्रखण्ड मुख्यालय से हसनगंज जानेवाली सड़क दस वर्षों से अधिक समय से दयनीय स्थिति में है। सड़क इतनी जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है कि सड़क पर बड़े-बड़े पत्थर के टुकड़े उग आये हैं जिसपर वाहन तो क्या पैदल चलना भी काफी मुश्किल है।

MP-MLA भी नहीं दे रहे ध्यान

पिछले दस वर्षों से नवादा लोकसभा क्षेत्र पर बीजेपी का कब्जा रहा है। पूर्व सांसद भोला सिंह और गिरिराज सिंह इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्तमान में भी एनडीए के सहयोगी दल लोजपा कोटे से सांसद चंदन सिंह हैं लेकिन अभी किसी ने इस सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं यह क्षेत्र वारसलीगंज विधानसभा के अंतर्गत आता है जिसकी विधायिका बीजेपी से अरुणा देवी है। उन्होंने भी इसपर ठीक से ध्यान नहीं दिया सिर्फ अपना कोरम पूरा करते रहे।


कई बार हुई पहल, फिर भी नहीं बनी सड़क

बताया जा रहा है कि कई बार सड़क बनाने की पहल भी हुई आश्वासन भी मिला लेकिन आज तक यह सिर्फ पहल और आश्वासन तक ही सिमट कर रह गया। सड़कें की स्थिति जस की तस ही बनी है। आज भी इस क्षेत्रों के लोगों को अच्छी सड़कों का इंतजार है।


क्या कहते हैं स्थानीय नागरिक

स्थानीय दिव्यांग मो. तसौव्वर कहना है, छोटे बच्चे को लेकर परेशान हैं अगर बीच में पानी पड़ गया तो बच्चा को लेकर रास्ते में फस जाएंगें। कम से कम रास्ता बन जाता तो अच्छा रहता।

मो. जमशेर आलम का कहना है, आनेजाने में बहुत परेशानी होती है । इधर कोई गाड़ी या एम्बुलेंस वाले आने के लिए तैयार नहीं होता। अगर कोई बीमार पड़ जाए तो रास्ते में ही दम तोड़ देगा। 10-15 साल से ऐसे ही देख रहे हैं। सड़क पर बड़ा-बड़ा गड्ढा है कीचड़ भरा है। यहां से 3 किमी तक ऐसा ही सड़क है।

रेखा कुमारी का कहना है, रोड नहीं बन रहा है हमलोग को पैदल पकरीबरावां पढ़ने के लिए जाना पड़ता है। यहाँ कोई गाड़ी नहीं मिलती।वहीं विमला देवी का कहना है, सड़क ख़राब है पैदल चलते-चलते परेशान हो जाते हैं। कितना भी इमरजेंसी हो जाए खटिया पर ही आता है।






Conclusion:
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