नवादा: बिजनेस छोटा हो या बड़ा अपने ग्राहकों के प्रति अच्छी सोच होनी चाहिए, क्योंकि ग्राहक देवता समान होते हैं. कुछ ऐसी ही सोच है जिले के विजय बाजार स्थित दुकानदार चंदन कुमार की. वह यहां एक गली में घरौंदा की दुकान चलाते हैं.
2012 में चंदन की आईबी में लगभग फाइनल सलेक्शन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी. लेकिन नियुक्ति के लिए लाखों रुपए की मांग की वजह से नौकरी नहीं लग पाई. इसके बाद उसने अपनी पढ़ाई छोड़ कर कई जगह छोटी-मोटी जॉब की. स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण दीपावली पर उसने घरौंदा बनाकर बेचना शुरू कर दिया.
बिना कैश का घरौंदा
त्यौहारों में ग्राहकों के साथ पॉकेटमारी और एटीएम पर लगी लंबी लाइन से छुटकारा दिलाने के लिए चंदन ने अपनी दुकान में पेटीएम का बोर्ड लगा लिया. इससे बिना कैश के भी घरौंदा जैसे छोटे सामान की खरीददारी और कैशबैक की फायदा उठा सकते हैं. चंदन ने बताया कि वह अबतक इससे 8 हजार रुपए तक के समान बेच चुका है. ग्राहक भी इससे काफी खुश हैं.
घरौंदा का इस्तेमाल और उसके दाम
घरौंदा का इस्तेमाल लोग दीपावली में करते हैं. यह दो मंजिला मंदिरनुमा मकान की तरह होता है. लोग इसे घर ले जाकर इसमें भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं. बाजरों में यह 100 से लेकर 250 तक में मिलते हैं.