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डोर टू डोर कूड़ा उठाने में नगर परिषद नाकाम, खाली जगहों पर लगा कूड़े का अंबार

शहर में स्थिति मंदिर, मस्ज़िद से लेकर प्रमुख मार्ग कोई ऐसा जगह नहीं बचा है. जहां, कूडें का अंबार नहीं लगा हो. नगर के सोनारपट्टी स्थित मस्जिद, मुहल्लों स्कूलों और पार्कों के आस-पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है.

डोर टू डोर कूड़ा उठाने में नगर परिषद नाकाम
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Published : Nov 5, 2019, 10:24 AM IST

नवादाः पिछले डेढ़ साल से शहर की सूरत बदलने के लिए नगर परिषद की ओर कई सारे दावे किए गए हैं. लेकिन सभी दावे फेल साबित होते दिख रहे हैं. भारत सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन(अर्बन) के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 का क्रियान्वयन जुलाई 2019 तक कर दिया जाना था. लेकिन शहर में मौजूदा स्थिति यह है कि नगर परिषद अभी तक सभी वार्डों में कूड़े के लिए डस्टबीन तक नहीं पहुंचा पाया है और न ही कोई कर्मचारी कूड़ा उठाने घर पहुंच रहा है. ऐसे में लोगों को गली में खाली पड़े प्लॉट या रास्ते पर कूड़ा फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है.

डोर टू डोर उठाना था कूड़ा

नगर परिषद की ओर से करीब 18 हजार घरों से कूड़ा उठाने के लिए 36 हजार डस्टबिन खरीदे गए. इस हिसाब से नगर के एक घर मे दो डस्टबिन दिए जाने थे. जिनमें एक का रंग हरा और दूसरे का रंग नीला होना था. हरे रंग के डस्टविन में गीले और नील रंग की डस्टविन सूखा कूड़ा रखने के लिए प्रयोग में लाना था. लेकिन अभी तक सभी घरों में ना तो डस्टबिन पहुंच सका है. और ना ही डोर टू डोर कूड़े उठाए जा रहे हैं.

Nawada
कुड़े का ढेर

यहां लगा है कूड़े का अंबार

शहर में स्थिति मंदिर, मस्ज़िद से लेकर प्रमुख मार्ग कोई ऐसा जगह नहीं बचा है. जहां, कूडें का अंबार नहीं लगा हो. नगर के सोनारपट्टी स्थित मस्जिद, मुहल्लों स्कूलों और पार्कों के आस-पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है.

Nawada
लावारिस अवस्था में पड़ी डस्टबिन

क्या कहते हैं स्थानीय?
बुजुर्ग महिला पार्वती देवी नगर परिषद पर नाराजगी जाहिर करते हुए बोलती है कूड़ा कहां फेंके सरकार के घर में फेंके. जब कूड़ा का डब्बा ही नहीं मिला तो जिधर मन होता है फेंक देते हैं. फरजाना खातून का कहना है कि हम लोगों को कूड़ा फेंकने के लिए अभी तक डस्टविन नहीं मिला है. ऐसे में हमलोग खाली स्थानों पर कूड़ा फेकने को मजबूर हैं. वहीं, रंजीत कुमार का कहना है कि कर्मचारी तो आता है लेकिन कूड़ा नहीं उठाता है. जब उससे कूड़ा उठाने को कहा जाता है तो कहता है कि मेरा यह काम नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते हैं पदाधिकारी?

नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता देवेंद्र सुमन ने कहा कि प्रत्येक वार्ड में 2 सफाईकर्मीयों कि नियुक्ति की गई है. डोर टू डोर सफाई के लिए अधिक मात्रा में ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यक्ता है. इसके लिए टेंडर भी निकाला गया है. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद नगर में डोर टू डोर कूड़ा उठाने का काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कूड़े डंपिंग के लिए अलग से 3 एकड़ जमीन भी ले लिया गया है.

Nawada
कुड़े का ढेर

एक अगस्त तक पूरी करनी थी निविदा प्रक्रिया

जबकि, शहर की स्वच्छता को लेकर निविदा प्रक्रिया पूरी कर 1 अगस्त तक शहर की साफ-सफाई हो जानी चाहिए थी. 3 महीने बीत जाने के बाद भी शहर की हालत जस की तस बनी हुई है. इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे.

नवादाः पिछले डेढ़ साल से शहर की सूरत बदलने के लिए नगर परिषद की ओर कई सारे दावे किए गए हैं. लेकिन सभी दावे फेल साबित होते दिख रहे हैं. भारत सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन(अर्बन) के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 का क्रियान्वयन जुलाई 2019 तक कर दिया जाना था. लेकिन शहर में मौजूदा स्थिति यह है कि नगर परिषद अभी तक सभी वार्डों में कूड़े के लिए डस्टबीन तक नहीं पहुंचा पाया है और न ही कोई कर्मचारी कूड़ा उठाने घर पहुंच रहा है. ऐसे में लोगों को गली में खाली पड़े प्लॉट या रास्ते पर कूड़ा फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है.

डोर टू डोर उठाना था कूड़ा

नगर परिषद की ओर से करीब 18 हजार घरों से कूड़ा उठाने के लिए 36 हजार डस्टबिन खरीदे गए. इस हिसाब से नगर के एक घर मे दो डस्टबिन दिए जाने थे. जिनमें एक का रंग हरा और दूसरे का रंग नीला होना था. हरे रंग के डस्टविन में गीले और नील रंग की डस्टविन सूखा कूड़ा रखने के लिए प्रयोग में लाना था. लेकिन अभी तक सभी घरों में ना तो डस्टबिन पहुंच सका है. और ना ही डोर टू डोर कूड़े उठाए जा रहे हैं.

Nawada
कुड़े का ढेर

यहां लगा है कूड़े का अंबार

शहर में स्थिति मंदिर, मस्ज़िद से लेकर प्रमुख मार्ग कोई ऐसा जगह नहीं बचा है. जहां, कूडें का अंबार नहीं लगा हो. नगर के सोनारपट्टी स्थित मस्जिद, मुहल्लों स्कूलों और पार्कों के आस-पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है.

Nawada
लावारिस अवस्था में पड़ी डस्टबिन

क्या कहते हैं स्थानीय?
बुजुर्ग महिला पार्वती देवी नगर परिषद पर नाराजगी जाहिर करते हुए बोलती है कूड़ा कहां फेंके सरकार के घर में फेंके. जब कूड़ा का डब्बा ही नहीं मिला तो जिधर मन होता है फेंक देते हैं. फरजाना खातून का कहना है कि हम लोगों को कूड़ा फेंकने के लिए अभी तक डस्टविन नहीं मिला है. ऐसे में हमलोग खाली स्थानों पर कूड़ा फेकने को मजबूर हैं. वहीं, रंजीत कुमार का कहना है कि कर्मचारी तो आता है लेकिन कूड़ा नहीं उठाता है. जब उससे कूड़ा उठाने को कहा जाता है तो कहता है कि मेरा यह काम नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते हैं पदाधिकारी?

नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता देवेंद्र सुमन ने कहा कि प्रत्येक वार्ड में 2 सफाईकर्मीयों कि नियुक्ति की गई है. डोर टू डोर सफाई के लिए अधिक मात्रा में ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यक्ता है. इसके लिए टेंडर भी निकाला गया है. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद नगर में डोर टू डोर कूड़ा उठाने का काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कूड़े डंपिंग के लिए अलग से 3 एकड़ जमीन भी ले लिया गया है.

Nawada
कुड़े का ढेर

एक अगस्त तक पूरी करनी थी निविदा प्रक्रिया

जबकि, शहर की स्वच्छता को लेकर निविदा प्रक्रिया पूरी कर 1 अगस्त तक शहर की साफ-सफाई हो जानी चाहिए थी. 3 महीने बीत जाने के बाद भी शहर की हालत जस की तस बनी हुई है. इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे.

Intro:नवादा। पिछले डेढ़ साल से शहर की सूरत बदलने के लिए नगर परिषद नवादा की ओर कई सारे दावे किए गए लेकिन सबके सब फेल होता हुआ दिख रहा है। भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन(अर्बन) के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 का क्रियान्वयन जुलाई 2019 तक कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि नगर परिषद न अभी तक सभी वार्डों कूड़े के लिए डिस्टविन पहुंच पाई है और न ही कोई कूड़े उठाने घर तक पहुंच रहा है। ऐसे में लोगों को गली में खाली पड़े प्लॉट या रास्ते पर कूड़े फेंकने को मजबूर होना पड़ता है।

बाइट- पार्वती देवी,शहरवासी
बाइट- फरजाना ख़ातूनशहरवासी
बाइट- रंजीत कुमार,शहरवासी
बाइट-बाल्मिकी प्रसाद,शहरवासी




Body:
जबकि, शहर की स्वच्छता को लेकर निविदा प्रक्रिया पूरी कर 1 अगस्त से शहर की साफ-सफाई हो जानी चाहिए थी लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी शहर की हालत जस की तस बनी हुई है। इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे।


इन जगहों पर रहती हैं कूड़े का अंबार

शहर स्थिति मंदिर हो या मस्ज़िद या फिर प्रमुख मार्ग कोई ऐसा जगह नहीं जहां कूड़े का अंबार न लगा हो। गांधी स्कूल से आगे और देवी मंदिर के निकट सड़कों पर कूड़े का अंबार। सोनारपट्टी स्थिति मस्जिद के पास कूड़े का ढेर, गढ़पर रखे कूड़े का ढेर, मुहल्लों के बीचोबीच कूड़े का ढेर नगर परिषद के द्वारा स्वच्छता के दावे का पोल खोलने के लिए काफी है।


डोर टू डोर उठाना था कचड़ा

करीब 18 हजार घरों से कूड़ा उठाने के लिए 36 हजार डस्टविन खरीदे गए यानी एक घर मे दो डस्टविन दिए जाने थे जिनमें एक का रंग हरा और दूसरे का रंग नीला है। हरे रंग के डस्टविन में गीले और नील रंग की डस्टविन सूखा कूड़ा रखने के लिए प्रयोग में लाना था। लेकिन अभी तक सभी घरों में न डस्टविन पहुंच सका है और न ही डोर टू डोर कूड़े उठाए जा रहे हैं।

क्या कहते हैं शहरवासियों

बुजुर्ग महिला पार्वती देवी नगर परिषद पर नाराजगी जाहिर करते हुए बोलती है कूड़ा कहाँ फेंके सरकार के घर में फेंक दें। जब कूड़ा का डब्बा ही नहीं मिला तो जिधर मन होता है फेंक देते हैं।

फरज़ाना खातून का कहना है, हमलोगों को कूड़ा फेंकने के लिए अभी तक डस्टविन नहीं मिला है। तो क्या करें खाली जगह जहां मिलता है फेंक देते हैं। नाला भी भर गया था सारा पानी घर में भर गया था किसी तरह नाला साफ हो पाया।

वहीं, रंजीत कुमार का कहना है आता है लेकिन कूड़ा उठता नहीं है। बोलते हैं तो कहता है यही काम करना रह गया है मेरा। डस्टविन भी नहीं मिला हैं किसी तरह जबरदस्ती ले जाने के लिए देते हैं या फिर डोम को देते हैं।

बाल्मिकी प्रसाद का कहना है डस्टविन नहीं मिला है तो क्या करें कहीं परती जमीन पर कूड़ा फेंक देते हैं।


क्या कहते हैं पदाधिकारी

नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता देवेंद्र सुमन का कहना है हमलोगों ने प्रत्येक वार्ड में 2 सफाईकर्मी लगाए हैं लेकिन डोर टू डोर सफाई के लिए अधिक मात्रा ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यकता है इसके लिए टेंडर भी निकाली गई है लेकिन अभी तक प्रक्रिया नहीं हो पाई है। अगर यह संभव हो पाता है तो ठीक नहीं तो फिर हमलोग खुद इसकी साफ सफाई कराएंगे। साथ ही हमने सरकार से कूड़े डंपिंग के लिए अगल से 3 एकड़ जमीन भी ले लिए हैं।

बाइट- देवेंद्र सुमन, कार्यपालक अभियंता, नगर परिषद



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