नवादाः पिछले डेढ़ साल से शहर की सूरत बदलने के लिए नगर परिषद की ओर कई सारे दावे किए गए हैं. लेकिन सभी दावे फेल साबित होते दिख रहे हैं. भारत सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन(अर्बन) के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 का क्रियान्वयन जुलाई 2019 तक कर दिया जाना था. लेकिन शहर में मौजूदा स्थिति यह है कि नगर परिषद अभी तक सभी वार्डों में कूड़े के लिए डस्टबीन तक नहीं पहुंचा पाया है और न ही कोई कर्मचारी कूड़ा उठाने घर पहुंच रहा है. ऐसे में लोगों को गली में खाली पड़े प्लॉट या रास्ते पर कूड़ा फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है.
डोर टू डोर उठाना था कूड़ा
नगर परिषद की ओर से करीब 18 हजार घरों से कूड़ा उठाने के लिए 36 हजार डस्टबिन खरीदे गए. इस हिसाब से नगर के एक घर मे दो डस्टबिन दिए जाने थे. जिनमें एक का रंग हरा और दूसरे का रंग नीला होना था. हरे रंग के डस्टविन में गीले और नील रंग की डस्टविन सूखा कूड़ा रखने के लिए प्रयोग में लाना था. लेकिन अभी तक सभी घरों में ना तो डस्टबिन पहुंच सका है. और ना ही डोर टू डोर कूड़े उठाए जा रहे हैं.
यहां लगा है कूड़े का अंबार
शहर में स्थिति मंदिर, मस्ज़िद से लेकर प्रमुख मार्ग कोई ऐसा जगह नहीं बचा है. जहां, कूडें का अंबार नहीं लगा हो. नगर के सोनारपट्टी स्थित मस्जिद, मुहल्लों स्कूलों और पार्कों के आस-पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है.
क्या कहते हैं स्थानीय?
बुजुर्ग महिला पार्वती देवी नगर परिषद पर नाराजगी जाहिर करते हुए बोलती है कूड़ा कहां फेंके सरकार के घर में फेंके. जब कूड़ा का डब्बा ही नहीं मिला तो जिधर मन होता है फेंक देते हैं. फरजाना खातून का कहना है कि हम लोगों को कूड़ा फेंकने के लिए अभी तक डस्टविन नहीं मिला है. ऐसे में हमलोग खाली स्थानों पर कूड़ा फेकने को मजबूर हैं. वहीं, रंजीत कुमार का कहना है कि कर्मचारी तो आता है लेकिन कूड़ा नहीं उठाता है. जब उससे कूड़ा उठाने को कहा जाता है तो कहता है कि मेरा यह काम नहीं है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी?
नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता देवेंद्र सुमन ने कहा कि प्रत्येक वार्ड में 2 सफाईकर्मीयों कि नियुक्ति की गई है. डोर टू डोर सफाई के लिए अधिक मात्रा में ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यक्ता है. इसके लिए टेंडर भी निकाला गया है. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद नगर में डोर टू डोर कूड़ा उठाने का काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कूड़े डंपिंग के लिए अलग से 3 एकड़ जमीन भी ले लिया गया है.
एक अगस्त तक पूरी करनी थी निविदा प्रक्रिया
जबकि, शहर की स्वच्छता को लेकर निविदा प्रक्रिया पूरी कर 1 अगस्त तक शहर की साफ-सफाई हो जानी चाहिए थी. 3 महीने बीत जाने के बाद भी शहर की हालत जस की तस बनी हुई है. इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे.