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द्वापर युग के इस मंदिर में छठ करते हैं हजारों व्रती, तालाब में स्नान से दूर होता है कुष्ठ

हड़िया को द्वापरयुगीन सूर्य मंदिर माना जाता है. मंदिर और उसके आसपास पुरातात्विक महत्व की कई चीजें हैं, जो मंदिर की गौरवशाली अतीत को बयां करती हैं. छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस मौके पर आज हम आपको बता रहे हैं इस सूर्य मंदिर के बारे में.

Nawada
हड़िया सूर्य मंदिर
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Published : Nov 17, 2020, 5:03 AM IST

Updated : Nov 17, 2020, 7:22 AM IST

नवादा: देश के सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में एक हड़िया का सूर्य मंदिर भी है. यह नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के हड़िया गांव में है. मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है. नि:संतान लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना करते हैं.

यहां सूर्य नारायण की दुर्लभ मूर्ति और प्राचीन सरोवर है. यहां सालों भर लोग श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं, लेकिन महापर्व छठ के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. दक्षिण बिहार के अलावा सीमावर्ती राज्यों के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.

देखें रिपोर्ट

"यह सूर्य मंदिर द्वापर युग का है. मंदिर के प्रांगण में स्थित तालाब में स्नान के बाद भगवान सूर्य का जलाभिषेक करने से सभी तरह के चर्मरोग का निवारण होता है. कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है. यहां लोग दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं. कोई पुत्र की मन्नत मांगता है तो कोई कुछ और. भगवान सूर्य सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं."- उपेंद्र सिंह, स्थानीय ग्रामीण

क्या है धार्मिक मान्यता
दूसरी ओर किंवदंतियों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की नौ पटरानियां थी, जिनमें से एक थी जाम्बावती, जिसके पुत्र साम्ब श्रीकृष्ण की तरह ही दिखते थे और उनके तरह ही 16 कलाओं में निपुण थे. साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था. साम्ब भी अपनी पहचान बताए बगैर गोपियों के रासलीला में शामिल हो गए थे, जिसे देख श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए थे और साम्ब को श्राप दे दिया था.

जिसके बाद साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए थे. साम्ब ने जब श्रीकृष्ण से मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तब उन्हें बारह सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने को कहा गया था. ऐसा माना जाता है कि उन्हीं सूर्य मंदिरों में से हड़िया भी एक है.

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सूर्य मंदिर के प्रांगण में स्थित इस तालाब में स्नान करने से चर्मरोग दूर होता है.

क्यों प्रसिद्ध है हड़िया
द्वापर युग के इस मंदिर की ख्याति दूर- दूर तक फैली हुई है. हजारों की संख्या में कई राज्यों से श्रद्धालु यहां छठ पूजा करने आते हैं. मान्यता है कि द्वापर युग में सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यावती यहां स्थित सरोवर में स्नान कर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करतीं थीं फिर मां भगवती की मंदिर में पूजा कर धनियावां की पहाड़ी पर जाती थी. वहां भगवान गौरी शंकर पर जलाभिषेक कर वह अपने तत्कालीन मगध की राजधानी राजगृह जाती थी. इसका प्रमाण पुरातत्व से प्राप्त हुआ है.

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हड़िया के सूर्य मंदिर के प्रांगण में स्थित सरोवर.

बताया जाता है कि राजकुमारी जिस मां भगवती की पूजा करने जातीं थीं वह वर्तमान देवी स्थान मां जगदंबा स्थान के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि भगवान सूर्य की पूजा के बाद मां भगवती की पूजा करने वाले की पीड़ा दूर होती है.

बिहार में कहां-कहां हैं प्रसिद्ध सूर्य मंदिर
हड़िया (नवादा), देव (औरंगाबाद), बड़गांव (नालंदा), पुण्यार्क (पटना), कंदाहा (सहरसा), औंगारी (नालंदा), उलार (पटना).

नवादा: देश के सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में एक हड़िया का सूर्य मंदिर भी है. यह नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के हड़िया गांव में है. मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है. नि:संतान लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना करते हैं.

यहां सूर्य नारायण की दुर्लभ मूर्ति और प्राचीन सरोवर है. यहां सालों भर लोग श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं, लेकिन महापर्व छठ के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. दक्षिण बिहार के अलावा सीमावर्ती राज्यों के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.

देखें रिपोर्ट

"यह सूर्य मंदिर द्वापर युग का है. मंदिर के प्रांगण में स्थित तालाब में स्नान के बाद भगवान सूर्य का जलाभिषेक करने से सभी तरह के चर्मरोग का निवारण होता है. कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है. यहां लोग दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं. कोई पुत्र की मन्नत मांगता है तो कोई कुछ और. भगवान सूर्य सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं."- उपेंद्र सिंह, स्थानीय ग्रामीण

क्या है धार्मिक मान्यता
दूसरी ओर किंवदंतियों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की नौ पटरानियां थी, जिनमें से एक थी जाम्बावती, जिसके पुत्र साम्ब श्रीकृष्ण की तरह ही दिखते थे और उनके तरह ही 16 कलाओं में निपुण थे. साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था. साम्ब भी अपनी पहचान बताए बगैर गोपियों के रासलीला में शामिल हो गए थे, जिसे देख श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए थे और साम्ब को श्राप दे दिया था.

जिसके बाद साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए थे. साम्ब ने जब श्रीकृष्ण से मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तब उन्हें बारह सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने को कहा गया था. ऐसा माना जाता है कि उन्हीं सूर्य मंदिरों में से हड़िया भी एक है.

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सूर्य मंदिर के प्रांगण में स्थित इस तालाब में स्नान करने से चर्मरोग दूर होता है.

क्यों प्रसिद्ध है हड़िया
द्वापर युग के इस मंदिर की ख्याति दूर- दूर तक फैली हुई है. हजारों की संख्या में कई राज्यों से श्रद्धालु यहां छठ पूजा करने आते हैं. मान्यता है कि द्वापर युग में सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यावती यहां स्थित सरोवर में स्नान कर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करतीं थीं फिर मां भगवती की मंदिर में पूजा कर धनियावां की पहाड़ी पर जाती थी. वहां भगवान गौरी शंकर पर जलाभिषेक कर वह अपने तत्कालीन मगध की राजधानी राजगृह जाती थी. इसका प्रमाण पुरातत्व से प्राप्त हुआ है.

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हड़िया के सूर्य मंदिर के प्रांगण में स्थित सरोवर.

बताया जाता है कि राजकुमारी जिस मां भगवती की पूजा करने जातीं थीं वह वर्तमान देवी स्थान मां जगदंबा स्थान के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि भगवान सूर्य की पूजा के बाद मां भगवती की पूजा करने वाले की पीड़ा दूर होती है.

बिहार में कहां-कहां हैं प्रसिद्ध सूर्य मंदिर
हड़िया (नवादा), देव (औरंगाबाद), बड़गांव (नालंदा), पुण्यार्क (पटना), कंदाहा (सहरसा), औंगारी (नालंदा), उलार (पटना).

Last Updated : Nov 17, 2020, 7:22 AM IST
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